चैत्र नवरात्रि पर्व 02 अप्रैल 2022 से शुरू हो रहा है | इस प्रकार करें माँ दुर्गा नवरात्रि पूजन

By | February 28, 2022

हिन्दू पंचांग के अनुसर चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से हर वर्ष चैत्र नवरात्रि पर्व की शुरुआत होती है | इस बार यह पर्व अप्रैल मास के शुरू में आने वाला है | हिन्दू धर्म में नवरात्रि पर्व को सबसे बड़ा पर्व माना गया है | माँ दुर्गा के विशेष पूजन को समर्पित ये 9 दिन में प्रत्येक दिन उनके अलग-अलग रूप की पूजा होती है |

चैत्र मास में आने वाली नवरात्रि का विशेष महत्व है | इस नवरात्रि को रामनवरात्रि भी कहा गया है | मान्यताओं के अनुसार भगवान श्री राम ने समुद्र तट पर बैठकर माँ दुर्गा की उपासना कर लंका विजय के लिए गये थे |

चैत्र नवरात्रि पर्व 2022 कब है ?

वर्ष 2022 में चैत्र मास में नवरात्रि पर्व कैलेंडर के अनुसार 02 अप्रैल 2022 से शुरु होकर 11  अप्रैल 2022 तक है | 

चैत्र नवरात्रि पर्व 2022

होली पर्व के पश्चात यह चैत्र नवरात्रि का पावन पर्व मनाया जाता है। नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा के नौ अलग अलग स्वरूपों :  मां शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, मां महागौरी और मां सिद्धिदात्री की पूजा का विधान पाया गया है। मान्यताओं के अनुसार चैत्र नवरात्रि के दिन मां आदिशक्ति प्रकट हुई थी और ब्रह्मा जी के आग्रह पर सृष्टि का निर्माण किया था।

नवरात्रि में माँ दुर्गा पूजा विधि : –

पूर्व दिशा में एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर माँ दुर्गा की मूर्ति या फोटो स्थापित करें | एक कटोरी में थोड़े चावल डालकर उसमें एक मिट्टी की डली पर लाल धागा लपेटकर गणेश जी की स्थापना करें | ईशान कोण(उत्तर व पूर्व दिशा के मध्य का भाग) में एक मिटटी के क्लश में पानी भरकर रख दे उस पर एक नारियल पर लाल कपडा लपेटकर, लाल धागे से बांधकर रख दे | अब माँ दुर्गा की फोटो के सामने नीचे जमीन पर एक घी का दीपक प्रज्वलित करें साथ में धुप आदि भी लगाये |

अब आप सामने आसन बिछाकर बैठ जाये व दायें हाथ में थोडा जल लेकर सकल्प ले :- हे परमपिता परमेश्वर, मै(अपना नाम बोले) गोत्र(अपना गोत्र बोले) अपने कार्य की पूर्णता हेतू माँ दुर्गा की यह पूजा कर रहा हूँ मेरे कार्य में मुझे सफलता प्रदान करें | ऐसा कहते हुए हाथ के जल को नीचे जमीन पर छोड़ दे |

अब सर्वप्रथम गणेश जी को कुमकुम द्वारा तिलक करें अक्षत अर्पित करें, फिर माँ दुर्गा को तिलक करें और अक्षत अर्पित करें फिर पानी के कलश(वरुण देव) को तिलक करें और अक्षत अर्पित करें | इसी प्रकार से सभी देवों को आप पुष्प अर्पित करें और मिष्ठान आदि अर्पित करें |

अब अपनी आँखे बंद करके माँ का ध्यान करते हुए कुछ समय के लिए इस मन्त्र के मन ही मन जप करें :  ऊँ ह्रीं दुं दुर्गायै नम ” |

नवरात्रि के इस पवित्र पर्व के समय आप अधिक से अधिक मंत्र जप द्वारा माँ की साधना भी कर सकते है | सुबह और शाम दोनों समय एक निश्चित समय का चुनाव करें | अब इस समय पर ऊपर दी गयी विधि अनुसार संकल्प लेकर माँ के मंत्र जप शुरू कर दे | मंत्र इस प्रकार से है : ॐ एं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे | इस मंत्र की अधिक से अधिक माला का जप करें |

मंत्र जप पूर्ण होने पर दायें हाथ में थोड़ा जल लेकर इस प्रकार बोले : हे परमपिता परमेश्वर मैंने( अपना नाम बोले) ये जो मंत्र जप किये है इन्हें मैं अपने कार्य की पूर्णता हेतु श्री ब्रह्म को अर्पित करता हूँ | ऐसा कहते हाथ के जल नीचे जमीन पर छोड़ दे | पूरे 9 दिनों तक इसी प्रकार से माँ के मंत्र  करें | ऐसा करने से जो भी मनोकामना रखते हुए आप मंत्र जप करते है वह अवश्य ही पूर्ण होती है | अंतिम दिन हवन का आयोजन अवश्य करना चाहिए और हवन में अधिक से अधिक आहुतियाँ माँ के मंत्र की देनी चाहिए |