भगवान श्री नरसिंह भगवान विष्णु के चौथे अवतार है जो आधे मानव और आधे शेर के रूप में बुराई का नाश करने व अपने भक्त की रक्षा करने हेतु प्रकट हुए है | एक पौराणिक कथा के अनुसार पचीन समय में एक असुर हिरण्यकश्यप जिसे भगवान से विशेष वरदान प्राप्त था | इस असुर हिरण्यकश्यप का वध करने हेतु व अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा करने हेतु ही भगवान विष्णु ने भगवान श्री नरसिंह का रूप धारण किया था | भगवान श्री नरसिंह जी की आरती/Bhagwan Narsingh Aarti द्वारा आप उन्हें प्रसन्न कर आशीर्वाद प्राप्त कर सकते है |
भगवान नरसिंह जी को दक्षिण भारत के वैष्णव समाज के विशेष वर्ग द्वारा मुख्य देवता के रूप में पूजा जाता है | वैष्णव समाज के ये लोग भगवान नरसिंह जी को महान रक्षक के रूप में देखते है |
Bhagwan Narsingh Aarti
भगवान श्री नरसिंह जी की आरती
ॐ जय नरसिंह हरे, प्रभु जय नरसिंह हरे |
स्तम्भ फाड़ प्रभु प्रकटे, स्तम्भ फाड़ प्रभु प्रकटे, जन का ताप हरे ||
ॐ जय नरसिंह हरे ||
तुम हो दीन दयाला, भक्तन हितकारी, प्रभु भक्तन हितकारी |
अद्भुत रूप बनाकर, अद्भुत रूप बनाकर, प्रकटे भय हारी ||
ॐ जय नरसिंह हरे ||
सबके ह्रदय विदारण, दुस्यु जियो मारी, प्रभु दुस्यु जियो मारी |
दास जान अपनायो, दास जान अपनायो, जन पर कृपा करी ||
ॐ जय नरसिंह हरे ||
ब्रह्मा करत आरती, माला पहिनावे, प्रभु माला पहिनावे |
शिवजी जय जय कहकर, पुष्पन बरसावे ||
ॐ जय नरसिंह हरे ||
नरसिंह, भगवान श्री विष्णु के उग्र व शक्तिशाली अवतार माने गये है | इनकी आराधना करने से हर प्रकार के संकट और हर प्रकार की दुर्घटना से रक्षा मिलती है | आपके शत्रु परास्त होते है व मुकदमे आदि में जीत प्राप्त होती है | नकारात्मक शक्तियों से छुटकारा मिलता है | मन में पूर्ण श्रद्धा व विश्वास के साथ भगवान श्री नरसिंह जी की आरती/Bhagwan Narsingh Aarti का गायन करें | आरती का गायन मध्यम स्वर में व कर्णप्रिय सुर में करना चाहिये |