Sabse Bada Dharam Kya Hai
यदि भक्ति की समग्र व्याख्या की जाए तो यह अपने आराध्य देव के सम्मुख बैठ कर केवल कुछ प्रार्थना करना, मांग लेना अथवा पुजन के आयोजन को दूसरों के सामने प्रकट करना नहीं है | आज के समय में भक्ति प्रदर्शन से अधिक जुड़ गयी है | कई भक्ति यह चाहते है कि वे प्रभु के भक्त है, यह भी दुनिया को ज्ञात रहे मेरी द्रष्टि में सेवा, सुरक्षा, सहायता आदि भक्ति के ही भिन्न-भिन्न स्वरुप है(Sabse Bada Dharam Kya Hai)|
आप किसी की सेवा कर उसे राहत दे रहे है, यह प्रभु की भक्ति ही है | जिस परमात्मा ने सभी लोगों को जन्म दिया है उनमें से आप किसी की सेवा कर रहे है तो यह प्रभु की ही सेवा है | आपके इस उपक्रम से प्रभु अवश्य ही प्रसन्न होंगे | किसी की जान खतरे में है और आप उसे बचा रहे है, उसके प्राणों की, देह की , आत्म सम्मान की रक्षा कर रहे है तो यह भक्ति का ही एक रूप है |
भक्ति का मूलभूत भाव इससे ही जुड़ा है | कई लोग यह बात नहीं समझ पाते, क्योंकि वे भक्ति करते हुए अपने प्रभु से स्वयं के लिए कुछ मांग लिया करते है | ऐसे लोगों के लिए भक्ति मात्र एक सीमित जागतिक विषय है | कहा गया है कि परहित के समान कोई धर्म नहीं है | अपने हितों के लिए सभी लोग सदैव काम करते है | कभी परहितों के लिए काम कीजिये | इससे आपको ह्रदय की गहराईयों में सच्चा सुख मिलेगा | इससे भीतर एक ऐसी शक्ति पैदा होगी जो आपके जीवन में एक नया उत्साह भर देगी |
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तंत्र में परहित के लिए कार्य की प्रेरणा समाहित है | जो लोग तंत्र को समझते है अथवा जिज्ञासु जन है वे मंत्र का मूल मंत्र जानते है, जहाँ लोगों के दुःख हरने का भाव है | आपने, प्रभु के सम्मुख बैठकर अपने लिए कुछ माँगा है यह भक्ति का स्वकेंद्रित स्वरुप है | कभी ईश्वर से जगत कल्याण की प्रार्थना कर देखिये, यह भक्ति आपको शक्ति के अनेक नव-स्त्रोत प्रदान करेगी(Sabse Bada Dharam Kya Hai)|