अच्छे माता-पिता कैसे बने ? अपने बच्चों की परवरिश इस प्रकार से करें

By | May 24, 2020

आज का समय प्रतिस्पर्धा का समय है | आज के आधुनिक युग में छोटा परिवार सुखद परिवार माना गया है | किन्तु परिवार को छोटा करने की दिशा में अपने ही माता-पिता से दूर हो जाना कहाँ उचित है | इस आधुनिक युग में पैसा और पॉवर की चाह में हर व्यक्ति लगा रहता है | किन्तु एक व्यस्क व्यक्ति के जीवन में बहुत से दायित्व होते है | केवल और केवल पैसा कमाना – नौकरी करना – व्यवसाय करना – सत्ता में पॉवर पाना ही सब कुछ नहीं है | एक व्यक्ति का अपने परिवार के प्रति – अपनी पत्नी के प्रति – अपने बच्चों के प्रति – अपने माता-पिता के प्रति – समाज के प्रति और अपने देश के प्रति भी कुछ दायित्व होते है | आज हम आपको अपने बच्चों के प्रति एक व्यक्ति के क्या दायित्व होते है इस विषय में जानकारी देने वाले है |

अच्छे पिता कैसे बने :

जिस दिन आप एक पिता बनते है वह दिन आपके जीवन का सबसे सौभाग्यशाली दिन होता है | आपको उस दिन ही इस विषय में सोचना आरम्भ कर देना चाहिए कि क्या मैं भविष्य में एक अच्छा पिता बन पाउँगा ? यदि आप इस दिशा में थोडा सोचते लगने है तो बेशक आप एक अच्छे पिता बनने की दिशा में आगे बढ़ रहे है अब आपको आवश्यकता है उचित मार्गदर्शन की | यह मार्गदर्शन स्वयं के ज्ञान – व्यवहार और आचरण से आप स्वयं ही अर्जित कर सकते है | यदि फिर भी आपको मार्गदर्शन की आवश्यकता है तो आइये हम आपकी सहायता करने का प्रयास करते है :

Acche Mata Pita Kaise Bane

Acche Mata Pita Kaise Bane

यदि आपको आपका बचपन याद है तो थोड़ा स्वयं के बचपन के दिनों को याद करें | जब आप छोटे थे तो आप अपने माता-पिता से क्या उम्मीद करते थे ? अपने माता-पिता से क्या पाना चाहते थे ? समय-समय पर उनका डाटना क्या सही था ? उनका पिटाई करना क्या सही था ? क्या उन्होंने आपको कभी गलत काम करने पर डाटा ? क्या उन्होंने आपको समय दिया ? क्या उन्होंने आपकी भावनाओं को समझा ? ये सब वो बातें है जो आपके बचपन में बहुत बार घटित हुई है | अब आपके बच्चे भी इन्हीं सब घटनाओं के साथ बड़े होने वाले है | बस अंतर इतना है कि आप किस प्रकार से इनका सामना करते है ?

