पितृ पक्ष क्या होता है ? पितृ पक्ष में श्राद्ध का महत्व

By | September 7, 2017

प्रत्येक वर्ष भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से अश्विन कृष्ण अमावश्या तक का यह 16 दिनों का समय पितृ पक्ष कहलाता है | पितृपक्ष (पितृ = पिता ) के इन 16 दिनों में अपने पूर्वजो को उनकी मृत्यु तिथि वाले दिन उनको अपनी श्रद्धा अनुसार श्राद्ध किया जाता है | माता – पिता और दादा व दादी की मृत्यु के पश्चात् उनकी आत्मा की शांति हेतु  पितृ पक्ष/Pitru Paksha के दिनों में उन्हें भोजन , जल , वस्त्र , अनाज अर्पित कर उनके मोक्ष की कामना जी जाती है |

पित्र पक्ष में श्राद्ध सिर्फ दादा – दादी तक ही किया जाता है | इससे आगे की पीढ़ी के पूर्वजों को जिन्हें हम परदादा और परदादी कहते है उनके लिए श्राद्ध नही किया जाता | ऐसी मान्यता है कि अब वे मोक्ष को प्राप्त हो चुके है |

Pitru Paksha Kya Hai :

pitru paksha kya hai

पितृ पक्ष का महत्व : –

हिन्दू धरम में पितृ पक्ष को एक महापर्व के रूप में मनाया जाता है | जिसमें प्रत्येक परिवार अपने पितरों के मोक्ष हेतु उनका श्राद्ध करते है | पितृ, परिवार के देव होते है | घर में किसी भी अनुष्ठान में या पूजा में पितृ देव का आव्हान सबसे पहले किया जाता है | यदि किसी कारण वश पितृ देव रुष्ट हो जाते है तो पूरे परिवार की सुख -शांति को ग्रहण लग सकता है | पितृ दोष कुंडली के सबसे जटिल दोषों में से एक है | इसलिए अपने जीवन को सुख – सम्रद्धि से परिपूर्ण करने के लिए परिवार में सुख -शांति और ऊपरी बाधाओं से परिवार की रक्षा के लिए समय -समय पर अपने पितृ देव को भोजन , वस्त्र और अनाज आदि अर्पित कर उन्हें खुश रखना चाहिए | विशेष रूप से पितृ पक्ष में उनकी मृत्यु तिथि के  दिन उनका श्राद्ध करें |    ⇒ || भूत -प्रेत भगाने का मंत्र | झाड़े द्वारा शरीर से भूत -प्रेत भगाए ||

हिन्दू धरम में माता – पिता की सेवा को सबसे बड़ी पूजा माना गया है | ऐसी मान्यता है कि पितृरों के उद्धार में उनके पुत्र का होना अनिवार्य होता है | माता – पिता की मृत्यु के पश्चात् पुत्र उनकी स्मृति भुला न दे इसीलिए हिन्दू धरम में पितृ पक्ष के समय पितृ रूप में उनकी सेवा की जाती है |

श्राद्ध क्या है : – 

पितृ पक्ष के दिनों में अपने पूर्वजों और पितृ देव की मोक्ष की प्राप्ति हेतु उन्हें अपनी श्रद्धा अनुसार अर्पित किया गया भोजन, अन्न  और वस्त्र  ही श्राद्ध कहलाता है | पितृ पक्ष में पूर्वजों की मृत्यु तिथि के दिन सबसे पहले गाय को रोटी और खीर खिलाये फिर कोओं को रोटी खिलाये इसके पश्चात् किसी ब्राह्मण या किसी गरीब व्यक्ति या अपनी बहन के लड़के को भोजन कराना चाहिए और भोजन के पश्चात् उसे वस्त्र , अन्न और दक्षिणा अर्पित कर अपने पूर्वज का ध्यान करते हुए उनके पैर छूने चाहिए (पितृ दोष दूर करने का सरल उपाय)

पितृ पक्ष क्यों मनाया जाता है,  पौराणिक कथा : –

पितृ पक्ष को कनागत के नाम से भी जाना जाता है | कनागत जो की कर्णागत (कर्ण + आगत ) ऐसी मान्यता है कि कर्ण की मृत्यु के पश्चात् जब कर्ण यमराज की नगरी में पहुंचे तो उन्हें खाने के लिए कुछ नही मिला | भूख प्यास से व्याकुल हो कर्ण यमराज के समक्ष जाकर बोले हे यमराज मुझे भूख लगी है तब यमराज ने कह,  हे कर्ण तुमने जीवन भर सोना ही सोना दान किया है और मनुष्य योनी में जो आप दान करते हो वही मरने के पश्चात् कई गुना पाते हो | इसलिए आपके लिए यहाँ सिर्फ सोना ही सोना है भोजन नहीं |

तब कर्ण ने यमराज से  16 दिनों के लिए पृथ्वी पर वापिस भजने का आग्रह किया | और इस प्रकार इन 16 दिनों में कर्ण ने भोजन और अन्न का दान किया | तब से यह 16 दिनों का समय पितृ पक्ष कहा जाने लगा |

पूर्वजों की मृत्यु की तिथि पता न होने पर उन्हें श्राद्ध कैसे दे :- 

हिंदी धरम की तिथि अनुसार यदि आपको अपने पूर्वज जी मृत्यु की तिथि याद नहीं है तो आप पितृ पक्ष/(Pitru Paksha Kya Hai) के अंतिम दिन यानि अमावश्या के दिन आप उनका श्राद्ध कर सकते है | इस अमावश्या को सर्वपितृ अमावश्या भी कहा जाता है |