ॐ
ॐ शब्द शिव का प्रतीक है | यदि इसे शुभ मुहूर्त में उकेरकर प्राणप्रतिष्ठित किया जाए तो इसमें अतुल्य शक्ति होती है | इसे लॉकेट के रूप में धारण किया जाता है | प्राणप्रतिष्ठित ॐ में अद्रश्य रोग निवारक शक्ति होती है | अतः रोगी के लिए ॐ का लॉकेट विशेष प्रभावी माना जाता है | जो लोग अपरिहार्य कारणों से विधिवत ॐ धारण नहीं कर सकते है | उन्हें किसी भी सोमवार को चांदी का ॐ का लॉकेट धारण के लेना चाहिए | यह लॉकेट रोग प्रतिरोधक क्षमता में अचानक वृद्धि करता है जिससे औषधि लाभ भी पर्याप्त प्रभावी होता है |
श्रीं
श्रीं स्वयं में एक अद्भुत शक्ति सम्पन्न मन्त्र भी है | लेकिन हम यहाँ इसे प्रतीक के रूप में ही जानेंगे | जहाँ तक संभव हो इसे स्वर्ण पर उकेरा जाना चाहिए | कुछ लोग चंद्रमा की अनुकूलता के लिए इसे चांदी पर भी उकेरने की सलाह देते है | श्रीं को कभी भी नाभि के नीचे के अंगों या कमर पर नहीं धारण करना चाहिए | इसे धारण करने का सर्वश्रेष्ठ अंग कंठ है | हालाँकि आप इसे दाहिने हाथ की किसी भी ऊँगली में भी धारण कर सकते है |
श्रीं लॉकेट को पुष्य नक्षत्र में बनाया और धारण किया जाना चाहिए | धन वृद्धि के लिए इससे बेहतर कुछ नहीं है | जो लोग आर्थिक द्रष्टि से बहुत परेशान है, उनके लिए यह रामबाण है |
स्वस्तिक
यह ब्रह्मज्ञान के गूढ़ रहस्यों को संजोये है | तदनुरूप ही इसकी विलक्षणता है | साधारण से प्रतीत होने वाले स्वस्तिक पर ध्यान केन्द्रित किया जाये तो यह मनुष्य का परमोच्च स्थिति के पहुंचा सकता है | इसका महात्म्य वर्णनातीत है |
स्वस्तिक का चिन्ह परम कल्याणी और अनुभवसिद्ध है | यह सभी वर्गों के लिए उपयोगी है | अध्यात्मिक और भौतिक किसी भी रूप में स्वस्तिक का लाभ लिया जा सकता है | यह भगवान् विष्णु का अनुपम शक्ति से ओत-प्रोत है | जिन लोगों के घरों में कलह का वातावरण है उन्हें अपनी पौली( कवर्ड एरिया का मुख्य द्वार ) और मुख्य द्वार दोनों पर एक -एक स्वस्तिक को हल्दी के पाउडर से बनाना चाहिए और फिर चमत्कार देखे | जैसे आपने अपनी अर्जी सच्चिदानंद ब्रह्मा के द्वार पर ही लगा दी है | कुछ ही माह में आप चमत्कृत हो जायेंगे | लेकिन किसी भी वस्तु या यंत्र की शक्ति उसके निर्माण पर निर्भर करती है |