यह रोचक घटना रामायण काल की है जब महाबली बाली आपनी शक्ति के घमंड में चूर होकर इस धरा पर इधर-उधर भटकने लगा ताकि कोई ऐसा मिले जो उससे युद्ध में ललकार सके उसे हरा सके | बीच रास्ते में बाली की मुलाकात हनुमान जी/Hanuman Bali Yudh से होती है और हनुमान किस प्रकार से बाली का घमंड दूर करते है आइये जानते है इस पोस्ट के माध्यम से |
बाली और सुग्रीव दोनों भाई ब्रह्मा जी के अंश माने गये है | बाली को ब्रह्मा जी से यह वरदान प्राप्त था कि युद्ध में वह जिस भी व्यक्ति से सामने जायेगा, सामने वाले प्रतिद्वंधी का आधा बल बाली में समा जायेगा और इस प्रकार बाली बड़ी ही आसानी से युद्ध में विजय प्राप्त कर लेगा | ब्रह्मा जी के इस वरदान से बाली में घमंड का समावेश हो गया और जब उनसे रावण को युद्ध में पराजित किया तो उसके बाद से बाली का घमंड सातवे आसमान को छूने लगा |
अब बाली/Hanuman Bali Yudh जगह जगह वन में अपनी ताकत पर घमंड करता फिर रहा था ऐसा बोलते हुए कि है कोई योद्धा जिसने अपनी माँ का दूध पिया और और मुझे युद्ध में हरा सके | बार-बार बाली के ऐसे वचन कहने से पास में ही बजरंग बाली राम नाम लेने में लीन थे, उनकी तपस्या में भंग उत्पन्न हुआ | हनुमान जी अपनी जगह से खड़े होकर बाली के पास जाकर बोले, हे ब्रह्म पुत्र बाली आप बहुत बलशाली है आपको इस प्रकार के वचन बोलना शोभा नहीं देता | आपको अपनी शक्ति का सदुपयोग करना चाहिए ना कि इस प्रकार से जंगल के पेड़-पौधों को उजाड़कर, उनकी हानि करके | हे बाली : आप भगवान् श्री राम के नाम ले | राम के नाम से आप अपनी शक्ति के इस घमंड को दूर कर पाएंगे |
Hanuman Bali Yudh
और राम नाम का जाप कर,,
इससे तेरे मन में अपने बल का भान नही होगाऔर राम नाम का जाप करने से ये लोक और परलोक दोनों ही सुधर जाएंगे | इतना सुनते ही बाली अपने बल के मद चूर हनुमान जी से बोला- ए तुच्छ वानर,, तू हमें शिक्षा दे रहा है, राजकुमार बाली को, जिसने विश्व के सभी योद्धाओं को धूल चटाई है | और जिसके एक हुंकार से बड़े से बड़ा पर्वत भी खंड खंड हो जाता है | जा तुच्छ वानर, जा और तू ही भक्ति कर अपने राम वाम के | और जिस राम की तू बात कर रहा है, वो है कौन, और केवल तू ही जानता है राम के बारे में | मैंने आजतक किसी के मुँह से ये नाम नही सुना, और तू मुझे राम नाम जपने की शिक्षा दे रहा है |
हनुमान जी ने कहा- प्रभु श्री राम, तीनो लोकों के स्वामी है, उनकी महिमा अपरंपार है,
ये वो सागर है जिसकी एक बूंद भी जिसे मिले वो भवसागर को पार कर जाए | बाली- इतना ही महान है राम तो बुला ज़रा,
मैं भी तो देखूं कितना बल है उसकी भुजाओं में | बाली को भगवान राम के विरुद्ध ऐसे कटु वचन हनुमान जो को क्रोध दिलाने के लिए पर्याप्त थे | हनुमान- ए बल के मद में चूर बाली,, तू क्या प्रभु राम को युद्ध मे हराएगा,, पहले उनके इस तुच्छ सेवक को युद्ध में हरा कर दिखा | बाली- तब ठीक है कल के कल नगर के बीचों बीच तेरा और मेरा युद्ध होगा,, हनुमान जी ने बाली की बात मान ली | बाली ने नगर में जाकर घोषणा करवा दिया कि कल नगर के बीच हनुमान और बाली का युद्ध होगा | अगले दिन तय समय पर जब हनुमान जी बाली से युद्ध करने अपने घर से निकलने वाले थे | तभी उनके सामने ब्रम्हा जी प्रकट हुए |
हनुमान जी ने ब्रम्हा जी को प्रणाम किया और बोले- हे जगत पिता आज मुझ जैसे एक वानर के घर आपका पधारने का कारण अवश्य ही कुछ विशेष होगा | ब्रम्हा जी बोले- हे अंजनीसुत, हे शिवांश, हे पवनपुत्र, हे राम भक्त हनुमान – मेरे पुत्र बाली को उसकी उद्दंडता के लिए क्षमा कर दो और युद्ध के लिए न जाओ,हनुमान जी ने कहा- हे प्रभु | बाली ने मेरे बारे में कहा होता तो मैं उसे क्षमा कर देता- परन्तु उसने मेरे आराध्य श्री राम के बारे में कहा है जिसे मैं सहन नही कर सकता | और मुझे युद्ध के लिए चुनौती दिया है | जिसे मुझे स्वीकार करना ही होगा,
