गुस्सा(क्रोध) क्या है ? गुस्सा(क्रोध) आने के 11 मुख्य कारण | गुस्सा कब आना सही है

By | May 2, 2020

बहुत ही कम लोग ऐसे होते है जो इस विषय में रूचि रखना पसंद करेंगे कि आखिर लोगों को गुस्सा क्यों आता है और इस गुस्से को कैसे control किया जाये | किन्तु यह विषय इतना भी साधारण नहीं है कि इसे अनदेखा किया जाये | सबसे पहले यह जानना जरुरी है कि गुस्सा आना आपके लिए हानिकारक भी है या नहीं | सामान्य परिस्थितियों में गुस्सा आना स्वाभाविक है | चिंता का विषय यह केवल उन लोगों के लिए है जिन्हें अधिक गुस्सा आता है बिना वजह गुस्सा(क्रोध) आता है या फिर छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा आता है |

गुस्सा(क्रोध) क्या है :

सामान्य शब्दों में गुस्सा किसी की मनोवृति के प्रतिकूल भावना प्रकट होना है | गुस्सा एक प्रकार से अनियंत्रित भावना है जिसे यदि शारीरिक स्वास्थ्य से जोड़कर देखा जाये तो यह स्वास्थ्य को क्षति पहुंचाता है | यदि सामने वाले व्यक्ति की द्रष्टि से देखे तो यह उसे भी क्षति पहुंचाता है | और परिवार से जोड़कर देखे तो यह उसे भी क्षति ही पहुंचाता है | गुस्सा(क्रोध) पूर्ण रूप से नकारात्मक भाव की श्रेणी में आता है जिससे पीड़ित व्यक्ति और उससे जुड़े व्यक्ति प्रभावित हो सकते है |

Gussa Aane Ke Karan :

Gussa Aane Ke Karan

गुस्सा(क्रोध) आने के 11 मुख्य कारण :

गुस्सा(क्रोध) सभी लोगों को आता है किसी को कम और किसी को ज्यादा | जिस व्यक्ति को ज्यादा गुस्सा(क्रोध) आता है उसे इस पर नियंत्रण करने की आवश्यकता है | जिन लोगों को अधिक गुस्सा आता है इसके पीछे क्या कारण हो सकते है आइये जानने का प्रयत्न करते है :

अधिक गुस्सा(क्रोध) आने के पीछे ये कारण हो सकते है :

  1. अत्यधिक तनाव
  2. चिडचिड़ापन
  3. हीन भावना
  4. कमजोर होना
  5. पारिवारिक समस्या
  6. जॉब की प्रकृति
  7. नशीले पदार्थो का सेवन
  8. अनुवांशिक या संस्कार
  9. दिनचर्या
  10. बीमारी
  11. धर्य की कमी

Gussa Aane Ke Karan

1. अत्यधिक तनाव : 

आज के समय में हर व्यक्ति तनावग्रस्त है | बहुत से लोग चिंता बहुत करते है | बात-बात पर चिंता करना ही बाद में तनाव का कारण बनता है |तनावग्रस्त व्यक्ति मानसिक रूप से अपंग होने लगता है | उसकी इन्द्रियां ठीक से कार्य नहीं करती | यही तनाव बाद में गुस्से के रूप से अन्य लोगों पर निकलने लगता है | तनावग्रस्त व्यक्ति छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा(क्रोध) करने लगते है | जब तनाव मनुष्य के अवचेतन मन का हिस्सा हो जाता है तब वे चाहकर भी न तो तनाव से दूर हो पाते है और न ही गुस्से पर काबू रख पाते है |

2. चिडचिड़ापन :

मनुष्य का चिडचिडा होना भी एक प्रकार की भावना है जिसमें मनुष्य अपने भाव पर नियंत्रण नहीं रख पाता | ऐसे लोग छोटी-छोटी बातों पर व्याकुल हो उठते है | मनुष्य के चिडचिडे स्वभाव के पीछे बहुत से कारण हो सकते है जैसे : तनाव , हीन भावना, बीमारी या आर्थिक स्थिति | अधिकतर लोगों में गुस्सा(क्रोध) और उनका चिडचिडापन एक साथ देखा जा सकता है |

3. हीन भावना :

कुछ लोग जो स्वयं से संतुष्ट नहीं होते और दूसरों की भौतिक वस्तुओं या उनके ज्ञान से तुलना करने में लगे रहते है ऐसे लोग हीन भावना का शिकार होने लगते है | हीन भावना न केवल आपको मानसिक रूप से विकृत करती है बल्कि अनायास गुस्सा(क्रोध) आने का कारण भी बनती है |

4. कमजोर होना :

जो लोग शारीरिक रूप से कमजोर होते है या फिर आर्थिक रूप से कमजोर होते है उन लोगों में भी अधिक गुस्सा आने की सम्भावना अधिक रहती है | देखा जाये तो शारीरिक रूप या आर्थिक कमजोरी भी हीन भावना को जन्म देती है और हीन भावना से गुस्सा(क्रोध) जन्म लेता है |

