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हम भगवान कृष्ण को जिस रूप में प्राप्त करने का यत्न करते है वे हमें उसी रूप में स्वीकार करते है

इस भौतिक संसार में मित्रता कुछ वर्षों तक चलती है और फिर टूट जाती है, इसलिए इस विकृत, अस्थायी और अवास्तविक कहते है | यदि हम कृष्ण से मित्रता स्थापित करें, तो वह कभी नहीं टूटेगी | यदि हम कृष्ण को अपना स्वामी बना ले, तो हम कभी धोखा नहीं खायेंगे | यदि हम कृषण को पुत्र के… Read More »

इस संसार को चलाने वाली शक्ति से परिचय

यदि हम धैर्य तथा सावधानीपूर्वक इस अद्भुत ब्रह्माण्ड के विषय में विचार करें तो हम देख सकते है कि सब कुछ एक सर्वश्रेष्ठ मष्तिष्क के नियंत्रण में कार्यरत है | प्रकृति में सभी क्रियाएं पूर्ण रूप से क्रम बद्ध है(Krishan Updesh)| यदि इसके पीछे एक वैज्ञानिक तथा तकनीकी मष्तिष्क की अत्यंत सुव्यवस्थित योजना न होती तो सब कुछ… Read More »