ब्रहस्पति के प्रसिद्द रत्न पुखराज को जनमानस का रत्न भी कहा गया है | ब्रहस्पति चूँकि आकाश मंडल का विशालतम गृह है | अतः इसे ग्रहों के गुरु की पदवी प्राप्त है | इसलिए ही ब्रहस्पति का एक प्रसिद्द नाम गुरु भी है | प्रायः आम जन में इसे गुरु के नाम से पुकारा जाता है | यह बौद्धिक गृह है | मानसिक शक्ति, बल-बुद्धि, विवेक, वैवाहिक जीवन, धन-वैभव, राजयोग और पुत्र संतान का यह प्रधान कारक है | इसलिए इन गुणों के विकास के लिए भी पुखराज/(Pukhraj Ratan ke Fayde in Hindi) को धारण किया जाता है |
पुखराज बहुत से हल्के रंगों में प्राप्त होता है | लेकिन पीले रंग का होने से ब्रहस्पति प्रधान रत्न की श्रेणी में आता है | पुखराज को बहुत ही चमत्कारी पत्थर माना जाता है | इसे पीतमणि भी कहा गया है | यह हीरे की तुलना में कम कठोर होता है | इसे पत्थर में म्रदु श्रेणी का रत्न कहा गया है | इसको तराशना हीरे और नीलम की बनिस्बत सरल है | ज्यादातर पुखराज अंडाकार या समचौरस रूप में तराशे गये होते है |
पुखराज और मोती के सन्दर्भ में एक समान बात भी है कि दोनों ही रत्न सामान्य तौर पर सहज रूप से पहने जाते है | क्योंकि दोनों ही रत्नों के विपरीत प्रभाव न के बराबर है | मोती तो वैसे भी बहुत ही शीतल और सौम्य रत्न है | जिन लोगों के जन्मांग चक्र में ब्रहस्पति अनुकूल या कारक गृह है उन्हें तो पुखराज धारण करना ही चाहिए | प्रायः भारत में पुखराज नहीं पाया जाता है | जो भी पुखराज भारत में प्राप्त होते है, वे अक्सर निम्न श्रेणी के माने जाते है | बर्मा, श्रीलंका और ब्राजील में मिलने वाले पुखराज को बेहतर समझा गया है | आधुनिक काल में ब्राजील की खानों से जो पुखराज उत्खनन होते है, वे दूसरों की तुलना में मूल्यवान कहे जाते है |
Pukhraj Ratan ke Fayde in Hindi
यद्यपि रत्नों की श्रेणी में तो पुखराज का स्थान हीरे और माणिक्य के उपरांत है | तथापि अपनी गुणवत्ता, सौम्यता और अपनी अलौकिक शक्ति के कारण पुखराज जनमानस में अधिक प्रचलित है | इसके पीछे नीलम जैसा आतंक नहीं जुड़ा है | बल्कि मोती जैसी मृदुता और हीरे जैसी स्वच्छता इसे धारणीय या संग्रहनीय बनाती है | पुखराज के सबंध में यह मान्यता है कि इसे कोई भी पहन सकता है | तथापि हम इस तथ्य का समर्थन नहीं करते कि पुखराज को कोई भी व्यक्ति बिना जन्मकुंडली का परिक्षण किये धारण कर सकता है | क्योंकि ब्रहस्पति देव गुरु होने के बावजूद कुछ दोषों से दूषित होता ही है | जैसे ब्रहस्पति यदि मारकेश है तो वह अपनी दशा-अंतर्दशा में शारीरिक कष्ट देता है | इसलिए यह जरुरी है कि पुखराज को भी दुसरे रत्नों की भांति ही जन्मांग चक्र के परिक्षण के उपरांत ही धारण करना बेहतर है |
