देव की फोटो या मूर्ति को पूजा स्थल पर स्थापित करें या सिद्ध यंत्र को

By | October 14, 2020

हिन्दू धर्म में मूर्ति पूजा को महत्व दिया गया है | देव चाहे वह कोई भी हो उनकी एक छवि अवश्य होती है | देव या देवी की उसी छवि की फोटो या मूर्ति को पूजा स्थल पर रखकर पूजा या आराधना करने का प्रावधान है | बहुत से भक्तों के मन में यह दुविधा रहती है कि यंत्र और मूर्ति में से कौन सा अधिक प्रभावी रहता है |

किसी देव की मूर्ति या फोटो एक उनके स्वरूप की कल्पना मात्र है जो उनके स्वभाव और आचरण को व्यक्त करती है | यंत्र का कार्य अलग होता है | मूर्ति और यंत्र को एक साथ जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए | यंत्र में देव के बीज मंत्र या रखाओं का एक योग होता है जो देव तक आपकी अरदास पहुंचाता है |

जो भक्त मंत्र द्वारा पूजा नहीं करते है सिर्फ और सिर्फ हाथ जोड़कर या विनती के द्वारा देव की आराधना करते है उनके लिए देव की फोटो या मूर्ति प्रभावी है | फोटो या मूर्ति के माध्यम से देव का स्वरूप भक्त के ह्रदय और मन में स्थान बना लेता है और साथ ही ध्यान को केन्द्रित करने का कार्य करता है |

देव की फोटो या मूर्ति

जो भक्त किसी विशेष मनोकामना को पूर्ण करना चाहता है या फिर घर में सुख-शांति बनाये रखना चाहता है उन्हें अपने ईष्ट देव का सिद्ध यंत्र विधिवत पूजा स्थल पर स्थापित कर देव के बीज या वैदिक मंत्र द्वारा उनकी आराधना करनी चाहिए | मंत्र साधना के समय भी देव या देवी का सिद्ध यंत्र सामने रखना चाहिए |

जो भक्त यंत्र की विधिवत पूजा कर अपने पूजा स्थल पर सिद्ध यंत्र की स्थापना करते है उन्हें प्रतिदिन मंत्र जप द्वारा उनकी आराधना अवश्य करनी चाहिए | सिद्ध यंत्र की प्रतिदिन पूजा न करने से धीरे-धीरे यंत्र का प्रभाव कम होने लगता है |

अब आप समझ गये होंगे कि पूजा स्थल पर देव की फोटो(मूर्ति) को स्थापित करना चाहिए या फिर सिद्ध यंत्र की | इसमें कोई दो राय नहीं कि सिद्ध यंत्र की स्थपाना देव की प्रतिमा की अपेक्षा अधिक प्रभावी सिद्ध होती है | ध्यान देने योग्य : देव की प्रतिमा की पूजा करें या फिर सिद्ध यंत्र की दोनों में अपने ईष्ट देव के प्रति अटूट श्रद्धा – विश्वास और समर्पण भाव का होना अनिवार्य है | बिना विश्वास और श्रद्धा भाव के की गयी पूजा प्रभाव हीन रहती है |