लग्न कुंडली के सभी 12 भाव में जब मंगल और राहु अलग अलग भाव में होते है तो यह सामान्य होता है न मंगल अपने प्रभावहीन होते है और न ही राहु अपने विपरीत प्रभाव दिखाते है | किन्तु जब मंगल और राहु दोनों किसी एक भाव में एक साथ बैठ जाये तो यह विशेष रूप जातक को चिडचिडा, आर्थिक तंगी के साथ-साथ उस भाव से जुड़े फल को विपरीत रूप से प्रभावित करते है |
ज्योतिष शास्त्र की द्रष्टि से कुंडली में मंगल और राहु गृह की एक भाव में युति को अंगारक योग या अंगारक दोष कहा गया है | मंगल ग्रह हमारे नवग्रह में सेनापति हैं जबकि राहु पापी ग्रह हैं और इस ब्रह्मांड में दिखाई नहीं देते लेकिन ज्योतिष की दुनिया में जबरदस्त प्रभाव डालते हैं। मंगल उग्र ग्रह हैं। जोशीले ग्रह हैं। राहु मायावी ग्रह हैं। छल-कपट करने वाले ग्रह हैं।
कुंडली में व्यक्ति क्रोध में फंसा रहता है और निर्णय लेने में सक्षम नहीं होता है. अंगारक योग मुख्य रूप से क्रोध, अग्नि, दुर्घटना, रक्त संबंधी रोग और त्वचा की समस्याओं का कारण बनता है. अंगारक योग की पहचान व्यक्ति के व्यवहार से भी की जा सकती है. इसके प्रभाव से व्यक्ति अत्यधिक क्रोधी हो जाता है |
जैसा कि हमने जाना मंगल और राहु की युति जिस भाव में बनती है वे उस भाव से मिलने वाले परिणाम को बुरी तरह प्रभावित करते है | आइये जानते है मंगल-राहु की युति कुंडली के सभी 12 भावों को किस प्रकार प्रभावित करते है |
मंगल राहु युति 12 भावों में फल :
लग्न भाव में : जातक का लग्न भाव यानि प्रथम भाव शरीर को प्रभावित करता है | इस भाव में मंगल राहु की युति से पेट से जुडी बीमारी होना, व्यक्ति का अत्यधिक क्रोधित होना | मानसिक अस्थिरता व समय-समय पर चोटिल होते रहना इस प्रकार के विपरीत फल अंगारक दोष से प्राप्त होते है |
दुसरे भाव में : यह भाव सामान्यतः धन को व्यक्त करता है | इस भाव में मंगल और राहु की युति से क़र्ज़ होना, व्यवसाय का एकदम से ठप्प होना व आर्थिक संकट बार-बार आना इस प्रकार की समस्या का अनुभव जातक करता है |
तीसरे भाव में : इस भाव में मंगल राहु की युति से पारिवारिक रिश्ते प्रभावित होते है | भाई के साथ लड़ाई झगडा रहना, धोखे से सफलता प्राप्त करना , इस प्रकार के प्रतिकूल प्रभाव अंगारक दोष से देखने को मिलते है |
चौथे भाव में : इस भाव में मंगल राहु की युति से माँ को कष्ट झेलने पड़ते है | माता को बीमारी होने या माँ के साथ संबध ख़राब होना | जमीन-जायदाद के झगडे रहना, जमीन के मुकदमे में फसना |
पांचवे घर में : इस भाव में मंगल राहु की युति से संतान दुःख मिलता है | ऐसा जातक पुत्र प्राप्ति में परेशानी या पुत्र का गलत रास्ते पर जाना | इसके साथ में ऐसा जातक जुए लाटरी से पैसा जीतने की फ़िराक में रहने लगता है |
छटवे घर में : इस घर में मंगल राहु की युति से क़र्ज़ बढ़ना, दुर्घटना बार बार होना, ऐसा जातक किसी का मर्डर करने से भी पीछे नहीं हटता |
सातवे घर में : सातवे घर में मंगल राहु की युति पूरी तरह से वैवाहिक जीवन को ख़राब करती है | पति पत्नी में लड़ाई झगडा रहना, नाजायज सम्बन्ध बनना, दहेज़ का केश लगाना, शादी को लेकर कोर्ट में मुकदमा आदि |
आठवे घर में : इस घर में भी मंगल राहु की युति से कोर्ट केश, सड़क दुर्घटना का डर, पिता की संपत्ति को पुत्र द्वारा बर्बाद करना आदि परिणाम मिलते है |
नौवे घर में : इस घर में अंगारक दोष बनने से जातक का भाग्य बहुत बहुत ख़राब हो जाता है | ऐसा जातक धर्म में आस्था नहीं रखता है | शराब, मान मदिरा का अधिक सेवन करता है |
दशवे घर में : इस घर में अंगारक योग जातक को बहुत मेहनती बनाता है | ऐसा जातक पुलिस, फौज आदि में नियुक्त हो सकता है |
ग्यारहवे घर में : इस घर में अंगारक दोष जातक को चोर, गलत कार्यों से पैसे कमाना, जुआरी, कपटी बनाता है |
बाहरवे घर में : इस घर में मंगल राहु की युति से जातक गलत कार्यों से पैसे कमाता है | रिश्वत लेता है और पुरखों की सम्पत्ति को समाप्त कर सकता है | ऐसा जातक यदि आयात निर्यात का करता करता है तो इसमें अवश्य सफतला प्राप्त करता है |
बहुत से ज्योतिष मंगल और राहु की युति को सिर्फ आर्थिक संकट या अधिक क्रोधी बताते है किन्तु मंगल राहु की युति जिस घर में बनती है वे उसी के अनुरूप जातक को फल प्रदान करते है |