जानिए, मंत्र सिद्धि व पूजा -पाठ के समय पूजा करने की सरल विधि |

By | October 8, 2017

धर्म में आस्था रखने वाला प्रत्येक व्यक्ति किसी न किसी ईष्ट देव को मानता है , अपने गुरु में पूर्ण विश्वास रखता है या किसी देव की विशेष कृपा पाने हेतु उनकी आराधना करता है | और इनसे आशीर्वाद पाने के लिए जिन क्रियाओं द्वारा इन्हें खुश करने का प्रयास करता है वही पूजा कहलाती है | यहाँ आप जान पाएंगे पूजा करने की सरल विधि के विषय में |

जिस प्रकार हर कार्य को करने की एक विधि होती है उसी प्रकार से धर्म क्षेत्र में भी देवी -देवताओं को खुश करने के लिए व उनकी विशेष कृपा पाने के लिए अलग -अलग पूजा विधि होती है | यदि किसी कार्य को गलत विधि से किया जाये तो उसका पूर्ण फल प्राप्त नही होता है , ठीक वैसे ही गलत विधि से की गयी पूजा पूर्ण रूप से फलदायी नही होती है |

मंत्र सिद्धि व सभी पूजा -पाठ के समय पूजा करने की सरल विधि : – 

किसी भी देव या देवी की मंत्र द्वारा साधना विशेष रूप से फल प्रदान करने वाली है | किन्तु मंत्र सिद्धि (साधना ) के समय केवल मंत्र का जाप ही प्रयाप्त नहीं है | इसके लिए प्रथम, पूजा विधि को पूर्ण करना आवश्यक होता है उसके बाद मंत्र का जाप प्रारम्भ किया जाता है | यहाँ आप जान पाएंगे एक ऐसी सूक्ष्म व बहुत ही साधारण पूजा विधि के विषय में जिसे आप किसी भी मंत्र साधना के समय मंत्र जाप से पहले कर सकते है |   ⇒ ⇒ मंत्र सिद्धि कैसे करें ? ⇐ ⇐ 

इस सूक्ष्म पूजा को मंत्र सिद्धि के अतिरिक्त किसी भी प्रकार की अन्य पूजा – पाठ के समय किया जा सकता है | चाहे वह गुरु पूजा हो , या अपने ईष्ट देव की पूजा हो या फिर अपने कुलदेव की पूजा हो, सभी में सूक्ष्म पूजा विधि का प्रयोग सम्पूर्ण फल प्रदान करने वाला है |

पूजा करने की सरल विधि 

पूजा -पाठ के समय पूजा की सूक्ष्म व साधारण विधि : – 

सूक्ष्म पूजा विधि : –  पूर्व दिशा में एक चौकी पर लाल रंग का कपडा बिछाकर उस पर जिस भी देव की मंत्र सिद्धि या पूजा की जा रही हो, उस देव की फोटो की स्थापना करें | इसके पश्चात् गणेश जी की स्थापना करें | गणेश जी स्थापना के लिए एक कटोरी में थोड़े से चावल लेकर, एक मिट्टी की डली पर लाल धागे को अच्छे से लपेट ले और अब इसे कटोरी में चावल के ऊपर स्थापित कर दे | आप मिट्टी की डली के स्थान पर सुपारी के प्रयोग भी कर सकते है |

अब आप चौकी के बाएं तरफ (ईशान कोण में ) पानी का लौटा भरकर स्थापित करें | एक नारियल और इस पर लाल कपडे को लपेट कर इसे पानी के लौटे पर स्थापित कर दे | अब पानी के लौटे के आगे एक घी का दीपक प्रज्वलित करें और दूप -दीप लगाये |

अब पृथ्वी माँ को हाथ से तीन बार स्पर्श कर प्रणाम करें और बोले – ॐ आधार भूमे नमः , ॐ कर्म भूमे नमः , ॐ जन्म भूमे नमः |  एक अन्य लौटे में जल लेकर इसे पुष्प द्वारा सभी दिशाओं की तरफ छिड़क कर बोले – हे परमपिता परमेश्वर मैं सभी दिशाओं को पवित्र करता हूँ | अब हाथ जोड़कर सूर्य देव को नमस्कार करें – हे, सूर्य देव मै आपको नमस्कार करता हूँ |

अब एक चम्मच द्वारा लौटे में से जल लेकर इस जल को अपनी दायी हथेली पर ले और बोले – ॐ श्री नारायणाय नमः , अब इस जल को पी जाये | अब फिर से एक चम्मच जल को हथेली पर ले और बोले – ॐ श्री केशवाय नमः , जल को फिर से पी जाये | अब पुनः एक बार और जल को हथेली में लेकर बोले – ॐ श्री गोविंदाय नमो नमः , और जल को पी जाये | अब एक चम्मच जल और लेकर हाथ को धो ले |

अब आप हाथ में थोडा जल लेकर या थोड़े चावल लेकर संकल्प ले  :- संकल्प कैसे लेते है इसके लिए आप इस post को पढ़ सकते है :      ⇒  ” पूजा -पाठ का सम्पूर्ण फल पाने के लिए , इस प्रकार संकल्प लेना है जरुरी “||⇐

अब आप गणेश जी की तरफ हाथ जोड़ते हुए बोले :- हे भगवान गणेश आओ और अपने स्थान पर विराजमान हो जाओ | अब सोड्स मात्रिका का आव्हान करें : हे सोड्स मात्रिका देवी आओ और अपने स्थान पर विराजमान हो जाओ | अब पंच ओंकार देव का आव्हान करें : हे पंच ओंकार देव आओ और अपना स्थान ग्रहण करो | अब नवग्रह का आव्हान करें : हे नवग्रह देव आओ और अपने स्थान पर विराजमान हो जाओ | अब सभी देवों का आव्हान करें : सभी देव आओ और अपने स्थान पर विराजमान हो जाओ |