5. पारिवारिक समस्या :

मनुष्य के सामाजिक प्राणी है जो परिवार में रहकर ही अपना जीवन निर्वाह करता है | परिवार के सुख और दुःख को स्वयं से जोड़कर देखता है | यदि परिवार के किसी व्यक्ति पर कोई भी बड़ी विपदा आती है तो इसे व्यक्ति भी प्रभावित होता है और चिंता करने लगता है | यदि चिंता बाद में तनाव का रूप लेकर गुस्से(क्रोध) का कारण बनती है |

6. जॉब की प्रकृति :

बहुत से लोग ऐसे होते है जिनकी जॉब में मानसिक कार्य अधिक होता है | मानसिक कार्यों में स्पष्टा हो वहाँ सब ठीक होता है किन्तु जिन मानसिक कार्यो में स्पष्टा का अभाव होता है वहाँ यह तनाव का रूप लेने लगता है और व्यक्ति में गुस्सा अधिक आने लगता है | कुछ लोग अपने स्वभाव से ऐसी परिस्थिति में समन्वय स्थापित कर लेते है किन्तु अधिकांश लोगों में अधिक गुस्सा(क्रोध) आने के अवगुण देखे जा सकते है |

7. नशीले पदार्थो का सेवन :

जो लोग नशीले पदार्थ जैसे : बीडी-सिगरेट- गुटखा या शराब का सेवन करते है | शुरू-शुरू में ये सभी नशे आपके मष्तिष्क को आनंद की अनुभूति कराते है किन्तु बाद में इनकी लत लग जाती है और इनके सेवन की मात्रा भी दिन-प्रतिदिन बढती जाती है | इस स्थिति में आपका मष्तिष्क अब पहले जैसा नहीं रहता है | अब आपका मस्तिष्क नशे का गुलाम हो चुका है और समय पर नशा न मिलने पर आपके स्वभाव में परिवर्तन होने लगता है | आपको जल्दी गुस्सा(क्रोध) आने लगता है आप तनाव महसूस करते है |

8. अनुवांशिक या संस्कार :

गुस्सा अधिक आने के भाव अनुवांशिक भी हो सकते है | यदि आपके परिवार में आपके माता-पिता या दादा-दादी को बिना कारण के ही अधिक गुस्सा होने की आदत है तो सम्भावना है कि आप भी इस आदत के शिकार बन जाये | इसका एक कारण संस्कार भी हो सकते है | माता-पिता अधिक गुस्सा करने वाले है तो बच्चे भी उनसे वैसा ही सीखते है और अधिक गुस्सा(क्रोध) करने लगते है |

9. दिनचर्या :

आपकी दिनचर्या जिसमें आप ठीक से नींद नहीं ले पा रहे है | आप बुरे दोस्तों के साथ उठते-बैठते है | तामसिक भोजन का सेवन अधिक करते है | अपने परिवार को समय नहीं देते है | अपने माता-पिता और अपनों से बड़ों का आदर नहीं करते है तो ऐसे में अधिक गुस्सा(क्रोध) आना आपका स्वभाव बन सकता है |

10. बीमारी :

जो लोग समय से पहले किसी असाध्य रोग की गिरफ्त में आ जाते है वे दिन प्रतिदिन शारीरिक व मानसिक रूप से कमजोर होने लगते है उनका स्वभाव चिडचिडा होने लगता है | परिवार – दोस्त और समाज से उन्हें सहयोग न मिलने पर उनका स्वभाव बदलना स्वाभाविक है | ऐसी स्थिति में उन्हें अधिक गुस्सा(क्रोध) आने लगता है |

11. धैर्य की कमी :

यह अक्सर देखा गया है कि जिन लोगों ए धैर्य की कमी होती है उन्हें गुस्सा अधिक आता है | वे जल्द-जल्द किसी चीज को पाना चाहते है | किसी भी चीज को जल्द से जल्द हासिल करने की यही हडबडाहट अक्सर उनके गुस्से(क्रोध) का कारण बन जाती है |

गुस्सा(क्रोध) कब आना सही है : 

स्वयं की रक्षा के लिए मनुष्य को गुस्सा आना सही माना गया है | जब इंसान को गुस्सा/(Gussa Aane Ke Karan) आता है तो उसकी शक्ति कई गुना बढ़ जाती है | किन्तु ऐसी परिस्थिति में आपका मस्तिष्क किस दिशा में कार्य करता है व कितना कार्य करता है यह सभी मनुष्यों में भिन्न-भिन्न होता है | आप स्वयं की रक्षा ही नहीं अपितु अपने परिवार की व अपने दोस्तों की या फिर अपने एक जवान के रूप में देश की रक्षा ही क्यों न कर रहे हो ऐसी परिस्थिति में गुस्सा(क्रोध) आना स्वभाविक हो जाता है |