मकर सक्रांति क्यों मनाई जाती है ? मकर सक्रांति पर्व का महत्व

By | December 14, 2020

भारत वर्ष में अन्य पर्वो की तरह ही मकर सक्रांति पर्व का भी अपना ही अलग महत्व है | मकर संक्रांति एक ऐसा त्यौहार है जो पूरे देश में अलग-अलग संस्कृति में मनाया जाता है। देशभर में ऐसे कई प्रदेश हैं, जहां मकर संक्रांति को न सिर्फ विभिन्न नामों से जाना जाता है बल्कि वहां की धार्मिक आस्था भी भिन्न है | इस दिन मकर राशी में सूर्य का प्रवेश होता है | इसी कारण से इसे मकर सक्रांति कहा गया है |

जैसे ही सूर्य ग्रह मकर राशी में प्रवेश करते है, खरमास समाप्त हो जाता है और नये वर्ष में अच्छे वातावरण वाले दिन शुरू हो जाते है |

मकर सक्रांति पर्व के दिन तिल-गुड़ का दान करने का महत्व : 

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इस त्योहार पर घर में तिल्ली और गुड़ के लड्डू बनाए जाने की परंपरा है। इसके अलावा भी सफेद और काली तिल्ली के लड्डू बनते हैं। खोई, चिड़वा और आटे के लड्डू भी बनते हैं। दरअसल, ऐसी मान्यता है कि इस दिन बुराई पर अच्छाई की जीत होती है, तो कड़वी बातों को भुलाकर नई शुरुआत की जाती है। इसलिए गुड़ से बनी चिक्की, लड्डू और, तिल की बर्फी खाई जाती है |

मकर सक्रांति को यदि वैज्ञानिक द्रष्टि से देखा जाए तो, इस दिन से दिन और रात बराबर होने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है | इस दिन से दिन बड़े होने लगते है | मौसम में गर्माहट आने लगती है, फासले पकने लगती है | इस दिन के बाद से वातावरण में होने वाले बदलाव मनुष्य सहित सभी जीवों को बहुत पसंद आते है |

मकर सक्रांति पर्व के दिन बहुत से राज्यों में पतंग उड़ाने की परंपरा होती है | इस दिन सभी लोग छत पर चड़कर पतंग उड़ाने का आनंद लेते है | अधिकतर जगहों पर इस दिन सुबह-सुबह स्नान कर अग्नि के आगे बैठ कर सिकने की परंपरा है और साथ में तिल से बनी गज्जक, मूंगफली आदि भी खाने की परंपरा है | बहुत से घरों में इस दिन गाजर से बनी मिठाई जैसे : गाजर का हलवा, गाजरपाक आदि बनाने की परंपरा है |

मकर सक्रांति ऐसा पर्व है जिसे मनाया तो लगभग सम्पूर्ण भारत में जाता है किन्तु इसे सेलिब्रेट करने की विधि अलग-अलग होती है | राज्यों के अनुसार मकर सक्रांति मानाने में कुछ परिवर्तन देखे गये है |