गुरु दशा में हल्दी गांठ का महत्व व हरिद्रा गणपति

By | August 4, 2018

हल्दी को ब्रहस्पति(गुरु) का मूल माना जाता है | ब्रहस्पति(गुरु) से अधिक शुभ गृह दूसरा नहीं है | जन्मकुंडली में ब्रहस्पति थोडा भी शुभ स्थिति में है और जातक को उसकी महादशा मिल जाए तो व्यक्ति उस दशा में चौतरफा उन्नति करता है | वैसे अधिकतर पाया जाता है कि यदि ब्रहस्पति(c)शुभ नहीं है तब भी उसकी महादशा ज्यादा बुरी नहीं होती है | हल्दी चूँकि पीतवर्ण की है और भूमि के अंदर पैदा होने से वह पूर्ण प्राकृतिक भी है |

अतः हल्दी को ब्रहस्पति का पूरक कहा जा सकता है | जिस ब्रहस्पतिवार को पुनर्वसु में से कोई नक्षत्र हो उस दिन हल्दी को बाजार से लाकर उसे अपने पूजा स्थान में स्थापित करना चाहिए | यदि ठीक मुहूर्त में यह स्थापित हो जाए तो घर में शीघ्र ही मांगलिक कार्य संपन्न होते है | विवाह, शिक्षा और रोजगार प्राप्ति जैसे कार्यों में यह चमत्कारी है |

guru dasha or haldi ki ganth

Guru Dasha or Haldi Ki Ganth

हल्दी पूर्णतः प्राकृतिक तो है ही साथ सुगन्धित भी है | यह ब्रहस्पति(गुरु) का रूप धारण कर ले तो अपनी खुशबु से परिसर में दुष्ट आत्माओं को नष्ट कर देती है | हल्दी में बहुत अधिक रोग प्रतिरोधक शक्ति है | इसे एंटीसेप्टिक भी कहा जाता है | अपने इन गुणों के कारण ही सभी शुभ कार्यों को हल्दी से आरम्भ किया जाता है | हल्दी से स्वस्तिक बनाने की भी वैदिक परम्परा है | विवाह की रस्मों की शुरुआत वर-कन्या को हल्दी लगाने से आरम्भ होती है | इसलिए हल्दी की एक गांठ ही आपके जीवन स्तर को सुधार सकती है | क्योंकि जो लोग जीवन में बहुत उन्नति करते है, वे ब्रहस्पति प्रधान ही होंगे |

हल्दी के गणपति ( हरिद्रा गणपति) :-

हल्दी की गाँठ से जो गणपति की आकृति बनाई जाती है उसे ही हल्दी के गणपति या हरिद्रा गणपति कहा जाता है | किसी भी शुभ कार्य के आरम्भ में गणपति की आराधना सर्वप्रथम की जाने की परंपरा है | गणपति को अग्रज देव कहा जाता है | आप ऋणमोचक और संकटहरण कहे जाते है | व्यवसाय और शिक्षा-दीक्षा में श्री गणपति की पूजा-अर्चना की जाती है | गणपति की प्रतिमा को अनेकों प्रकार की धातुओं, पत्थरों या मिट्टी से बनाया जाता है |

वनस्पति से भी गणपति की प्रतिमा बनाये जाने की परम्परा रही है | मूल रूप से सफ़ेद आक और हल्दी की गांठ पर गणपति को उकेरा जाता है | हल्दी से बने गणपति को आम बोलचाल की भाषा में हरिद्रा गणपति भी कहा जाता है | यह प्रतिमा ब्रहस्पति की विवेकशीलता और गणपति की दैवीय प्रभाव के आभामंडल से आलोकित रहती है | यह चमत्कारी लेकिन बहुत सस्ता और सुलभ रत्न है | यदि किसी शुभ दिन को हल्दी को खरीदना, उस पर गणपति को उकेरना और परिसर में स्थापित करना संभव हो जाये तो यह कुछ ही महीनों में काया पलट देती है(Guru Dasha or Haldi Ki Ganth) |

अन्य जानकारियाँ :-

श्री हरिद्रागणपति की स्थापना किसी ताम्बे के पात्र में की जाती है | इसके लिए विशेष शुभ वार बुधवार है | विशेष और शीघ्र परिणामों के लिए निम्न मंत्र का जाप करें : –

” ॐ हूं गं ग्लौं हरिद्रागणपतये वर वरद सर्वजन ह्रदयं स्तम्भय स्तम्भय स्वाहा ”