श्री रामचरित मानस की इस चौपाई से होंगी सभी सिद्धियाँ प्राप्त |

By | July 25, 2017

कलियुग के सभी पापों का नाश करने वाले श्री रामचरित मानस का प्रत्येक दोहा अपना एक अलग ही महत्व रखता है | भगवान श्री राम के जीवन पर आधारित श्री रामचरित मानस गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा लिखा गया महा काव्य है | यह महर्षि वाल्मीकि द्वारा संस्कृत भाषा में रचित रामायण पर आधारित है | आपके मन में यह प्रश्न उठ रहा होगा की रामायण और श्री रामचरित मानस तो एक ही है  |

Ramcharit Manas ki prachlit choupai

दोनों महाकाव्य श्री रामचंद्र जी के जीवन का वर्णन करते है किन्तु, जहाँ महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण में श्री राम चन्द्र को एक सांसारिक व्यक्ति के रूप में दिखाया गया है वही गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित श्री रामचरित मानस में श्री रामचंद्र को भगवान श्री विष्णु के अवतार के रूप भगवान की संज्ञा की दी गयी है | रामायण को संस्कृत भाषा में लिखा गया है और श्री रामचरित मानस को भाषा हिंदी की शाखा अवधी में लिखा गया है |

तुलसीदास जी ने रामचरित मानस को 7 काण्डों  में विभाजित किया है जो कि इस प्रकार है : बालकाण्ड ,  अयोध्याकाण्ड , अरण्यकाण्ड , किष्किन्धाकाण्ड, सुंदरकाण्ड, लंकाकाण्ड और उत्तरकाण्ड | हिन्दू धर्मं में श्री रामचरित मानस को सबसे पवित्र ग्रन्थ माना गया है

आज हम आपको श्री रामचरित मानस की एक एसी  चौपाई के विषय में बताने जा रहे है जिसके मनन करने से सभी सिद्धियाँ स्वतः ही प्राप्त हो जाती है |  जब भी कभी अखंड रामायण पाठ होता है तो इस चौपाई को हजारों बार दोहराया जाता है | यह चौपाई रामचरित मानस में बालकाण्ड में 111 no. दोहे के बाद एक दोहा छोड़कर आती है जो की इस प्रकार से है :-

बंदऊँ बालरूप सोई रामू | सब सिधि सुलभ जपत जिसु नामु ||
मंगल भवन अमंगल हारी | द्रवउ सो दसरथ अजिर बिहारी ||

अनुवाद :-  मै उस रामचन्द्रजी के बालरूप की वंदना करता हूँ , जिनका नाम जपने से सब सिद्धियाँ सहज ही प्राप्त हो जाती है | मंगल के धाम , और अमंगल को हरने वाले और श्री दशरथ जी के आँगन में खेलने वाले बालरूप श्री रामचन्द्र जी मुज पर कृपा करें |

⇒  || रात्रि में की गयी बजरंग बाण की यह सिद्धि, तंत्र का काम करती है ||

जब भी आपको समय लगे आप इस चौपाई का मनन करते रहे | इसके लिए आपको कोई विशेष पूजा या दीप  जलाने की भी आवश्यकता नही है | इस चौपाई के नियमित मनन करने से आपके जीवन की सभी कठिनाइयाँ स्वतः ही दूर होने लग जाएँगी |

|| जय श्री राम ||

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