गरुड़ आसन खड़े होकर किये जाने वाले सरल आसनों में से एक है | इस आसन में आपकी आकृति ठीक गरुड़ पक्षी के समान होती है | इसलिए इसका नाम गरुड़ आसन/Garudasana ke Labh रखा गया है | सभी आसन योग के ही स्वरुप होते है | इन्हें ठीक प्रकार से करने से जातक को शारीरिक रूप से अलग-अलग लाभ मिलते है | इस आसन में आप एक पैर पर खड़े होते है | आपके दोनों हाथ परस्पर एक दुसरे के आगे-पीछे नीचे दिए गये चित्र के समरूप होते है |
हिन्दू धर्म में गरुड़ पक्षी को भगवान श्री विष्णु का वाहन माना गया है जो कि शक्ति, संतुलन, समन्वय और सामंजस्य का प्रतीक है | इसी प्रकार गरुड़ आसन के माध्यम से जातक अपनी शक्ति, संतुलन, समन्वय और सामंजस्य का परिचय देते है |
गरुड़ासन करने की विधि :
किसी एकांत व खुले स्थान पर जाये | अब सीधे खड़े हो जाये | अपने दायें पैर को आगे से घुमाकर अपने बाएं पैर के ठीक पीछे ले जाए | इस अवस्था में आपके दायें पैर का अग्र भाग आपके बाएं पैर की पिंडी को स्पर्श करेगा | अब अपनी दोनों कोहनियों और हाथों को परस्पर मिलाते हुए नीचे दिए गये चित्र अनुसार आकृति बनाये |
ठीक आकृति में आने के बाद 20 से 30 सेकंडस तक ऐसे ही रहे अब ठीक इसके विपरीत करें | इस बार बाएं पैर को आगे से घुमाकर दायें पैर के पीछे ले जाये | बाकी क्रिया पहले जैसे ही करें | इस आसन को आप अपनी क्षमता के अनुरूप 5 से 7 बार कर सकते है |
जिन लोगों की जांघे मोटी होती है उन्हें इस आसन को करने में थोड़ी परेशानी का अनुभव हो सकता है | लेकिन बार-बार अभ्यास से इस आसन में सफलता मिलती है |
Garudasana ke Labh
गरुड़ आसन के लाभ :
- जो लोग अपने शरीर का संतुलन नहीं बना पाते है उनके लिए निरंतर अभ्यास से यह सम्भव होने लगता है |
- इस आसन से कंधो में लचक (flexibility) आती है |
- इस आसन का नियमित अभ्यास अंडकोष के बढ़ने की समस्या को रोकता है |
- गरुड़ आसन का नियमित प्रयोग टांगो -भुजाओं व पसलियों के विकारों को दूर करता है |
- घुटनों में जोड़ो का दर्द व कोहनी में जोड़ो का दर्द इन रोगों में इस आसन के करने अवश्य लाभ मिलता है |
- गरुड़ आसन से पैरों को बल मिलता है |
ध्यान देने योग्य : जिन लोगों को गठिया रोग अधिक है या जोड़ों की समस्या अधिक होती है उन्हें इस आसन को नहीं करना चाहिए | अधिक मोटे लोग इस आसन/(Garudasana ke Labh) को किसी experts की देख-रेख में करें |