क्या है भगवान शिव की तीसरी आँख का रहस्य ?

By | September 12, 2017

देवों के देव महादेव कहे जाने वाले भगवान शिव जितनी जल्दी प्रसन्न होकर अपने भक्तों का उद्धार करते है वहीं उनका क्रोध भी सभी देवों से प्रचंड है | जहाँ सभी देवों को प्रसन्न करने हेतु बड़े – बड़े अनुष्ठान किये जाते है वहीं भगवान शिव शिवलिंग पर जल चढ़ाने मात्र से प्रसन्न होकर अपने भक्तों का कल्याण करते है |

Shiv ji ki teesri aankh ka rahshya

वेद शास्त्रों के अनुसार इस धरा पर रहने वाले सभी जीवों की तीन आँखे होती है | जहाँ दो आँखों द्वारा सभी जीव भौतिक वस्तुओं को देखने का काम लेते है वहीं तीसरी आँख को विवेक माना गया है | यह दोनों आँखों के ऊपर और मस्तक में मध्य होती है | किन्तु तीसरी आँख कभी दिखाई नही देती |

भगवान शिव ही एक ऐसे देव है जिनकी तीसरी आँख दिखाई देती है | क्या है भगवान शिव की तीसरी आँख का रहस्य आइये जानते है विस्तार से :

  • भगवान शिव की तीन आँखे होने के कारण इन्हें त्रिनेत्र धारी भी कहा जाता है |जिनमें एक आँख में चन्द्रमा और दूसरी में सूर्य का वास है | और तीसरी आँख को विवेक माना गया है |
  • काम, क्रोध , लोभ , मोह  इन सब में घिरने के पश्चात् जब मनुष्य की बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है तब उसकी तीसरी आँख जहाँ विवेक का वास होता है इसका प्रयोग कर संतुलन स्थापित किया जा सकता है | जब भी भगवान शिव की तीसरी आँख खुलती है उस समय क्रोध विवेक का स्थान ले लेता है और सब कुछ भस्म कर कर देता है |
  • पुराण अनुसार भगवान के तीनो नेत्रों को त्रिकाल का प्रतीक माना गया है | जिसमें भूत, वर्तमान और भविष्य का वास होता है | स्वर्गलोक , मृत्युलोक और पाताललोक भी इन्ही तीनों नेत्रों के प्रतीक है | भगवान शिव ही एक ऐसे देव है जिन्हें तीनो लोको का स्वामी कहा गया है |     ⇒ || भगवान शिव को शिवलिंग के रूप में क्यों पूजा जाता है ? || 
  • भगवान शिव की तीसरी आँख को प्रलय कहा गया है | ऐसी मान्यता है कि एक दिन भगवान शिव की तीसरी आँख से निकलने वाली क्रोध अग्नि इस धरती के विनाश का कारण बनेगी | शिव जी के तीनों नेत्र अलग – अलग गुण रखते है जिसमें दायाँ नेत्र सत्वगुण और बायाँ नेत्र रजोगुण और तीसरे नेत्र में तमोगुण का वास है |
  • तीसरी आँख सभी मनुष्यों के पास होती है | किन्तु इसका अहसास कठोर साधना और ज्ञान के द्वारा ही किया जा सकता है |
  • भगवान शिव अपनी तीसरी आँख द्वारा इस संसार की सभी गतिविधियों का जान लेते है | ऐसा कुछ नही जो भगवान शिव की आँख से ओझल हो | इसलिए भगवान शिव को परमब्रह्म कहा गया है |
  • तीसरी आँख जीवन में आने वाली सभी परेशानियों और कठिनाइयों से अवगत कराती है | और सही व गलत के बीच निर्णय लेने की शक्ति देती है |

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धरम ग्रंथो में भगवान शिव की तीसरी आँख से जुडी एक कथा प्रचलित है जिसमे प्रणय के देवता कामदेव अपनी क्रीडाओं के द्वारा शिव जी की तपस्या भंग करने का प्रयास करते है | और जैसे ही शिव जी तपस्या भंग होती है शिव जी क्रोधित हो अपने तीसरे नेत्र की अग्नि से कामदेव को भस्म कर देते है | यह कथा मनुष्य जीवन के लिए प्रेरणा का स्त्रोत भी है | कामदेव का वास प्रत्येक मनुष्य के अन्दर होता है | उसे अपने विवेक और बुद्धि द्वारा मन में उठने वाले क्रोध और अवांछित काम वासना को शांत करना चाहिए |

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One thought on “क्या है भगवान शिव की तीसरी आँख का रहस्य ?

  1. Manish

    Rahul mahadasa chal raha Hai rahu sant karna ka tantrik upay bataya bahu taklif ma hu court case chal raha Hai paise ke tangi se Gujarat raha hu muj per daya kara

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