अविपत्तिकर चूर्ण के फायदे | एसिडिटी दूर करने की best आयुर्वेदिक औषधि

By | July 9, 2020

अविपत्तिकर चूर्ण एक आयुर्वेद औषधि है जिसे पेट संबंधी रोग दूर करने के लिए प्रयोग में लाया जाता है | इस चूर्ण का प्रयोग पूर्ण रूप से सुरक्षित है और एसिडिटी -कब्ज जैसे रोग दूर करने में यह एक प्रभावी औषधि है | आज के आधुनिक वैद्य अविपत्तिकर चूर्ण का प्रयोग अधिकांश रूप से करते है |

अविपत्तिकर चूर्ण के सकारात्मक परिणाम इसके प्रयोग के कुछ समय बाद ही दिखाई देने लगते है | आयुर्वेद में जहाँ अन्य औषधियाँ प्रभाव दिखाने में लम्बा समय ले लेती है वहीं अविपत्तिकर चूर्ण का प्रभाव शीघ्र दिखाई देता है | इस औषधि के तुरंत प्रभाव होने के कारण ही इसे एसिडिटी के निवारण में मुख्य रूप से प्रयोग किया जाता है |

मुख्य घटक : अविपत्तिकर चूर्ण को सोंठ , काली मिर्च , पिप्पली , हरीतकी(हरड़) , आमलकी , विभितकी , मोथा , तेजपत्र , मिश्री  , लोंग , त्रिवृत , एला , विडंग , विड लवण ये घटक मिलाकर बनाया जाता है |

अविपत्तिकर को आप घर पर भी तैयार कर सकते है :  उपरोक्त सभी घटक के बराबर भाग ले ले | इनमें से लोंग – त्रिवृत और मिश्री के आधे भाग ही ले | सभी को मिलाकर अच्छे से कूटकर चूर्ण बना ले | अब इस चूर्ण को बारीक छानकर किसी कांच के बर्तन में डाल ले | इस प्रकार से अविपत्तिकर चूर्ण तैयार हो जाता है | अब रोग अनुसार इसे प्रयोग में ला सकते है |

अविपत्तिकर चूर्ण – प्रयोग विधि : 

सुबह खाली पेट और शाम को खाली पेट खाना खाने से 40 से 50 मिनट पहले आप इसका सेवन करें | अविपत्तिकर चूर्ण की 3 से 6 ग्राम मात्रा को आप हल्के गुनगुने पानी के साथ सेवन करें |

Avipattikar Churna Ke Fayde :

Avipattikar Churna Ke Fayde

अविपत्तिकर चूर्ण के फायदे :

इस औषधि के नाम से ही पता लगता है कि यह पित्त प्रकृति के रोगों के उपचार में प्रयोग की जाता है | आइये जानते है अविपत्तिकर चूर्ण को मुख्य रूप से किन-किन रोगों के उपचार में प्रयोग किया जाता सकता है :

  • एसिडिटी, हाइपरएसिडिटी , अम्लपित , सीने में जलन , पेट फूलना, पेट भारी रहना , पेट में गैस बनाना , खाने की नली में जलन , अल्सर ये सभी रोग पेट में पित्त की अधिकता से जुड़े है | अविपत्तिकर चूर्ण पेट में बनने वाले अतिरिक्त पित्त को नियंत्रित करता है जिससे पेट से जुड़ी उपरोक्त सभी समस्याओं से आराम मिलता है |
  • कब्ज की समस्या होने पर भी अविपत्तिकर चूर्ण के नियमित प्रयोग से लाभ मिलता है | कब्ज दूर करने की अन्य आयुर्वेदिक दवाओं की अपेक्षा यह अधिक सुरक्षित और प्रभावी है | इसके प्रयोग से पेट में मरोड़ नहीं उठते और न ही आपको बार-बार दस्त जाना पड़ता है |
  • पित्त की अधिकता के कारण उत्पन्न हुए मूत्र संबंधी विकार भी अविपत्तिकर चूर्ण के प्रयोग से दूर होते है |
  • अर्श रोग में भी इस औषधि के प्रयोग से लाभ मिलता है |
  • रक्त में पित्त की अधिकता को अविपत्तिकर चूर्ण में कामदुधा रस मिलाकर सेवन करने से दूर किया जा सकता है |

एसिडिटी में एलोपैथी दवा और अविपत्तिकर चूर्ण दोनों में से अधिक प्रभावी कौन सी है : 

एसिडिटी के उपचार में एलोपैथी दवाएं : Pantoprazole , Rabeprazole, Omeprazole, Esomeprazole, Ranitidine or Antacid इन दवाओं का प्रयोग किया जाता है | इन दवाओं के प्रयोग से एसिडिटी में तुरंत आराम मिल जाता है किन्तु एक सीमित अवधि तक ही इन दवाओं का असर रहता है | हम कह सकते है कि एलोपैथी दवाओं से आप एसिडिटी रोग को कुछ समय के लिए दबा सकते है किन्तु पूर्ण रूप से cure नहीं कर सकते |

दूसरी तरफ एसिडिटी के उपचार में अविपत्तिकर चूर्ण आपकी समस्या को धीरे-धीरे जड़ से दूर करता है | इसके प्रयोग से आप एसिडिटी की समस्या में लम्बे समय तक आराम पा सकते है | यदि इस औषधि के प्रयोग के साथ-साथ आप अपने गलत खान-पान को नियंत्रित कर लेते है तो एसिडिटी की बीमारी को हमेशा के लिए भी ठीक कर सकते है |