मानस पूजा क्या है ? मानस पूजा की शक्ति

By | June 25, 2020

हिन्दू धर्म में अनगिनत देवी और देव है और उनकी पूजा व आराधना करने के उपाय भी भिन्न-भिन्न है | जो व्यक्ति धर्म में विश्वास रखते है वे अवश्य ही किसी न किसी देव की पूजा अवश्य करते होंगे | इसके अतिरिक्त वे एक देव को सबसे अधिक मानते होंगे या कहे कि उनका कोई न कोई ईष्ट देव होगा | जैसे, मान लेते है कि आप हनुमान जी में अधिक विश्वास रखते है, उनकी पूजा-आराधना करते है, इस प्रकार से हनुमान जी आपके ईष्ट देव है | आप हनुमान जी को प्रसन्न करने हेतु उन्हें चौला चढ़ाते है, व्रत रखते है, प्रसाद वितरण करते है, बजरंग बाण, हनुमान चालीसा पढ़ते है, उन्हें पुष्प अर्पित करते है, नैवेद्य अर्पित करते है, उन्हें भोग लगाते है | इस प्रकार से आप हनुमान जी के प्रति अपनी श्रद्धा और विश्वास की शक्ति को प्रकट करते है |

manas puja kya hai

Manas Puja Kya Hai /मानस पूजा क्या है : –

मानस पूजा, जैसा कि इसके नाम से ही प्रकट होता है, मन से की जाने वाली पूजा ही मानस पूजा कहलाती है | इसमें आप भौतिक रूप से अपने ईष्ट देव को कुछ भी अर्पित नहीं करते है | इस पूजा में भौतिक रूप से न पुष्प अर्पित करते है, न नैवेद्य अर्पित करते है, न जल अर्पित करते है और न ही कोई भी अन्य भौतिक वस्तु अर्पित करते है | यह सिर्फ मन से की जाने वाली पूजा है | मानस पूजा को शास्त्रों में सबसे शक्तिशाली पूजा माना गया है | क्योंकि इस पूजा में अपने ईष्ट देव के प्रति भक्त की श्रद्धा इतनी अधिक और अटूट होती है जो एक देव को किसी अन्य भौतिक वस्तु की अपेक्षा अधिक प्रिय है |

मानस पूजा में अपने ईष्ट देव को कल्पनाओं का पुष्प , आसन , नैवेद्य , आभूषण आदि अर्पित किया जाता है | कोई भी देवी , देवता को किसी भौतिक वस्तु की आवश्यकता नहीं होती | वे भावना के भूखे है | ऐसी भावना जिसमें अटूट श्रद्धा एवं भक्ति समाहित हो | निर्मल शक्ति से ईष्ट देव को अधिक प्रसन्नता प्राप्त होती है | पूजा अर्चना अथवा साधना में भावना का निर्मल होना परम आवश्यक है | इन्ही कारणों से मानस पूजा सर्वश्रेष्ठ पूजा मानी जाती है |

आज के आधुनिक युग में भक्त, भक्ति तो करते है किन्तु मानस पूजा की उन्हें न तो समझ होती है और न ही ज्ञान | उनका ध्यान तो बस भौतिक रूप से अपने ईष्ट को प्रसन्न करने में होता है | यदि मन से आप अपने ईष्ट देव से नहीं जुड़ेंगे तो भौतिक रूप से उनकी आराधना करना व्यर्थ जाती है | मैं भौतिक रूप से पूजा को बेकार और पूर्णतः व्यर्थ नहीं कहता, किन्तु जरुरी है कि आपकी भावना भी देव के प्रति सच्ची और अटूट होनी चाहिए जो कि मानस पूजा का ही हिस्सा है |