ज्योतिष के अनुसार शनि गृह की महादशा एवं महादशा के समय सभी ग्रहों की अन्तर्दशा से जातक के जीवन से सुख और दुखों का विश्लेषण बड़ी ही आसानी से किया जा सकता है | ज्योतिष द्रष्टि से एक जातक की उम्र 120 वर्ष मानी गयी है | इस 120 वर्ष काल में जातक की कुंडली में सभी ग्रहों की महादशाएँ आती है | शनि महादशा के समय शनि गृह अपने प्रबलतम स्तर पर होता है | शनि महादशा के समय शनि गृह से मिलने वाले सभी शुभ व अशुभ फल उच्चतम होते है | आज हम आपको शनि गृह की महादशा/Shani Mahadasha के समय आने वाली सभी अन्य ग्रहों की अन्तर्दशा के शुभ व अशुभ फल के विषय में जानकारी देने वाले है |
शनि गृह की महादशा के समय स्वयं शनि गृह के साथ-साथ सभी अन्य गृह भी भ्रमण करते है इसे ही अन्तर्दशा कहा गया है | शनि महादशा में सबसे पहले शनि की ही अन्तर्दशा आती है इसके बाद क्रमशः अन्य ग्रहों की अन्तर्दशायें आती है |
Shani Mahadasha
शनि महादशा में शनि की अन्तर्दशा :
शनि महादशा में शनि की अन्तर्दशा सबसे अधिक पीड़ादायक मानी गयी है | यह वह समय होता है जब जातक के जीवन में दुखों का पहाड़ टूट पड़ता है | समाज में बहुत अनादर होता है | आपके कारण आपकी पत्नी और पुत्र को भी कष्ट झेलने पड़ते है | इस समय बीमारियाँ भी लम्बे समय तक आपको परेशान कर सकती है |
शनि महादशा में बुध की अन्तर्दशा :
शनि महादशा/Shani Mahadasha में शनि की अन्तर्दशा पूर्ण होने पर बुध की अन्तर्दशा शुरू होती है | शनि दशा में बुध गृह की अन्तर्दशा जातक के जीवन को ही बदल देती है | इस समय जातक के भाग्य में ब्रद्धि होती है | समाज से मान-सम्मान प्राप्त होता है | धन और सम्पत्ति का भी विस्तार होता है | इस समय जातक का मन सदाचार की और अग्रसर होता है |
शनि महादशा में केतु की अन्तर्दशा :
केतु की अन्तर्दशा के समय जातक पित्त जनित रोगों से पीड़ित होता है | वातजन्य रोग भी जातक को परेशान करते है | जातक के मन में भय की स्थिति बनी रहती है | रात्रि को बुरे-बुरे सपने आना व अनिद्रा की शिकायत रहने लगती है | मन में हर समय बुरे भाव रहते है |
शनि महादशा में शुक्र की अन्तर्दशा :
शुक्र की अन्तर्दशा शुरू होने पर जातक के जीवन से हर दुःख दूर होने लगते है | जातक के जीवन में सुखों की वृद्धि होती है | यश और सम्मान में वृद्धि होती है | व्यवसाय में तरक्की होती है | सरकारी नौकरी के योग बनते है | शत्रुओं का नाश होता है |
Shani Mahadasha
शनि महादशा में सूर्य की अन्तर्दशा :
शनि महादशा/Shani Mahadasha में सूर्य की अन्तर्दशा आने पर जीवन में दुखों की शुरुआत होने लगती है | नेत्र और उदर सम्बन्धी रोग पनपने लगते है | मान-सम्मान में कमी आती है | सूर्य की अन्तर्दशा पूर्णरूप से कष्टकारी मानी गयी है |
शनि महादशा में चंद्रमा की अन्तर्दशा :
मंगल की अन्तर्दशा के समय आपकी नौकरी में स्थानांतरण हो सकता है | पत्नी और पुत्र से दूर जाना पड़ सकता है | इस समय जातक थोड़ा भयभीत व कमजोर महसूस करता है | यश में भी कमी आती है |
शनि महादशा में राहु की अन्तर्दशा :
राहु की अन्तर्दशा के समय स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानी होने लगती है | इस समय शत्रु आपको परेशान करने लगते है | धन की हानि होने की सम्भावना बनी रहती है |
अन्य जानकारियाँ :
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शनि महादशा में ब्रहस्पति की अन्तर्दशा :
Shani Mahadasha में ब्रहस्पति की अन्तर्दशा आमतौर पर शुभ फल देने वाली मानी गयी है | यहाँ भी ब्रहस्पति की अन्तर्दशा से जातक के जीवन में हर तरफ से सुखों की बरसात होने लगती है | धन में वृद्धि – यश में वृद्धि – व्यवसाय में उन्नति – नौकरी में उन्नति ये सभी ब्रहस्पति की अन्तर्दशा के समय प्राप्त होते है |