क्या यन्त्र वास्तव में कार्य करते है ? हमें यंत्र कि स्थापना पूजा स्थल पर क्यों करनी चाहिए

By | January 17, 2021

जिस प्रकार से एक देव के लिए विशेष मंत्र समर्पित होता है ठीक उसी प्रकार से एक विशेष आकृति में बना यंत्र भी विशेष रूप से किसी देव को समर्पित रहता है | मंत्र और यंत्र दोनों ही शक्तिशाली होते है | भले मंत्र और यंत्र दोनों का कार्य थोड़ा अलग है किन्तु उद्देश्य सिर्फ एक ही | हमारे शास्त्रों में यंत्र पूजा का विशेष महत्व माना गया है |

यन्त्र को भोजपत्र या धातु पर निर्मित किया जाता है | यंत्र में कुछ विशेष रखाओं – आक्रतियों और अंकों व बीज मन्त्रों को विशेष प्रकार से व्यवस्थित रूप में अंकित किया गया होता है | जब यंत्र को सामने रख मन्त्र शक्ति द्वारा देव पूजा की जाती है तो हमारे मुख से निकले मंत्र कि ध्वनि यंत्र के माध्यम द्वारा हमारे आराध्य देव के सम्मुख शीघ्र पहुँचती है | इसी कारण से,  मंत्र साधना के समय यंत्र को सामने रख मंत्र जप करने का विधान मिलता है |

विशेष रूप से ताम्र पत्र और भोजपत्र पर अंकित यंत्र ही अधिक शक्तिशाली होते है | यन्त्र को किसी मशीन आदि द्वारा अंकित न करके यदि शुभ महूर्त में मनुष्य द्वारा निर्मित किया जाये तो यंत्र कि शक्ति काफी गुना बढ़ जाती है |

यंत्र की स्थापना पूर्व दिशा व ईशान कोण में ही करनी चाहिए | स्थापित यंत्र का स्थान जमीन से ऊंचाई पर होना चाहिए | यंत्र कि स्थापना विधिवत पूजा के पश्चात् ही करनी चाहिए | यदि यंत्र कि प्राण-प्रतिष्ठा करा ली जाती है तो ऐसा यंत्र स्वयं में असीमित शक्तियां रखने वाला माना जाता है | प्राण -प्रतिष्ठित यंत्र कि प्रतिदिन पूजा करना अनिवार्य हो जाता है |

यंत्र कि स्थापना क्यों

यंत्र की स्थापना पूजा स्थल पर क्यों करनी चाहिए :

यंत्र क्या होते है ? और किस प्रकार से कार्य करते है ? यह तो आप समझ गये होंगे, इसके साथ ही आप यह भी जान गये होंगे कि यंत्र का निर्माण किस धातु व किस प्रकार से करना है | क्या आपके मन में भी यह प्रश्न उठता है कि यंत्र कि स्थापना पूजा स्थल पर क्यों करनी चाहिए | आइये जानते है ;

देव कृपा प्राप्त करने हेतु यंत्र कि स्थापना पूजा स्थल पर करना ही अनिवार्य नहीं है अपितु, दैनिक रूप से यन्त्र कि पूजा करना भी अनिवार्य है | कुछ भक्त चाहते है कि मंत्र जप के माध्यम से देव कृपा प्राप्त की जाये, ऐसे भक्त के लिए यंत्र अधिक अनिवार्य है | जब आप मंत्र जप के द्वारा देव पूजा कर रहे है तो यंत्र को सामने रखकर ऐसा करें, ताकि मंत्र जप का सम्पूर्ण फल आपको प्राप्त हो |

मंत्र जप द्वारा देव आराधना करके सम्पूर्ण फल कि प्राप्ति हेतु यंत्र को सम्मुख रख पूजा करना अनिवार्य है | हाँ, यदि भक्त की भक्ति भाव और समर्पण अपने देव के लिए अटूट है तो ऐसे भक्त के लिए न तो किसी यंत्र कि आवश्यकता है और न ही किसी मंत्र जप की ऐसे भक्त तो सिर्फ और सिर्फ मानस पूजा द्वारा अपने देव को प्रसन्न कर लेते है |