  • एक पिता का अच्छा व्यवहारिक व सामाजिक होना बहुत आवश्यक है या कहे एक अच्छा इंसान होना बहुत आवश्यक है | क्योंकि बच्चे सबसे अधिक अपने माता-पिता से ही सीखते है | यदि आपका स्वभाव अच्छा है | आप हमेशा सच बोलते है | आप विन्रम है | आप सहनशील है | आप मेहनती है | अपने से बड़ों की इज्जत करते है | अपने से छोटों से प्रेम करते है तो आपको कुछ नया करने की आवश्यकता नहीं है वही सब आपका बच्चा स्वतः ही सीखने वाला है |
  • बच्चे के जन्म से 5 वर्ष तक आपको सिर्फ उसे अच्छा पोषण देने की आवश्यकता है | उसे प्रेम करने की आवश्यकता है | उसे अच्छा और स्वस्थ वातावरण प्रदान करने की आवश्यकता है | समय-समय पर टीका आदि लगवाने की आवशयकता है | मीठा बोलने की आवश्यकता है | इन सबके अतिरिक्त आपको कुछ नया नहीं करना है | जब तक आपका बच्चा 5 वर्ष तक है |
  • जब आपका बच्चा 5 वर्ष का हो जाता है अब उसमें भावनाएं जन्म लेने लगती है | अब आपको थोडा सतर्क होने की आवश्यकता है | बिना वजह बच्चे को डांटना – अपशब्द बोलना – बच्चे के सामने लड़ाई झगड़ें करना ये सब आपको बंद कर देना है |
  • जब आपका बच्चा स्कूल जाने लगता है तो अब आपको थोड़ा और ध्यान देने की आवशयकता है | बच्चे को अच्छे स्कूल में भेजे जहाँ न केवल पढाई पर ध्यान दिया जाता हो बल्कि और भी सामाजिक व व्यक्तिगत विकास के पहलुओं पर ध्यान दिया जाता हो |
  • जब आपका बच्चा 12 वर्ष 18 वर्ष के बीच रहता है तो यह समय उसके शारीरिक व मानसिक विकास का होता है | इस अवधि में आपको अपने बच्चे के व्यवहार में होने वाले परिवर्तन को जरुर ध्यान में रखना है | क्या आपका बच्चा जिद्दी तो नहीं बन रहा है ? क्या आपका बच्चा छोटी-छोटी बातों पर तनाव तो महसूस नहीं करता है ? क्या आपका बच्चा गंदे बच्चों की संगत में तो नहीं जा रह रहा है ? क्या आपका बच्चा बाहरी खेल-कूद से दूर तो नहीं रहता है ? क्या बच्चे का पढाई में ठीक से मन लगता है ? ये सभी आपको अच्छे से विश्लेषण करना है | प्रेम भाव से समझाकर और अच्छे -अच्छे उदाहरण के माध्यम से आप अपने बच्चे में आने वाले उपरोत्क अवगुणों को दूर कर सकते है |
  • महपुरुषों की जीवनियाँ बच्चे को कहानियों के माध्यम से अवश्य सुनाये | यह उनके लिए प्रेरणा स्त्रोत बन सकती है |
  • 18 वर्ष के बाद आपका बच्चा बड़ा हो गया है | वह परिपक्व हो गया है | अब उसकी रूचि किस क्षेत्र में है यह उससे पूछे और उस क्षेत्र में आगे बढ़ने में उसकी सहायता करें |

संक्षेप में :

बच्चे का शारीरिक व मानसिक विकास अच्छे से करें | बच्चे को नैतिक मूल्यों की अच्छे से समझ दे ताकि वह अच्छे व बुरे में अन्तर कर सके | बच्चे को व्यवहारिक बनाये | आधुनिक समाज में प्रतिस्पर्धा के महत्व को बच्चे को अवश्य समझाए | मुशीबत आने पर हताश न होकर किस प्रकार से उसका सामना किया जाये यह अपने बच्चे को अवश्य सिखाये | विफल होने पर क्या करना है ? या विफलता का सामना कैसे करना है इसकी समझ बच्चे में होना बहुत आवश्यक है |

सभी माता-पिता अपने बच्चों से बहुत प्रेम करते है | जिनमें से कुछ ऐसे होते है जो अपने बच्चों से इतना अधिक प्रेम करते है कि उसे किसी प्रकार की जीवन में कठिनाई न अनुभव हो , उसे हर प्रकार का सुख मिले , उसकी सब इच्छाएं पूरी करें , अपने बच्चे की गलती पर भी दुसरे के बच्चे को डांट लगाये, बिना सच्चाई जाने अपने बच्चे का ही पक्ष ले, क्या ऐसे माता-पिता अपने बच्चे का ठीक से शारीरिक व मानसिक विकास कर रहे है ? मेरे मत के अनुसार हर 100 में से 90 ऐसे माता-पिता बच्चे की परवरिस ठीक से नहीं कर पा रहे है | आपको यह पोस्ट कैसा लगा अपने विचार आप हमसे शेयर कर सकते है |