पूजा-पाठ के समय स्थान को इस प्रकार से पवित्र करें

By | June 26, 2020

जो लोग भक्तिभाव में विश्वास रखते है वे घर पर किसी न किसी देव की पूजा -आराधना भी अवश्य करते होंगे | आप अपने पूजा स्थल को किस प्रकार से सुसज्जित करके रखते है वह आपकी श्रद्धा पर निर्भर करता है | आपका घर कैसा भी क्यों न हो या आप किराये के घर में ही क्यों न रह रहे हो, पूजा स्थल का स्थान पूर्व दिशा की तरफ या ईशान कोण में या फिर उत्तर दिशा की तरफ ही होना चाहिए | यदि आपका पूजा स्थल किसी ओर दिशा की तरफ है तो आज से अपने पूजा स्थल को सही दिशा में स्थापित करें | पूजा के समय आपके आस-पास के वातावरण का साफ़-शुद्ध और पवित्र होना बहुत आवश्यक है |

साफ़-शुद्ध और पवित्र वातावरण न केवल आपके ईष्ट देव को प्रिय है बल्कि एक सभ्य व्यक्ति के लिए भी आवश्यक है | साफ़-शुद्ध और पवित्र वातावरण में लक्ष्मी का वास होता है और सकारात्मक उर्जा से परिपूर्ण होता है |

आप घर में कोई भी बड़ी पूजा व अनुष्ठान आदि का आयोजन करवाते है तो पंडित जी आपके घर आकर सबसे पहले आपके घर के वातावरण को शुद्ध करते है उसे मंत्र और जल द्वारा पवित्र करते है | इस प्रकार के आयोजन के समय आपको सिर्फ साफ-सफाई को ध्यान में रखना होता है | घर का शुद्धिकरण पंडित जी स्वतः ही अनुष्ठान आरम्भ करने से पूर्व कर देते है |

Puja Se Pahle Pavitra Hone Ka Mantra :

Puja Se Pahle Pavitra Hone Ka Mantra

पूजा से पूर्व स्थान का शुद्धिकरण इस प्रकार करें :-

यदि आप स्वयं से ही घर पर कोई छोटी पूजा जैसे : सुन्दरकांड पाठ , बजरंग बाण पाठ या फिर सिद्धकुंजिका स्त्रोत या नवरात्रि पूजा करते है तो पूजा आरम्भ करने से पूर्व मंत्र की सहायता से स्थान का शुद्धिकरण अवश्य करना चाहिए |

जिस दिन आप घर पर कोई पूजा आदि का आयोजन करते है उस दिन घर की अच्छे से साफ-सफाई करें | पूजा स्थल को अच्छे से साफ़ करें | घर में गंगाजल और गौमूत्र के सब जगह(बाथरूम व टॉयलेट को छोड़कर) छीटें लगाये |

पूजा आरम्भ करने से पूर्व अपने आस-पास सभी दिशाओं को जल द्वारा छींटे देते हुए इस मंत्र का उच्चारण करना चाहिए | मंत्र इस प्रकार है :

ॐ अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोअपी वा |
य: स्मरेत पुण्डरीकाक्षं स बाहान्तर : शुचि: ||
इस मंत्र के उच्चारण से न केवल आपके आस-पास की सभी दिशाए पवित्र होती है बल्कि आप शरीर से भी अंदर और बाहर दोनों प्रकार से शुद्ध हो जाते है और पूजा में बैठने के लिए बाहरी शरीर से और मानसिक विचारों से पवित्र हो जाते है |