भगवान श्री कृष्ण जी की आरती | श्री कुंज बिहारी जी आरती

By | July 25, 2020

भगवान श्री कृष्ण जी का अवतार सभी अन्य देवों से अलग रहा है | उनका जीवन और उनके विचार आधुनिक समय के जातक के लिए प्रेरणा स्त्रोत है | भगवान श्री कृष्ण की भक्ति करने वाले जातक अपने व्यक्तित्व और विचारों से दूसरों को शीघ्र प्रभावित करने वाले बनते है | भगवान श्री कृष्ण जी की आरती नियमित रूप से करने से जातक जीवन में सभी सुख और भोग पाते है |

भगवान श्री कृष्ण जी की आरती

भगवान श्री कृष्ण जी की आरती

आरती कुंजबिहारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ||

आरती कुंजबिहारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ||

गले में बैजंती माला
बजावै मुरली मधुर बाला
श्रवण में कुण्डल झलकाला
नंद के आनंद नंदलाला
गगन सम अंग कांति काली
राधिका चमक रही आली
लतन में ठाढ़े बनमाली
भ्रमर सी अलक
कस्तूरी तिलक
चंद्र सी झलक
ललित छवि श्यामा प्यारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ||

आरती कुंजबिहारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ||

कनकमय मोर मुकुट बिलसै
देवता दरसन को तरसैं
गगन सों सुमन रासि बरसै
बजे मुरचंग
मधुर मिरदंग
ग्वालिन संग
अतुल रति गोप कुमारी की
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ||

आरती कुंजबिहारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ||

जहां ते प्रकट भई गंगा
सकल मन हारिणि श्री गंगा
स्मरन ते होत मोह भंगा
बसी शिव सीस
जटा के बीच
हरै अघ कीच
चरन छवि श्रीबनवारी की
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ||

आरती कुंजबिहारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ||

चमकती उज्ज्वल तट रेनू
बज रही वृंदावन बेनू
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू
हंसत मृदु मंद
चांदनी चंद
कटत भव फंद
टेर सुन दीन दुखारी की
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ||

आरती कुंजबिहारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ||

 

भगवान श्री कृष्ण जी की आरती न केवल सुनने में कर्णप्रिय है अपितु भक्त के सभी कष्टों को भी दूर करने वाली है | नियमित रूप से श्री गिरिधर जी की आरती का गायन पूजा स्थल पर बैठकर अपने समस्त परिवार के साथ मध्यम और कर्णप्रिय स्वर में करना चाहिए | भगवान श्री कृष्ण जी की कृपा से आपके परिवार में शीघ्र ही सुख-शांति आने लगेगी |