मानव शरीर एक जटिल संरचना है | जिस प्रकार एक कृत्रिम मशीन के ख़राब हो जाने वह तब तक ठीक से कार्य नहीं करती जब तक कि ठीक से मशीन में आई खराबी की जांच करके उसे दूर न किया जाए , ठीक वैसे ही मानव शरीर में भी किसी रोग के हो जाने पर उसे सही उपचार की आवश्यकता होती है | मानव शरीर से रोगों को दूर करने हेतु तरह-तरह की चिकित्सा पद्दतियां प्राचीन काल से चलन में है | जिनमें आयुर्वेद -एलोपैथी और होम्योपैथी प्रमुख है | आयुर्वेद को विश्व की सबसे प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्दति के नाम से जाना गया है तो एलोपैथी को पश्चिम देशों द्वारा प्रचलन में लायी गयी सबसे अधिक प्रभावी चिकित्सा पद्दति के रूप में सम्पूर्ण विश्व में जाना गया है जो मुख्यतः कामिकल्स क्रिया पर आधारित है | और होम्योपैथी चिकित्सा पद्दति यूनान से प्रचलन में आई समरूपता के सिद्धांत पर कार्य करती है |
आज हम एलोपैथी – होम्योपैथी और आयुर्वेद तीनों चिकित्सा पद्दतियों के विषय में विस्तार से आपको जानकारी देंगे जिससे आप स्वयं की यह विश्लेषण कर पायेंगे कि इन तीनों चिकित्सा पद्दतियों में से कौन सी श्रेष्ट चिकित्सा है |
आयुर्वेद चिकित्सा पद्दति :
आयुर्वेद को आयुर्विज्ञान के नाम से भी जाना गया है | यह विश्व की सबसे प्राचीन चिकित्सा पद्दति है जिसमें रोगों का उपचार पेड़-पौधो व दुर्लभ जड़ी-बूटियों द्वारा किया जाता है | आयुर्वेद के अनुसार प्रकृति में सभी रोगों का निवारण पेड़-पौधों और जड़ी-बूटियों के रूप में विद्यमान है बस जरुरत है रोग के निवारण के लिए उपयुक्त औषधि की पहचान करने की | समय-समय पर आयुर्वेद के कुछ ऐसे विद्वान् वैद्य भी हुए है जिनके पास असाध्य रोगों को दूर करने की उपयुक्त औषधियों के विषय में जानकारी थी और वे इनके प्रयोग से लोगों के कष्ट दूर करते थे | किन्तु लेखन कला के अभाव में उनकी यह जानकारी विलुप्त होती चली गयी |
आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्दति के अनुसार मनुष्य में मुख्य रूप से केवल तीन प्रकार के रोग ही होते है वात रोग , पित्त रोग और कफ रोग | इसलिए शरीर में वात -पित्त और कफ को संतुलित करके सभी रोगों का उपचार संभव है |
आयुर्वेद चिकित्सा पद्दति द्वारा रोग को जड़ से दूर किया जाता है | आज के आधुनिक समय में जहाँ सम्पूर्ण विश्व एलोपैथी दवाइयों पर निर्भर है वहीँ एक बड़ी संख्या में लोग आज भी आयुर्वेद को महत्व देते है | बीमारी को जड़ से दूर करने व सुरक्षित चिकित्सा पद्दति होने से आयुर्वेद को आज प्रमुख प्रचलित चिकित्सा पद्दतियों में शामिल किया गया है |
एलोपैथिक चिकित्सा पद्दति :
एलोपैथिक चिकित्सा पद्दति आज सम्पूर्ण विश्व के लिए प्रमुख चिकित्सा पद्दति बन चुकी है | इसे आधुनिक चिकित्सा का नाम भी दिया गया है | इस चिकित्सा का “ एलोपैथी ” नाम होम्योपैथी चिकित्सा के जन्मदाता डॉक्टर सैमुएल हैनीमैन ने दिया था | उनके अनुसार आधुनिक चिकित्सा रोग के लक्षण को ध्यान में न रखकर अन्य प्रकार की दवाएं देती है इसलिए ” Allo = अन्य व Pathy = पद्दति ” अर्थात अन्य पद्दति |