अन्यथा सारी विश्व मे ये बात कही जाएगी कि हनुमान कायर है जो ललकारने पर युद्ध करने इसलिए नही जाता है क्योंकि एक बलवान योद्धा उसे ललकार रहा है | तब कुछ सोंच कर ब्रम्हा जी ने कहा- ठीक है हनुमान जी,, पर आप अपने साथ अपनी समस्त सक्तियों को साथ न लेकर जाएं | केवल दसवां भाग का बल लेकर जाएं, बाकी बल को योग द्वारा अपने आराध्य के चरणों में रख दे, युद्ध से आने के उपरांत फिर से उन्हें ग्रहण कर लें | हनुमान जी ने ब्रम्हा जी का मान रखते हुए वैसे ही किया और बाली से युद्ध करने घर से निकले | उधर बाली नगर के बीच मे एक जगह को अखाड़े में बदल दिया था | और हनुमान जी से युद्ध करने को व्याकुल होकर बार बार हनुमान जी को ललकार रहा था |
पूरा नगर इस अदभुत और दो महायोद्धाओं के युद्ध को देखने के लिए जमा था | हनुमान जी/Hanuman Bali Yudh जैसे ही युद्ध स्थल पर पहुँचे | बाली ने हनुमान को अखाड़े में आने के लिए ललकारा | ललकार सुन कर जैसे ही हनुमान जी ने एक पावँ अखाड़े में रखा | उनकी आधी शक्ति बाली में चली गई | बाली में जैसे ही हनुमान जी की आधी शक्ति समाई | बाली के शरीर मे बदलाव आने लगे, उसके शरीर मे ताकत का सैलाब आ गया,बाली का शरीर बल के प्रभाव में फूलने लगा,,उसके शरीर फट कर खून निकलने लगा,,बाली को कुछ समझ नही आ रहा था | तभी ब्रम्हा जी बाली के पास प्रकट हुए और बाली को कहा- पुत्र जितना जल्दी हो सके यहां से दूर अति दूर चले जाओHanuman Bali Yudh |
बाली को इस समय कुछ समझ नही आ रहा रहा | वो सिर्फ ब्रम्हा जी की बात को सुना और सरपट दौड़ लगा दिया सौ मील से ज्यादा दौड़ने के बाद बाली थक कर गिर गया | कुछ देर बाद जब होश आया तो अपने सामने ब्रम्हा जी को देख कर बोला- ये सब क्या है | हनुमान से युद्ध करने से पहले मेरा शरीर का फटने की हद तक फूलना | फिर आपका वहां अचानक आना और ये कहना कि वहां से जितना दूर हो सके चले जाओ,मुझे कुछ समझ नही आया | ब्रम्हा जी बोले-, पुत्र जब तुम्हारे सामने हनुमान जी आये, तो उनका आधा बल तममे समा गया, तब तुम्हे कैसा लगा | बाली- मुझे ऐसा लग जैसे मेरे शरीर में शक्ति की सागर लहरें ले रही है | ऐसे लगा जैसे इस समस्त संसार मे मेरे तेज़ का सामना कोई नही कर सकता | पर साथ ही साथ ऐसा लग रहा था जैसे मेरा शरीर अभी फट पड़ेगा |
ब्रम्हा जो बोले- हे बाली, मैंने हनुमान जी को उनके बल का केवल दसवां भाग ही लेकर तुमसे युद्ध करने को कहा,,पर तुम तो उनके दसवें भाग के आधे बल को भी नही संभाल सके | सोचो, यदि हनुमान जी अपने समस्त बल के साथ तुमसे युद्ध करने आते तो उनके आधे बल से तुम उसी समय फट जाते जब वो तुमसे युद्ध करने को घर से निकलते | इतना सुन कर बाली पसीना पसीना हो गया | और कुछ देर सोच कर बोला- प्रभु, यदि हनुमान जी के पास इतनी शक्तियां है तो वो इसका उपयोग कहाँ करेंगे | ब्रम्हा- हनुमान जी/Hanuman Bali Yudh कभी भी अपने पूरे बल का प्रयोग नही कर पाएंगे | क्योंकि ये पूरी सृष्टि भी उनके बल के दसवें भाग को नही सह सकती |
ये सुन कर बाली/Hanuman Bali Yudh ने वही हनुमान जी को दंडवत प्रणाम किया और बोला,, जो हनुमान जी जिनके पास अथाह बल होते हुए भी शांत और रामभजन गाते रहते है और एक मैं हूँ जो उनके एक बाल के बराबर भी नही हूँ और उनको ललकार रहा था,,मुझे क्षमा करें |और आत्मग्लानि से भर कर बाली ने राम भगवान का तप किया और अपने मोक्ष का मार्ग उन्ही से प्राप्त किया |