मनुष्य एक पारिवारिक प्राणी है | वह परिवार में रहकर इस समाज की मर्यादाओं का पालन करते हुए अपने जीवन चक्र को आगे बढ़ाता है | आज के समय में एक सामान्य परिवार में लगभग 5 से 6 सदस्य होते है | जिनमें एक मुखिया होता है जिसका सभी सम्मान करते है | एक मनुष्य पूरे दिन बाहर कुछ भी कर ले अंततः वह अपने घर आकर ही आराम पाता है | परिवार के सदस्यों में चाहे कितनी भी अनबन क्यों न हों फिर भी अपने परिवार से दूर रहना एक सामान्य व्यक्ति को पसंद नहीं है(Ghar Me Sukh Shanti Upay)| एक खुशहाल परिवार के पीछे एक अच्छे मुखियां का सबसे अधिक योगदान रहता है |
जिस परिवार के सदस्यों में तालमेल अच्छा होता है | एक दुसरे की भावनाओं को समझते है | वहाँ सुख का वातावरण होता है | ऐसा परिवार स्वर्ग के समान है जहाँ छोटे, अपनों से बड़ों का सम्मान करते है व बड़े अपने से छोटों की भावनाओं को समझते है |
मेरे स्वयं के अनुभव के आधार पर 30 % व्यक्ति ऐसे होते है जो जीवन में अपने लक्ष्य के प्रति जागरूक रहकर उसे प्राप्त कर लेते है | प्रतिस्पर्धा के युग में अन्य को पीछे छोड़ने में सक्षम हो जाते है किन्तु अपने परिवार में सुखमय वातावरण बनाने में विफल हो जाते है | आइये जानते है किन कारणों से ऐसे व्यक्ति परिवार में सुख-शांति स्थापित रखने में व एक सुखमय परिवार का मुखिया बनने में विफल हो जाते है :
- माता-पिता से मिलने वाले संस्कार ही हमे आगे चलकर एक सामाजिक और व्यवहारिक व्यक्ति बनाते है | जिन लोगों को अपने माता-पिता से अच्छे संस्कार नहीं मिलते या जिनके माता-पिता के पास कभी समय ही नहीं रहा अपने बच्चों को अच्छी सामाजिक बाते बताने का ऐसे लोग बड़े होकर एक सुखमय परिवार बनाने में अक्सर विफल हो जाते है |
- मनुष्य का सामाजिक न होना : जो व्यक्ति सिर्फ और सिर्फ अपने परिवार तक ही सीमित रहते है व समाज में बाहर के लोगों से मेल जोल नहीं रखते है | अकेले रहना ही पसंद करते है वे अक्सर समाज के नैतिक मूल्यों से वंचित रह जाते है | एक परिवार में सुख-शांति केवल आपके पारिवारिक होने से ही नहीं अपितु सामाजिक होने से भी आती है |
- जो बच्चे अपना सारा ध्यान केवल अपनी पढाई पर रखते है | पढाई के अतिरिक्त उन्हें कुछ नहीं सूझता वे आगे चलकर शिक्षा के खेत्र में तो सभी को पीछे छोड़ देते है किन्तु एक परफेक्ट व्यक्ति (जिनमें अच्छी शिक्षा के साथ-साथ सामाजिक व पारिवारिक गुण होते है) कभी नहीं बन पाते |
- बुरी संगत के शिकार बच्चे बड़े होकर कभी भी एक अच्छे और सुखमय परिवार की स्थापना नहीं कर सकते है |
- आर्थिक रूप से स्वयं को सक्षम न बनाना : जो व्यक्ति स्वयं को आर्थिक रूप से सक्षम नहीं बना पाते ऐसे परिवार में भी कलह की सम्भावना अधिक रहती है |
परिवार में कलह रहने के कारण :
एक सुखमय परिवार में सबसे अधिक योगदान परिवार के मुखियां का होता है | किन्तु परिवार में सुख-शांति के पीछे परिवार के बाकी अन्य सदस्य भी महत्व रखते है | यूँ तो एक परिवार की सुख शांति भंग होने के पीछे सैकड़ों कारण हो सकते है किन्तु हम मुख्य कारणों को जानने की कोशिश करते है :
- परिवार के मुखिया का व्यवहारिक व सामाजिक न होना |
- परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होना |
- परिवार में बच्चों की परवरिस ठीक से न होना |
- घर की गृहणी में सामाजिक व नैतिक मूल्यों की कम समझ |
- मुखिया या किसी अन्य सदस्य में नशे की लत होना |
- परिवार में अभद्र भाषा का प्रयोग |
- परिवार में किसी सदस्य को मानसिक तनाव या शारीरिक रोग होना |
- परिवार के सदस्यों के विचारों में तालमेल न बनना |
- परिवार के सदस्यों में आपसी प्रेम का अभाव |
Ghar Me Sukh Shanti Upay
परिवार को सुखमय इस प्रकार बनाये :
पारिवारिक सुख-शांति के उपाय :
एक परिवार में सुख -शांति बनाये रखने के लिए न केवल परिवार के मुखिया को बल्कि परिवार के सभी सदस्यों को एक-दूसरें की भावनाओं को समझना होगा | परिवार के सभी सदस्य आपस में अच्छा तालमेल बनाने का प्रयास करें | परिवार के सभी सदस्यों को सामाजिक व्यवहार व नैतिक मूल्यों का ज्ञान होना अनिवार्य है | अभद्र भाषा का प्रयोग बंद कर देना चाहिए | परिवार के बीच गंदे शब्द परिवार की सुख-शांति को प्रभावित करते है | परिवार की आर्थिक स्थिति यदि ख़राब है तो इसे ठीक करने के यत्न करने चाहिए |
परिवार का कोई सदस्य यदि कोई नशा आदि करता है तो उसे सभी बैठकर समझाए और उसकी नशे की आदत को छुड़ाने के प्रयास करें |बच्चों को अच्छे संस्कार दे | प्रेम-सद्भावना-असहाय के प्रति दया भाव-मीठी वाणी- सत्य बोलना-बड़ों का आदर करना, अपने कर्तव्य का निष्ठापूर्वक पालन – देश के प्रति प्रेम ये सभी अच्छी आदते स्वयं अपनाये व अपने बच्चों को भी ऐसी शिक्षा दे | जब परिवार के सभी सदस्य सद्गगुणी बनेंगे तो परिवार में सुख-शांति/Ghar Me Sukh Shanti Upay आने से कोई नहीं रोक सकता |