चपटा, समचौरस और पीली आभायुक्त पुखराज श्रेष्ठ कहा गया है | विभिन्न स्थानों की उपलब्धता के अनुसार कई दुसरे हल्के रंगों में भी प्राप्त होता है | विशेष रूप से गुलाबी, नीला, सफ़ेद और लाल रंगत के युक्त पुखराज भी प्राप्त होते है | यद्यपि पीला रंग ही अपनी पूर्ण गहराई से प्राप्त होता है, लेकिन शेष सभी रंगों में इन रंगों की आभा रहती है | और ये रंग बहुत हल्के दिखाई देते है | हालाँकि इन सभी रंगों के पत्थर भी पुखराज ही होंगे, तथापि पीले रंग के पुखराज को ही ब्रहस्पति की अनुकूलता के लिए धारण किया जाता है | शेष सभी सौंदर्य-वृद्धि और आभूषणों में प्रयुक्त होते है |
पुखराज पूर्णतः पारदर्शी रत्न है | छूने पर बहुत ही चिकना प्रतीत होता है | ऊँचे दर्जे का पुखराज हमेशा काँच की तरह चमकीला और स्वर्ण आभायुक्त दिखाई देता है | हथेली पर रखने पर यह अन्य सभी रत्नों की तुलना में भारीपन का अहसास देता है | इसके अंदर बहुत ही सूक्ष्म जाला होता है | जो साधारण आँखों से प्रायः दिखाई नहीं देता है | लेकिन कम मूल्यवान में यह स्पष्ट दिखाई देगा | छोटे और मझोले दुकानदार प्रायः सुनैले को पुखराज बताकर बेचते है | कोई-कोई शातिर व्यापारी पीले अमेरिकन डायमंड(कांच के टुकड़े) को ही पुखराज बता कर बेच देता है | इसलिए पुखराज को विशेषज्ञ से जांच करवाकर या लेबोरेट्री में परिक्षण के बाद ही खरीदना श्रेयस्कर है |
पुखराज धारण करने की विधि :-
पुखराज को स्वर्ण की अँगूठी या चांदी की अँगूठी में जड़वाकर शुक्ल पक्ष के ब्रहस्पति वार को सुबह-सुबह इसकी पूजा आदि करने के उपरांत धारण करना चाहिए | पुखराज की पूजा इस प्रकार से करें :- ब्रहस्पति वार को सुबह-सुबह स्नान आदि से निवृत होकर पूजा स्थल पर बैठ जाये अब पहले पुखराज को दूध से स्नान कराये, फिर शहद से स्नान कराये और अंत में गंगाजल से स्नान कराये | अब इसे पूजा स्थल पर रख दे और दीपक प्रज्वल्लित कर इस मंत्र के यथासंभव जप करें : ॐ ब्रह्म ब्रहास्पतिये नमः | अब पुखराज पर कुमकुम से तिलक करें व अक्षत अर्पित करें अंत में दीपक के ऊपर से पुखराज को 21 बार वार कर तर्जनी ऊँगली में धारण करें |
Pukhraj Ratan ke Fayde in Hindi :
पुखराज धारण करने के फायदे :-
- पुखराज धारण करने से जीवन में हर तरफ उन्नति, सौभाग्य और भाग्य उदय होता है | हर तरफ से सुख प्राप्त होता है |
- पुखराज पहनने से पुत्र की प्राप्ति होती है | जिन लोगों के विवाह में विलंभ हो रहा हो उनके लिए भी पुखराज विवाह के शुभ संकेत लेकर आता है |
- शारीरिक कष्टों में भी पुखराज पहनना शुभ माना जाता है जैसे : सीने में जलन, श्वास की बीमारी व गले के रोग में पुखराज लाभ प्रदान करता है | इनके अतिरिक्त अल्सर, गठिया, टी.बी., नपुंसकता जैसे रोगों में भी पुखराज धारण करने से आराम मिलता है |
- इस रत्न को धारण करने से शिक्षा क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है |
- मान-सम्मान और यश की प्राप्ति के लिए भी पुखराज धारण किया जा सकता है |
- यदि आप अध्यात्म की ओर अग्रसर होना चाहते है तो पुखराज/(Pukhraj Ratan ke Fayde in Hindi) आपके लिए सबसे उपयुक्त रत्न है |