जीवन में दुःख आने पर क्या करना चाहिए ? जीवन से दुःख किस प्रकार दूर करें ?

By | October 30, 2020

मानव जीवन उन लोगों के लिए बड़ा ही सरल है जिन्हें कठिनाइयों का सामना कभी आज तक करना ही नहीं पड़ा | ऐसे लोगों के पूर्व जन्म के संस्कार उनके जीवन को सरल बना देते है | किन्तु ऐसे लोगों की संख्या देखे तो बहुत ही कम है या फिर न के बराबर होती है जिनका सम्पूर्ण जीवन काल सरलता से गुजर जाता है |

क्या आपने ऐसा कोई व्यक्ति अपने आस-पास देखा है जिसका जीवन पूर्ण रूप से आनंदनीय रहा है ? मेरे कहने का तात्पर्य यह है कि चुनौतियाँ सभी के जीवन में कभी न कभी अवश्य आती है | दुर्घटनाएं भी जीवन का ही एक हिस्सा है जो समय-समय पर मनुष्य को प्रताड़ित करती रहती है | दुःख जीवन चक्र का हिस्सा है जो सबके जीवन में आता है |

जब जीवन में सुख आते रहते है तो सब कुछ ठीक चल रहा होता है ऐसे में न तो आप कोई गृह दशा के विषय में सोचते है और न ही देव आराधना के प्रति अधिक उत्साहित दिखते है | बस जीवन का आनंद लेने में लगे रहते है | इस विषय में एक प्रचलित दोहा भी है : दुःख में सुमिरन सब करें, सुख में करें न कोई | जीवन में दुःख आने पर ईश्वर को याद किया जाता है और सुख आने पर बहुत कम ऐसे लोग होते है जो ईश्वर को याद करते है |

Dukh Aane Par Kya Kare

dukh aane par kya kare

जीवन में दुःख आने पर क्या करना चाहिए ? :

यदि मैं आपको ऐसा कहू कि जीवन में दुःख आने पर भी आपको प्रसन्नचित रहना चाहिए तो यह एक प्रश्न चिन्ह(?) मात्र ही हो सकता है क्योंकि दुःख की स्थिति में आनंद लेने की कला केवल और केवल कोई महापुरुष ही कर सकते है | चलिए इस विषय पर फिर कभी बात करेंगे | अब जानते है जीवन में दुःख आने पर किस प्रकार से उनका सामना कर जीवन जीना चाहिए :

प्रथम उपाय : 

यदि अचानक से आपके जीवन में दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है और समझ नहीं आ रहा कि क्या करना चाहिए और क्या नहीं ? ऐसे में ज्योतिष शास्त्र का सहारा लेना एक अच्छा मार्ग हो सकता है | जीवन में आये अचानक दुखों के पीछे आपकी कुंडली में अचानक आये ग्रहों के बदलाव या गृह दोष हो सकते है | समय रहते किसी अच्छे ज्योतिष आचार्य को अपनी कुंडली दिखाकर आप समाधान पा सकते है |

दूसरा उपाय : 

यदि आप ईश्वर में विश्वास न करके कर्म में अधिक विश्वास रखते है तो फिर ऐसे में दुखों के लड़ने और डटे रहने की आवश्यकता है | स्वयं को मजबूत बनाये और दुःख का डटकर सामना करें, स्वयं से कठिनाइयों का हल ढूंढें | दुःख की भी एक सीमा होती है, एक समय ऐसा आएगा जब या तो जीवन से दुःख स्वतः ही दूर हो जायेगा या फिर आप स्वयं को सक्षम बना चुके होंगे उस दुःख के साथ जीवन जीने में | तब जीवन में दुःख तो रहेगा लेकिन उस दुःख की पीड़ा आपको पीड़ित नहीं कर पायेगी |

तीसरा उपाय : 

जो लोग ईश्वर में विश्वास रखते है और मानसिक रूप से थोड़े कमजोर होते है ऐसे लोग जीवन में दुःख आने पर सबसे अधिक पीड़ित होते है | यह पीड़ा उस दुःख की तो होती ही है लेकिन इससे अधिक वे स्वयं के मन को इस प्रकार विकृत कर लेते है कि बस जीवन में उन्हें हर तरफ दुःख और दुःख ही दिखाई देने लगता है | ऐसे लोगों को अपने ईश्वर का सहारा लेना चाहिए | ईश्वर के प्रति अटूट श्रद्धा और विश्वास भाव ही उनके मन को शक्ति देता है | ऐसे लोगों को किसी मनोचिकित्सक से अधिक सकारात्मक उर्जा अपने ईश्वर से मिलती है |

अपने ईश्वर में विश्वास भाव को और मजबूत बनाये जिससे आपके मन को शक्ति मिलेगी | और आप दुःख से लड़ने में सक्षम हो पाएंगे |

संक्षेप में : जीवन से दुःख दूर करने का एकमात्र उपाय आप स्वयं है | यह आप पर निर्भर करता है कि आप दुःख को कितनी प्राथमिकता देते है | किसी व्यक्ति के लिए व्यवसाय में हानि हो जाना ही बहुत बड़ा दुःख हो सकता है जिसके चलते वे हताश होकर टूट जाते है और कोई अपने प्रिय की मृत्यु के बाद भी उस दुःख के साथ समन्वय स्थापित कर जीवन जीने की कला को आगे बढ़ाते है | अब यह आपको स्वयं निर्णय करना है कि आप स्वयं को किस श्रेणी में रखते है |