सम्पूर्ण श्री गणेश चालीसा | गणेश चालीसा पूजा विधि |

By | November 5, 2019

भगवान शिव के पुत्र श्री गणेश जी को रिद्धि-सिद्धि के देव कहा गया है | भगवान गणेश जी की आराधना आपके जीवन से सभी दुखों को दूर करके आपके जीवन को सुखमय बना सकती है | बुद्धि के देव कहे जाने वाले भगवान गणेश आपके घर में सुख-शांति लाते है | इनकी उपासना से बुद्धि का विकास होता है , परिवार में सुख शांति आती है व आर्थिक रूप से भी आप प्रबल बनते है | विद्यार्थी के लिए भगवान श्री गणेश की पूजा करना उनके लिए किसी चमत्कार से कम नहीं | परीक्षा में सफलता व प्रतियोगिता में सफल होने के लिए विद्यार्थी को भगवान श्री गणेश जी की आराधना अवश्य करनी चाहिए | गणेश चालीसा/Ganesh Chalisa के गायन द्वारा आप गणेश जी की आराधना कर सकते है व उन्हें प्रसन्न कर उनसे आशीर्वाद प्राप्त कर सकते है |

Ganesh Chalisa Puja Vidhi :

ganesh chalisa

गणेश चालीसा पूजा विधि : –

घर में पूजा स्थान पर यदि गणेश जी प्रतिमा नहीं है तो आज ही वहाँ गणेश जी की प्रतिमा स्थापित कर ले | क्योंकि आप जिस भी देव या देवी की पूजा करते आ रहे है | प्रथम गणेश जी का स्मरण किया बिना आपकी पूजा पूर्ण नहीं होती |

पूजा स्थान के सामने आसन बिछाकर बैठ जाये | घी का दीपक लगाये | धुप आदि लगाये |  गणेश जी को तिलक करें | गणेश जी को पुष्प अर्पित करें | लड्डू का भोग लगाये | वस्त्र रूप में छोटा लाल धागा अर्पित करें | जल के छीटें देकर उन्हें जल अर्पित करें | अब गणेश चालीसा को तिलक करें |

सर्वप्रथम गणेश जी के स्तुति मंत्र द्वारा उनका आव्हान करना चाहिए | गणेश जी स्तुति मंत्र इस प्रकार है :

गजाननं भूतगणादि सेवितं

कपित्थ जम्बूफलसार भक्षितम् 

उमासुतं शोक विनाशकारणं

नमामि विघ्नेश्वर पादपङ्कजम् ॥

इसके उपरांत अब आप गणेश चालीसा का मध्यम स्वर में गायन करें | गायन इस प्रकार करना चाहिए कि दूसरों को सुनने पर यह कर्णप्रिय लगे | गायन में शीघ्रता बिल्कुल न करें | गायन में त्रुटी भी न करें |

श्री गणेश चालीसा/Ganesh Chalisa

जय गणपति सद्गुण सदन कविवर बदन कृपाल।

विघ्न हरण मंगल करण जय जय गिरिजालाल॥

जय जय जय गणपति राजू। मंगल भरण करण शुभ काजू॥

जय गजबदन सदन सुखदाता। विश्व विनायक बुद्धि विधाता॥

वक्र तुण्ड शुचि शुण्ड सुहावन। तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन॥

राजित मणि मुक्तन उर माला। स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला॥

पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं। मोदक भोग सुगन्धित फूलं॥

सुन्दर पीताम्बर तन साजित। चरण पादुका मुनि मन राजित॥

धनि शिवसुवन षडानन भ्राता। गौरी ललन विश्व-विधाता॥

ऋद्धि सिद्धि तव चँवर डुलावे। मूषक वाहन सोहत द्वारे॥

कहौ जन्म शुभ कथा तुम्हारी। अति शुचि पावन मंगल कारी॥

एक समय गिरिराज कुमारी। पुत्र हेतु तप कीन्हा भारी॥

भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा। तब पहुंच्यो तुम धरि द्विज रूपा।