अब आप ईशान कोण में जहाँ आपने पानी के लौटे में वरुण देव की स्थापना की है वहां थोड़े से चावल डालते हुए उनका आव्हान करें : – हे वरुण देव आओ और अपना स्थान ग्रहण करो | अब चौकी पर दाई तरफ लाल कपडे पर थोड़े चावल रखते हुए पित्र देव की स्थापना करें : हे पित्र देव आओ और अपना स्थान ग्रहण करो | अब थोड़े पुष्प के तिनके और चावल लेकर अपने प्रधान देव या देवी जिसकी आप पूजा -पाठ कर रहे है उनके चरणों में चावल को छोड़ते हुए बोले : हे देव (नाम बोले ) आओ और अपना स्थान ग्रहण करो |

अब पुष्प द्वारा लौटे से जल लेकर गणेश जी पर चार बार छिड़क दे (यहाँ चार जल छिड़कने का अर्थ है ; – पैर धुलवाते है , हाथ में अर्ग देते है , आचमन करवाते है और स्नान करवाते है | इसी प्रकार से चार -चार बार जल गणेश जी के साथ -साथ वरुण देव पर, पित्र देव पर और अपने प्रधान देव या देवी पर भी छिड़क दे |

अब वस्त्र ,उपवस्त्र और यज्ञोपवीत के रूप में लाल दागे (मोली ) के छोटे -छोटे तीन टुकड़े करके इनको गणेश जी पर , तीन टुकड़े वरुण देव पर , तीन टुकड़े अपने पित्र देव पर और अंत में तीन टुकड़े अपने प्रधान देव या देवी को समर्पित करें |

अब आप थोड़े -थोड़े चावल और पुष्प गणेश जी , वरुण देव , पित्र देव और प्रधान देव को चड़ाए | उसके पश्चात् रोली द्वारा गंध का छीटा गणेश जी को फिर वरुण देव फिर पित्र देव और प्रधान देव को करें | अब सभी देवों को चीनी या मीठे द्वारा भोग समर्पित करें (गणेश जी , वरुण देव ,पित्र देव और प्रधान देव ) |  और अंत में पुष्प द्वारा जल को सभी देवों को छिड़कते हुए आचमन करें | अब आप सभी देवों ( गणेश जी , वरुण देव, पित्र देव और प्रधान देव ) कुमकुम द्वारा तिलक करें और चावल अर्पित करें | स्वयं को भी तिलक करें | इसके पश्चात् आप फल व मिठाई आदि अपनी इच्छा अनुसार अब सभी देवों को समर्पित कर सकते है | Video के लिए  :  click here

⇒ || हनुमान जी के साक्षात् दर्शन के लिए इस शाबर मंत्र द्वारा करें साधना || ⇐

यह पूजा करने की सरल विधि किसी भी पूजा -पाठ का सम्पूर्ण फल प्रदान करने वाली है | और साथ ही  किसी भी प्रकार की पूजा आदि के लिए  बहुत ही सूक्ष्म व सरल विधि है | मंत्र सिद्ध करते समय इस सूक्ष्म पूजा को करके ही मंत्र जाप प्रारंभ करने चाहिए | मंत्र सिद्धि के अतिरिक्त किसी भी अन्य देव या देवी की पूजा -पाठ के समय इस सूक्ष्म पूजा को किया जा सकता है |

 

 

 

9 thoughts on “जानिए, मंत्र सिद्धि व पूजा -पाठ के समय पूजा करने की सरल विधि |

  1. Sumit Kumar Solanki

    Guru ki ko Namaskar,
    guru ji aavahaan aur sthapna 1 din hi karni hai kya ya jab tak sadhna karege tab tak roz karni hai ??
    kripya marg darshan kare
    dhanyabad …………….

    1. TARUN SHARMA Post author

      अधिक जानकारी के लिए आप आचार्य जी से इस नंबर द्वारा संपर्क करें : 7027140920

      धन्यवाद
      अल्टीमेट ज्ञान

  2. Akash Pandey

    समस्त देवी देवताओ (गणेश प्रधान आदि समस्त देवी देवता ) ,नव ग्रह, पितृ देव का आवाहन और स्थापना एक ही दिन करनी है या फिर पृथक-पृथक हर एक दिन

    हमे हमारे इस ईमेल पे बताने की कृपा करे
    सधन्यवाद
    ईमेल है [email protected]

  3. Rakesh

    41 दिन संकल्प लेकर कर मंत जप कर रहा हूँ इसमें बिच में चंद्र ग्रहण आयगा तो इसमें में मंत्र सादना वाला मंत्र ग्रहण के समय जप कर सकता हूँ
    Please Reply
    God Bless You
    आप अच्छी जानकारी देते हो

    1. TARUN SHARMA Post author

      हां साधना के समय ग्रहण होता है तो आप ग्रहण के समय में उस मंत्र का जप अवश्य करें

      धन्यवाद्
      अल्टीमेट ज्ञान

  4. Rakesh

    मंत्र जप के समय दीपक बुझ गया तो आगे सादना जारी रखु या नहीं
    Please Reply
    God Bless You

  5. Rakesh

    मंत्र जप के समय दीपक बुझ गया तो आगे सादना जारी रखु या नहीं

  6. Sanjay maharaj

    जय माता दी आव्हान और विसर्जन रोज करना है 41 दिन तक कलश स्थापना यू ही रहने दे या फिर रोज करना है। कृपया जानकारी दे।
    धन्यबाद।

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