अघोर साधना क्या है ? अघोर साधना से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य !

By | October 15, 2018

हिन्दू धर्म में एक “शैव संप्रदाय” है जो “शिव साधक” से सम्बंधित है। इसी सम्प्रदाय में साधना की एक रहस्यमयी शाखा है “अघोरपंथ” जिसका पालन करने वालों को अघोरी कहते हैं।  अघोरी साधक को इस संसार में शिव भगवान का ही रूप माना गया है | अघोरी साधक की वेशभूषा व जीवनशैली बहुत ही कठिन होती है | भले ही ये साधक दिखाई देने में भद्दे और डरावने दिखते हो किन्तु सामान्य रूप में ये बहुत ही सरल हो सहज होते है | मानव जीवन की सभी अभिलाषाओं की इच्छाओं से परे ये अघोर साधक(Aghor Sadhna Kya Hai)अपना सम्पूर्ण जीवन सिर्फ और सिर्फ साधना में व्यतीत करते है |

अघोर साधक आपको बहुत ही कम देखने को मिलेंगे | ये आपको कुम्भ के मेले में, माँ कामाख्या देवी के स्थान पर या फिर शमशान आदि जैसी जगहों पर दिखाई दे सकते है | इसके अतिरिक्त ये समाज से परे जंगलों में या फिर हिमालय जैसे कठिन स्थानों पर अपनी साधना करते है और वही निवास करते है | जो अघोर साधक(Aghor Sadhna Kya Hai) आपको बाजार जैसी जगहों पर सामान्य रूप से बार-बार दिखाई दे तो समझ जाए ये अघोर साधक नहीं बल्कि अघोर साधक के रूप में ढोंगी है |

Aghor Sadhna Kya Hai

aghor sadhna kya hai in hindi

 

अघोरी साधू को समाज का कुछ हिस्सा औघड़ भी कहता है | जो कि दिखने में बहुत ही डरावना होता है | लेकिन वास्तविकता तो यह है की अघोर कर अर्थ है : अ + घोर यानि जो डरावना न हो | इसका अर्थ है कि अघोर साधक बहुत ही सरल होते है | ये बिना किसी लोभ या लालच के अपने कार्य करते है | लोभ, मोह, काम, क्रीडा आदि सभी से परे ये साधक सिर्फ और सिर्फ भगवान शिव के प्रति समर्पित रहते है और अपना सम्पूर्ण ध्यान साधना पर देते है(Aghor Sadhna Kya Hai) |

अघोर साधना में सिद्धि प्राप्त करने का रास्ता बहुत ही कठिन है किन्तु तुरंत फल प्रदान करने वाला भी है | इस साधना में साधक को मांस, मदिरा, मैथुन और शमशान क्रियाएं का सहारा लेना पड़ता है | अघोरी, जो तंत्र साधना को अपना धर्म मानते हैं वह भगवान शिव के साथ-साथ काली को प्रसन्न करने व उनसे शक्तियां हासिल करने को ही अपने जीवन का एकमात्र उद्देश्य मानते हैं।

घोरपंथ में शमशान साधना को बड़ा ही महत्व दिया गया है | इसलिए अघोर साधक की सभी क्रियाएं शमशान में ही संपन्न होती है | वास्तविकता में अघोर साधक जानना चाहता है कि आत्मा क्या है | मरने के बाद आत्मा कहा जाती है और इन आत्माओं से किस प्रकार बात की जाती है | इसके अतिरिक्त शमशान में की जाने वाली साधनाएँ शीघ्र फल प्रदान करती है |

