हिन्दू धर्म में सभी पर्वों का अपना-अपना महत्व होता है | रक्षा बंधन, हिन्दू धर्म में मनाया जाने वाला एक बड़ा पर्व है जो भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है | रक्षाबंधन के पवित्र पर्व के दिन सभी बहने अपने-अपने भाइयों को राखी के रूप में उनकी कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती है और उन्हें तिलक करती है | यह रक्षा सूत्र न केलव भाई की सभी विघ्नों से रक्षा करता है बल्कि बहन के लिए एक भाई के कर्तव्य और उसकी रक्षा करने के वचन की याद भी दिलाता है |
हिन्दू धर्म में किसी भी शुभ कार्य को करते समय मंत्र के उच्चारण का उल्लेख मिलता है | पृथक-पृथक कार्य के लिए अलग – अलग मंत्र प्रभावी सिद्ध होते है | जो लोग धार्मिक होते है वे मंत्रों के महत्व और मंत्र की शक्ति से भी परिचित होते है | रक्षाबंधन के दिन जब एक बहन अपने भाई को राखी बांधती है तब रक्षा सूत्र बांधते समय एक विशेष मंत्र का उच्चारण आपके रक्षा शूत्र को अधिक प्रभावी और शक्तिशाली बना सकता है |
भाई को राखी बांधते समय बहन इस मंत्र का उच्चारण करे :
येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबलः |
तेन त्वां मनुबध्नामि, रक्षंमाचल माचल ||
मंत्र का अर्थ : जिस प्रकार दानवेन्द्र राजा बलि को रक्षा सूत्र द्वारा बांधा गया था | वैसे ही मै यह रक्षा सूत्र तुम्हें बाँध रही हूँ, यह तुम्हारी हमेशा रक्षा करेगा |
रक्षा बंधन के दिन शुभ मुहूर्त में बहन भाई को राखी बांधे | भाई को जमीन पर आसन बिछाकर पूर्वाभिमुख बिठाये | बहन अपने भाई के ठीक सामने बैठकर भाई को सर्वप्रथम कुमकुम द्वारा तिलक करे | अब इस मंत्र के उच्चारण के साथ-साथ भाई की दाई कलाई पर रक्षा सूत्र बांधे | इसके उपरांत भाई को मिठाई खिलाये | इस अवसर पर एक भाई को भी अपनी बहन के लिए उपहार स्वरुप कुछ न कुछ अवश्य देना चाहिए |
राखी के इस पवित्र पर्व पर कुछ बहने अपने भाई से मांग कर कुछ ऐसे उपहार देने के लिए बाध्य करती है जो काफी महंगा होता है व भाई की आर्थिक व्यवस्था को भी प्रभावित करता है | इस प्रकार उपहार के लिए भाई को बाध्य करना गलत है | एक भाई अपनी श्रद्धा और सामर्थ्य अनुसार जो उपहार आपको दे उसे प्रेम पूर्वक स्वीकार करना चाहिए |