हिन्दू धर्म में माँ दुर्गा को सबसे शक्तिशाली देवी माना गया है | माँ दुर्गा आदि शक्ति का ही स्वरुप है | आदि शक्ति और शिव दोनों को सर्वोच्च की संज्ञा दी गयी है | शक्ति के बहुत से रूप है जिनमें से देवी दुर्गा को दानवों के नाश और इस संसार से बुराई का नाश करने हेतु जाना गया है | जिस प्रकार से एक माँ अपने बच्चे की ख़ुशी में ही अपनी ख़ुशी देखती है ठीक उसी प्रकार से माँ दुर्गा के भक्त, पूजा-आराधना द्वारा माँ दुर्गा से आशीर्वाद प्राप्त करते है | माँ दुर्गा को प्रसन्न करने हेतु भक्तजन भिन्न-भिन्न प्रकार से उनकी पूजा-आराधना कर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते है | दुर्गा पूजा के विभिन्न प्रकार जैसे : दुर्गा आरती/Durga Aarti Lyrics -दुर्गा चालीसा – दुर्गा मंत्र – दुर्गा सप्तसती पाठ-भजन व मानसिक उपासना द्वारा भक्तजन उनकी पूजा आराधना करते है |
जय अम्बे गौरी मैया जय मंगल मूर्ति ।
तुमको निशिदिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिव री ॥टेक॥
मांग सिंदूर बिराजत टीको मृगमद को ।
उज्ज्वल से दोउ नैना चंद्रबदन नीको ॥जय॥
कनक समान कलेवर रक्ताम्बर राजै।
रक्तपुष्प गल माला कंठन पर साजै ॥जय॥
केहरि वाहन राजत खड्ग खप्परधारी ।
सुर-नर मुनिजन सेवत तिनके दुःखहारी ॥जय॥
कानन कुण्डल शोभित नासाग्रे मोती ।
कोटिक चंद्र दिवाकर राजत समज्योति ॥जय॥
शुम्भ निशुम्भ बिडारे महिषासुर घाती ।
धूम्र विलोचन नैना निशिदिन मदमाती ॥जय॥
चौंसठ योगिनि मंगल गावैं नृत्य करत भैरू।
बाजत ताल मृदंगा अरू बाजत डमरू ॥जय॥
भुजा चार अति शोभित खड्ग खप्परधारी।
मनवांछित फल पावत सेवत नर नारी ॥जय॥
कंचन थाल विराजत अगर कपूर बाती ।
श्री मालकेतु में राजत कोटि रतन ज्योति ॥जय॥
श्री अम्बेजी की आरती जो कोई नर गावै ।
कहत शिवानंद स्वामी सुख-सम्पत्ति पावै ॥जय॥
पूर्व दिशा में माँ दुर्गा की प्रतिमा की स्थापना करें | घी का दीपक लगाये व धुप आदि लगाये | माँ दुर्गा की फोटो( प्रतिमा) के सामने आसन बिछाकर बैठ जाये | अब माँ दुर्गा आरती का गायन मध्यम स्वर में पूर्ण लय बद्धता के साथ करना चाहिए | आरती के गायन के समय स्वयं को पूर्ण रूप से माँ के चरणों में समर्पित कर देना चाहिए | यदि संभव हो सके तो माँ दुर्गा आरती के समय परिवार के सभी सदस्यों को साथ में बैठा ले और आस-पास का वातावरण शांत रखे, किसी भी प्रकार की ध्वनि आपके ध्यान को केन्द्रित करने में बाधा बन सकती है |