गुरु कैसे बनाये /Guru Kaise Banaye :
यदि हमने किसी को गुरु नहीं बनाया है तो हमारा कल्याण कैसे होगा ? मन में यह भावना लेकर स्थान-स्थान पर गुरु का परीक्षण करने के लिए चल पड़े | किसी भी व्यक्ति में कोई गुण नजर नहीं आया | जिसे भी ज्ञानी-गुनी समझा उसमें कोई न कोई कमी नजर आई | मन में ठीस उठती थी कि क्या बिना गुरु(Guru Kaise Banaye) के ही इस संसार से जाना होगा ? जैसे ही किसी की प्रशंसा सुनी, तुरंत उसके पास जा पहुंचे | देखा तो सौ में से अस्सी गुण तो मिल गये, लेकिन दस-बीस गुण ऐसे मिले, जिनको देखकर मन में आया कि कहीं दाग है, इस व्यक्ति में भी कहीं कमी है |
निराश होकर फिर वापस घर लौट आये | किसी के पास जाकर कहे कि मैं आपसे कुछ सीखने आया हूं, तो वह कहे कि आपको कौन सिखा सकता है ? आप तो बड़े ज्ञानी है | और जिससे मन में अहंकार भी पैदा हो जाये | मन में बड़ी पीड़ा हुई कि करूं तो क्या करूं ? एक स्थान पर बैठ गये साधना में लीन | अन्तः करण से मुखमंडल पर प्रकाश आने लगा | ह्रदय की गुफा से आवाज आने लगी कि तुम गुरु को ढूँढने जा रहे हो, गुरु की परीक्षा करते हो, लेकिन अपने अंदर अभी तक शिष्यत्व, शिष्यपन को तो पैदा कर नहीं पाए | अगर तुम्हरे अंदर सच्ची जिज्ञासा और बुभुक्षा जाग्रत हो जाये तो हर स्थान पर जगह-जगह गुरु खड़े हुए है | तुम्हारा कल्याण करने के लिए हर स्थान पर गुरु है, पहले तुम अपने शिष्यत्व को पूर्ण करो | तुम्हरे अंदर जिज्ञासा होगी, हर जगह से शिक्षा मिलेगी |
अन्य जानकारियाँ :-
इस दुनिया में जितने भी मानव है सम्पुर्ण कोई नहीं है | कोई न कोई कमी हर किसी में है | तुम्हे जरुरत है अपने विवेक और बुद्धि से काम लेने की | विवेक से अपनी श्रद्धा भाव को बढ़ाओ, विश्वास को उत्पन्न करो और अपना कल्याण करो | फिर देखो शिक्षा देने के लिए जगह-जगह पर तुम्हें किसी ने किसी रूप में गुरु(Guru Kaise Banaye) दिखाई देंगे | गुरु कोई वस्तु नहीं जिसे आप खरीदने के लिए बाज़ार में निकल जाये और ढूंढ कर ले आये | अपनी इच्छा शक्ति को गहरा करें, और फिर देखे किसी न किसी रूप में आपको गुरु हर जगह दिखाई देंगे |