मनुष्य के जन्म के साथ ही यह समाज उसके पीछे किसी न किसी धर्म की मोहर लगा देते है और मरते दम तक वह व्यक्ति उसी धर्म का अनुसरण करता है | उसी धरम को सर्वोच्च धर्म मानकर अनुसरण करने लगता है(Ishwar Kya Hai) | उसको यह बताया जाता है कि उस धरम से ही इस संसार का अस्तित्व है | उस धर्म के प्रमुख ने ही इस संसार की रचना की है | जैसे : हिन्दू धरम में शिव शक्ति , ईसाई धर्म में ईशु तो मुश्लिम धर्म में अल्लाह को सर्वोच्च मानकर उनका अनुसरण कराया जाता है |
आज हम अनुभव के आधार पर इस संसार में ईश्वर तत्व की ईश्वर शब्द(Ishwar Kya Hai) की पहचान करने की कोशिश करेंगे | आपने और भी बहुत से ऐसे पोस्ट पढ़े होंगे जो यह दावा करते है कि ईश्वर होते है और विश्वास के साथ इस शब्द की पुष्टि करते है या फिर विश्वास के साथ ईश्वर न होने की पुष्टि करते है | किन्तु क्या वे लोग ईश्वर शब्द के दोनों पहलुओं को सबूत के साथ प्रमाणित कर सकते है | नहीं ! इसलिए आज इस पोस्ट में हम ईश्वर तत्व को समझने का सिर्फ प्रयास करेंगे |
क्या है ईश्वर :
Ishwar Kya Hai :
सभी धर्मों के अनुसार उनकी प्रमुख शक्ति ने ही इस संसार की रचना की है इस तथ्य की पुष्टि उनके पवित्र ग्रन्थ करते है | लेकिन कोई ऐसा सबूत नहीं है जिससे यह विश्वास किया जा सके कि उनके धर्म से ही इस संसार का अस्तित्व जुड़ा है | क्या आप जानते है जब लेखन कला इस संसार में नहीं थी तब मौखिक रूप से ही सभी जानकारियों का आदान-प्रदान किया जाता था | एक पीढ़ी से दूसरी और दूसरी से तीसरी पीढ़ी तक एक जानकारी पहुँचते-पहुँचते उसमें कुछ जुड़ जाता था व कुछ घट जाता था | और धरम के विषय में हम सदियों से सुनते आ रहे है |
जब लेखन कला का विकास हुआ और इन पवित्र ग्रंथो को लिखा गया तब ईश्वर शब्द से जुड़ी जानकारियों में कितने बदलाव हो चुके होंगे, यह तो एक सामान्य व्यक्ति भी अनुमान लगा सकता है | इसलिए इन धार्मिक ग्रंथो को कभी भी सही अर्थो में सच्चा सबूत नहीं माना जा सकता |
वास्तविक अनुभव के आधार पर ईश्वर की परिभाषा :
जो लोग यह समझते है कि धर्म ही ईश्वर है वे गलत है | धर्म कभी ईश्वर नहीं हो सकता, हाँ धर्म ईश्वर को जानने का, ईश्वर को समझने का मार्ग अवश्य बन सकता है |
विज्ञान के अनुसार सम्पूर्ण ब्रम्हांड और ब्रम्हांड में मौजूद हर वस्तु और जीव जंतुओं की उत्पत्ति के पीछे ईश्वर का हाथ नहीं बल्कि किसी न किसी आकस्मिक घटना या कारण या फिर विज्ञान का हाथ है | हाँ, विज्ञान जिन घटनाओं के पीछे का कारण नहीं जान पाता, उन्हें प्रकृति का सहारा लेकर आसानी से किनारा कर लिया जाता है | विज्ञान ने ईश्वर के स्वरूप को किसी अद्रश्य शक्ति के रूप में नहीं, अपितु प्रकृति के रूप में अपनाया है | इसलिए अंततः आप इस निष्कर्ष पर आ सकते है : सभी धर्मों के अनुसार ” ईश्वर है “ और विज्ञान के अनुसार ” प्रकृति है “|
ईश्वर ही प्रकृति है और प्रकृति ही ईश्वर है | दोनों एक ही है | ना पूर्ण रूप से विज्ञान गलत है और ना पूर्ण रूप से कोई भी धर्म | क्योंकि सच्चे शब्दों में ईश्वर वह परमशक्ति है जिसे जितना समझने की कोशिश करें थोड़ा है | सभी धर्मों के अनुसार ईश्वर/Ishwar Kya Hai को मानव शरीर से जोड़कर देखा गया है और विज्ञान ने ईश्वर को प्रकृति से जोड़कर देखा है | यह सम्पूर्ण ब्रम्हांड और इसमें सभी सजीव व निर्जीव को बनाने वाले ईश्वर है | प्रकृति को बनाने वाले ईश्वर है | लेकिन ईश्वर किसी मानव शरीर के रूप में नहीं अपितु , अद्रश्य शक्ति के रूप में इस प्रकृति में ही समाये है |