असितांग भैरव मंत्र व जप विधि | रोग से मुक्ति पाने हेतु करे प्रयोग

By | August 14, 2020

असितांग भैरव को भैरव का उग्र रूप माना गया है | ऐसा माना गया है कि इस रूप में भैरव की उपासना आपके भयंकर से भयंकर रोग को भी दूर कर सकती है |कलियुग के समय में भैरव उपासना विशेष रूप से फल प्रदान करने वाली मानी गयी है | मंत्र द्वारा असितांग भैरव की एक रात्रि की साधना आपके असाध्य रोग में लाभ प्रदान करने वाली है |

जो लोग लम्बे समय से किसी रोग से पीड़ित है और लाख यत्न के बाद भी उनका रोग ठीक नहीं हो पा रहा है तो असितांग भैरव मंत्र द्वारा रात्रि में नीचे दिए गये मंत्र का जप करना चाहिए |

असितांग भैरव मंत्र :

||  ॐ भं भं सः असितांगाये नमः ||

मंत्र जप विधि :

सामान्य रूप से भैरव के मंत्रों का जप रात्रि में करने का प्रावधान है | असितांग भैरव के इस मंत्र का जप भी रात्रि 9 बजे के बाद ही किया जाना चाहिए | मंत्र जप के लिए मंगलवार, शनिवार और रविवार के दिनों में से किसी भी एक दिन का चुनाव किया जा सकता है |

पूर्व दिशा की तरफ एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उसपर सिद्ध भैरव यंत्र व असितांग भैरव की फोटो की स्थापना करें | एक गमले में पहले से पीपल का पेड़ लगाये और इसे पूजा स्थल पर चौकी के साथ में रखे |

Asitang Bhairav Mantra

Asitang Bhairav Mantra

अब सरल पूजा विधि द्वारा भैरव और पीपल के पेड़ की पूजा करें | धुप -दीप -पुष्प – नैवद्य – अक्षत – कुमकुम आदि द्वारा पूजन करें | लड्डू का भोग लगाये | एक पान के पत्ते पर 2 लोंग – 2 सुपारी और 2 इलायची रखकर भैरव जी को अर्पित करें | एक सवा मीटर लाल कपड़ा भैरव की प्रतिमा को अर्पित करें |

अब गणेश जी के स्तुति मंत्र द्वारा उनका स्मरण करें | इसके उपरांत दायें हाथ में थोडा जल लेकर संकल्प ले : हे परमपिता परमेश्वर मैं (अपना नाम बोले) गोत्र(अपना गोत्र बोले) आपकी कृपा से असितांग भैरव जी के इस मंत्र का जप अपने रोग की मुक्ति हेतु कर रहा हूँ, मेरे कार्य में मुझे सफलता प्रदान करें | ऐसा कहते हुए जल को नीचे जमीन पर छोड़ दे और बोले : ॐ श्री विष्णु – ॐ श्री विष्णु – ॐ श्री विष्णु |

अब आप अपने गुरु जी का स्मरण करें | आप चाहे तो मंत्र द्वारा गुरु मंत्र के कुछ जप भी कर सकते है | इसके उपरांत ऊपर दिए गये असितांग भैरव मंत्र के जप आप कम से कम सवा घंटा करें | मंत्र जप में माला लेने की आवश्यकता नहीं है | आप मन ही मन इस मंत्र का जप करते जाये |

मंत्र जप पूर्ण होने पर भैरव जी की आरती करनी चाहिए | अब आप हाथ जोड़कर भैरव जी से अपने रोग मुक्ति हेतु अरदास लगाये और अपना स्थान छोड़ दे | इस प्रकार से असितांग भैरव जी की यह एक दिन की पूजा पूर्ण होती है | रोग दूर करने में यह पूजा अवश्य ही आपके लिए लाभ प्रदान करने हो सकती है |