अतिथि जानि कै गौरी सुखारी। बहु विधि सेवा करी तुम्हारी॥

अति प्रसन्न ह्वै तुम वर दीन्हा। मातु पुत्र हित जो तप कीन्हा॥

मिलहि पुत्र तुहि बुद्धि विशाला। बिना गर्भ धारण यहि काला॥

गणनायक गुण ज्ञान निधाना। पूजित प्रथम रूप भगवाना॥

अस कहि अन्तर्धान रूप ह्वै। पलना पर बालक स्वरूप ह्वै॥

बनि शिशु रुदन जबहि तुम ठाना। लखि मुख सुख नहिं गौरि समाना॥

सकल मगन सुख मंगल गावहिं। नभ ते सुरन सुमन वर्षावहिं॥

शम्भु उमा बहुदान लुटावहिं। सुर मुनि जन सुत देखन आवहिं॥

लखि अति आनन्द मंगल साजा। देखन भी आए शनि राजा॥

निज अवगुण गुनि शनि मन माहीं। बालक देखन चाहत नाहीं॥

गिरजा कछु मन भेद बढ़ायो। उत्सव मोर न शनि तुहि भायो॥

कहन लगे शनि मन सकुचाई। का करिहौ शिशु मोहि दिखाई॥

नहिं विश्वास उमा कर भयऊ। शनि सों बालक देखन कह्यऊ॥

पड़तहिं शनि दृग कोण प्रकाशा। बालक शिर उड़ि गयो आकाशा॥

गिरजा गिरीं विकल ह्वै धरणी। सो दुख दशा गयो नहिं वरणी॥

हाहाकार मच्यो कैलाशा। शनि कीन्ह्यों लखि सुत को नाशा॥

तुरत गरुड़ चढ़ि विष्णु सिधाए। काटि चक्र सो गज शिर लाए॥

बालक के धड़ ऊपर धारयो। प्राण मन्त्र पढ़ शंकर डारयो॥

नाम गणेश शम्भु तब कीन्हे। प्रथम पूज्य बुद्धि निधि वर दीन्हे॥

बुद्धि परीक्षा जब शिव कीन्हा। पृथ्वी की प्रदक्षिणा लीन्हा॥

चले षडानन भरमि भुलाई। रची बैठ तुम बुद्धि उपाई॥

चरण मातु-पितु के धर लीन्हें। तिनके सात प्रदक्षिण कीन्हें॥

धनि गणेश कहि शिव हिय हरषे। नभ ते सुरन सुमन बहु बरसे॥

तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई। शेष सहस मुख सकै न गाई॥

मैं मति हीन मलीन दुखारी। करहुँ कौन बिधि विनय तुम्हारी॥

भजत रामसुन्दर प्रभुदासा। लख प्रयाग ककरा दुर्वासा॥

अब प्रभु दया दीन पर कीजै। अपनी शक्ति भक्ति कुछ दीजै॥

दोहा

श्री गणेश यह चालीसा पाठ करें धर ध्यान।

नित नव मंगल गृह बसै लहे जगत सन्मान॥

सम्वत् अपन सहस्र दश ऋषि पंचमी दिनेश।

पूरण चालीसा भयो मंगल मूर्ति गणेश॥

श्री गणेश चालीसा/Ganesh Chalisa का गायन प्रतिदिन करना चाहिए | यदि समय के अभाव रहते आप प्रतिदिन यह कार्य नहीं कर पाते है तो बुधवार की सुबह इस कार्य को अवश्य करें | बुधवार का दिन गणेश जी को समर्पित है | इस दिन गणेश आराधना विशेष रूप से फलदायी मानी गयी है | मन में पूर्ण निष्ठा भाव के साथ गणेश जी का ध्यान करते जाए, गणेश जी आपके सभी विघ्न हर लेंगे |