चंद्रशेखर रस का विशेष उपयोग पित्तस्लेष्मा ज्वर में-शरीर में दाह, तन्द्रा अरुचि, कभी-कभी अंग में दाह हो और कभी किसी अंग में ठण्ड लगे ऐसे लक्षण उत्पन्न होने पर किया जाता है | इस ज्वर में कफ रुक जाता है और पित्त पतला होकर कफ से मिल जाता है | ये दोनों आमाशय में स्त्रोतों को रोक देते है, जिससे आमाशय का पित्त मंद होकर ज्वर ज्वर उत्पन्न कर देता है(Chandrashekhar Ras in Hindi)|
ऐसे ज्वर में चंद्रशेखर रस देने से तुरंत लाभ होता है, क्योंकि इसमें सुहागा की खील काफघं होने की वजह से दूषित कफ को निकाल कर अमाशायस्थ पित्त को जाग्रत कर देता है | फिर यह जाग्रत जठराग्नि अपना कार्य करने में समर्थ हो जाती है और ज्वरादि भी कम होने लगते है |
Chandrashekhar Ras in Hindi
चंद्रशेखर रस प्रमुख घटक : –
शुद्ध पारा १ तोला , शुद्ध गंधक २ तोला, मिर्च २ तोला, सुहागे की खील २ तोला, मिश्री ७ तोला – इन सबकों एकत्र कर रोहू मछली के पित्त के साथ ३ दिन खरल में घोंट कर २ – २ रत्ती की गोलियाँ बना सुखाकर रख ले |
सेवन विधि : –
१ -१ गोली सुबह- शाम, अदरक रस और मधु अथवा ठंडे जल के साथ दे | रक्त पित्त में आंवलें के मुरब्बे से और बच्चों को माता के दूध के साथ दे |
चंद्रशेखर रस के गुण और उपयोग : –
इस रसायन के सेवन से जीर्ण ज्वर, रक्त पित्त, श्वास-खाँसी आदि रोग नष्ट हो जाते है | बच्चों की खांसी, ज्वर पसली चलना आदि बिमारियों में इसका उपयोग बहुत लाभदायक है |
इस रसायन में कज्जली कीटाणुनाशक, रसायन और विकाशी है | मिर्च-तीव्र पाचक और उत्तेजक है | सुहागा-आक्षेप, पाचक, कफ पतला करनेवाला और प्रसन्नताकारक है |
चंद्रशेखर रस( गोरोचन युक्त) : –
इस रसायन का उचित अनुपात के साथ प्रयोग करने से बच्चों के समस्त प्रक्कर के रोग यथा-दूध का वमन होना, हर-पीले फटे दस्त होना, पेट में आफरा हो जाना, सुखा रोग, जीर्ण ज्वर, रक्त पित्त, श्वास, खांसी, स्तन्यदोश, सन्निपात, अजीर्ण, अतिसार, शुल, जुकाम(नाक बहना), बच्चों को धातुर्वात, डब्बा रोग(पसली चलना) आदि रोगों को शीघ्र नष्ट करता है तथा इसके सेवन से बच्चे हष्ट-पुष्ट एवं निरोग रहते है |
अन्य जानकारियाँ : –
चंद्रशेखर रस (गोरोचन रहित) : –
इस रसायन का प्रयोग करने से बच्चों के समस्त प्रकार के जीर्ण ज्वर, रक्तपित्त, श्वास, कास इन रोगों को शीघ्र नष्ट करता है | रक्तपित्त रोग में आँवला मुरब्बा के साथ देने से अच्छा लाभ करता है | इसके अतिरिक्त बालशोष, बच्चों के यकृत विकार, अजीर्ण , अग्निमांद्य, रक्ताल्पता आदि विकारों को शीघ्र नष्ट करता है(Chandrashekhar Ras in Hindi) |