शल्य चिकित्सा में व आपातकालीन स्थिति में या फिर दुर्घटना की स्थिति में एलोपैथी चिकित्सा सबसे उपयुक्त चिकित्सा है इसी कारण से आज इस चिकित्सा ने सम्पूर्ण विश्व में अपना प्रथम स्थान बना लिया है | इस चिकित्सा पद्दति में यह देखा गया है कि बहुत बार चिकित्सक दर्द निवारक दवाइयां देकर केवल रोग के लक्षण दूर करने के प्रयास करते है जिससे रोग शरीर में वैसे ही बना रहता है और रोगी जब तक दर्द निवारक दवाइयों का सेवन करता है उसे आराम मिलता है दवाई बंद करने के बाद रोग पुनः प्रकट होने लगता है |
रोग जड़ से दूर न होने कारण ही रोगी फिर अन्य चिकित्सा पद्दतियों की तरफ जाने लगता है | जिनमें आयुर्वेद और होम्योपैथी चिकित्सा रोग को जड़ से दूर करने का दावा करती है |
होम्योपैथी चिकित्सा पद्दति :
होम्योपैथी चिकित्सा पद्दति समरूपता के सिंद्धात पर कार्य करती है | जिस औषधि के अधिक मात्रा में सेवन से शरीर में जिस प्रकार के लक्षण प्रकट हो सकते है, उसी औषधि की न्यूनतम मात्रा देकर उसी प्रकार के लक्षण वाले रोग को दूर किया जा सकता है | बड़े पैमाने पर किये गये सर्वे के अनुसार यह पाया गया कि होम्योपैथी चिकित्सा सिर्फ और सिर्फ एक प्रकार की प्लेसिबो आधारित है अर्थात इस चिकित्सा में चिकित्सक दवा के नाम पर रोगी को कुछ नहीं देते है और रोगी केवल विश्वास और भरोसे व समय के साथ स्वयं ही ठीक हो जाता है | इस प्रकार के सर्वे में कितनी सच्चाई है यह तो कोई नहीं जानता किन्तु एलोपैथी दवाओं से निराश रोगी होम्योपैथी दवाओं के सेवन से ठीक हो रहे है इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता |
होमियोपैथी दवाएँ अर्क- संपेषण – तथा तनुताओं – के रूप में होती है | होम्योपैथिक दवाइयां तैयार करने में – गंधक, पारा , जस्ता , टिन ,सोना , चांदी , लोहा और तांबा के साथ -साथ और भी बहुत से अन्य पदार्थो द्वारा प्रयोग किया जाता है | इस चिकित्सा पद्दति में दवा की बहुत थोड़ी मात्रा रोगी को दी जाती है जिससे रोगी को दवा लेने से किसी प्रकार की हानि नहीं होती | ये दवाएं थोड़े लम्बे समय में अपना प्रभाव दिखाती है | इसलिए रोगी को चाहिए कि धैर्य से काम ले और अपने चिकित्सक पर विश्वास बनाये रखे | रोग के ठीक हो जाने पर चिकित्सक के निर्देश पर ही दवा बंद करनी चाहिए |
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तीनों चिकित्सा पद्दतियों के विषय में विस्तार से अध्यन करने के बाद यह निष्कर्ष निकालना बहुत कठिन है कि कौन सी चिकित्सा पद्दति सबसे best है | हाँ यह तो साफ है कि आपातकालीन स्थिति व शल्य चिकित्सा में आधुनिक चिकित्सा पद्दति श्रेष्ट है | जिन रोगों में रोगी को आधुनिक चिकित्सा से लाभ न मिला हो वे एक बार पुनः होम्योपैथी चिकित्सा व आयुर्वेदिक चिकित्सा के माध्यम से अपने अनुभव शेयर कर सकते है |