अघोरी साधक दिखने में कैसे दिखाई देते है : –

कफन के काले वस्त्रों में लिपटे अघोरी बाबा के गले में धातु की बनी नरमुंड की माला लटकी होती है। ये हाथ में चिमटा, कमंडल, कान में कुंडल, कमर में कमरबंध और पूरे शरीर पर राख मलकर रहते हैं। ये साधु अपने गले में काली ऊन का एक जनेऊ रखते हैं जिसे “सिले” कहते हैं। गले में एक सींग की नादी रखते हैं। इन दोनों को “सींगी सेली” कहते है। अघोरी जो कुछ भी खाते या पीते हैं वो सिर्फ इंसानी खोपड़ी में ही खाते पीते है।

aghor sadhak kaise dikhte hai

अघोरी साधक क्या खाते है : –

अघोरी साधक को जो भी प्राप्त हो जाता है वे खा लेते है | वे किसी भी प्रकार के भोजन से घ्रणा नहीं करते | रोटी से लेकर मानव मांस तक वे खा लेते है | यहाँ तक की वे कच्चा मांस और गला सड़ा मांस भी खा लेते है | मानव मल को भी वे खाने से नहीं हिसकिचाते, ऐसे होते है अघोर साधू | स्वयं को ऐसा बना पाना हर अघोर साधू के लिए संभव नहीं होता | इसलिए अधिकतर अघोर साधू ढोंगी और पाखंडी होते है |

Aghor Sadhna Kya Hai

क्यों बनते है अघोर साधक : –

अघोर साधक केवल और केवल वही इंसान बन सकता है जो स्वयं को इस समाज और अपने परिवार से अलग करने और सभी सांसारिक इच्छाओं व भोग से दूर रहने में समर्थ हो | जैसे ही वह घोर पंथ को अपनाता है इस प्रकार के भाव स्वतः ही उसके मन में उत्पन्न होने लगते है | एक अघोर साधक स्वयं को मोक्ष के मार्ग की ओर अग्रसर करता है | वह शिव तत्व में विलीन होना चाहता है | वह जीवन के रहस्यों को समझना चाहता है(Aghor Sadhna Kya Hai) | आत्मा और जीवन-मृत्यु के रहश्य को समझना चाहता है | इन सभी कारणों से वह घोर पंथ से जुड़कर अघोर साधक बनता है |

एक बार अघोर साधक बनने के पश्चात् फिर से सामाजिक जीवन में वापिस आना असम्भव है और घोर पंथ इसकी अनुमति भी नहीं देता है | कुछ अघोर साधक इसलिए भी घोर पंथ को अपनाते है ताकि वे साधना में सिद्धि अर्जित करके निस्वार्थ भाव से समाज का कल्याण कर सके |

 अघोरी कौन-कौन सी साधनाएं करते है : –

अघोरी मुख्यतः तीन प्रकार की साधनाएँ करते है और सभी की सभी साधना वे शमशान में ही करते है | ये तीन साधनाएं इस प्रकार से है :

  1. शव साधना 
  2. शिव साधना 
  3. शमशान साधना 

शव साधना :–  शव साधना में अघोर साधक किसी मृत व्यक्ति के शरीर के ऊपर बैठकर इस साधना को करते है | यदि अघोर साधक पुरुष है तो उसे किसी मृत स्त्री के शव की आवश्यकता होती है | और यदि अघोर साधक स्त्री है तो उसे इस साधना के लिए किसी पुरुष के शव की आवश्यकता होती है | इस साधना के लिए किसी शव का होना बहुत ही आवश्यक है इसलिए इस साधना पर भारत सरकार द्वारा प्रतिबन्ध लगाया गया है | लेकिन फिर भी ये अघोर साधक छुप छुप कर इस साधना को पूर्ण कर लेते है |

शिव साधना : – शिव साधना में सभी क्रियाएं शव साधना के जैसे ही होती है बस इसमें थोड़ा अंतर है | इस साधना में साधक शव की छाती के ऊपर अपना पैर रखकर खड़े होकर इस साधना को करते है |

शमशान साधना : – शमशान साधना, शव साधना और शिव साधना से भिन्न है | इस साधना में साधक किसी शव की नहीं अपितु शव स्थान(पीठ) की आराधना करते है | इस साधना(Aghor Sadhna Kya Hai) को करते समय अन्य परिवारजन्य को भी शामिल किया जा सकता है | इस साधना को आप कुम्भ के मेले में सामान्य रूप से होते देख भी सकते है |