क्या मंत्र द्वारा देव आराधना करना अधिक फलदायी होता है ?

By | November 28, 2020

हिन्दू धर्म में मूर्ति पूजा करने का विधान है । हिन्दू धर्म में अनगिनत देव और देवी है जिनकी पूजा – आराधना करने से जातक पर देव कृपा बनी रहती है । यह एक जातक की श्रद्धा और विश्वास भाव पर निर्भर करता है कि वह किस देव या देवी को अपने आराध्य के रूप में स्वीकार करता है । और किस भाव से व किस विधि से उनकी पूजा – आराधना करता है ।

किसी भी देव या देवी की आराधना मुख्य रूप से उनकी आरती गायन – भजन द्वारा – भोग द्वारा – व्रत विधि द्वारा – अनुष्ठान द्वारा और मंत्र जप विधि द्वारा करने का विधान है । मानस पूजा भी उपरोक्त सभी के समान ही फलदायी मानी जाती है ।

चलिए उपरोक्त सभी विधियां तो देव पूजा करने की और उनका आशीर्वाद पाने के मार्ग है । सभी भक्त अपने अपने सामर्थ्य और भक्तिभाव द्वारा अपने देव की आराधना करते है । किंतु कुछ भक्तों के मन में यह प्रश्न भी उठता है कि क्या मंत्र जप द्वारा अपने देव की भक्ति करना सामान्य की तुलना में अधिक फल देने वाला सिद्ध होता है । आइये जानते है :

मंत्र जप द्वारा देव आराधना :

आप अपने देव की कृपा प्राप्त करने हेतु स्वतंत्र है । आपको कोई बाध्य नही कर सकता कि आपको अपने देव की किसी विशेष विधि द्वारा भक्ति करनी चाहिए । हाँ, इतना अवश्य है कि आपको आवश्यकता होने पर उचित मार्ग दर्शन ले लेना चाहिए ।

मंत्र, किसी भी देव को समर्पित संस्कृत में लिखे हुए शब्दों का समूह होता है जिनके उचित उच्चारण से देव तक आपके भाव पहुंचते है । आप जिस भाव से मंत्रों का जप करते है, उस भाव से आपको फल की भी प्राप्ति होती है ।

इसमें कोई दो राय नहीं कि संकल्प के साथ और नियम के साथ एक निश्चित अवधि के लिए किए जाने वाले मंत्र जप सामान्य की अपेक्षा अधिक फलदायी होते है ।

किसी विशेष मनोकामना सिद्धि हेतु मंत्र जप द्वारा देव भक्ति अवश्य ही फलदायी होती है बस आपके भाव अपने देव के प्रति सच्चे ओर अटूट होने चाहिए ।