लोहड़ी का त्यौहार 2018 ! सम्पूर्ण जानकारी |

By | January 9, 2018

हमारा देश अनेकता में एकता का देश है और यहाँ सभी त्यौहार पारम्परिक तरीके से मनाये जाते है | फिर चाहे बात दीपावली की हो , होली की हो या फिर रक्षा बंधन की | इसके साथ ही एक त्यौहार ऐसा भी है जो एक बहादुर योद्धा की कहानी से जुड़ा है | जी हाँ , हम बात कर रहे है लोहड़ी की जिसे पूरे उत्तर भारत में बेहद हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है | लोहड़ी नाम सुनते ही मन में भांगड़ा , गिद्धा, मूंगफली ओर रेवड़ी की तस्वीर उभरने लगती है | लोहड़ी/Lohri Festival Hindi बसंत के आगमन के साथ 13 जनवरी पौष महीने की आखिरी रात को मनाई जाती है | इसके अगले दिन माघ महीने की सक्रांति को माघी के रूप में मनाया जाता है |

वैसाखी त्यौहार की तरह लोहड़ी(Lohri Festival Hindi) का संबंध भी पंजाब के गाँव , फसल और मौसम से है | पौष की कड़ाके की सर्दी से बचने और भाईचारे की साँझ एवं अग्नि का सुकून लेने के लिए यह त्यौहार मनाया जाता है | इस त्यौहार का संबंध फसल से भी है | इस समय गेंहू और सरसों की फसलें अपने अंतिम चरण पर होती है | खेतों में गेंहूँ , सरसों और छोले जैसी फसलें लहराती है | दिवाली , होली या वैसाखी की तरह लोहड़ी के साथ कोई धार्मिक कहानी नहीं बल्कि वीर योद्धा दुल्ला भट्टी की कहानी जुड़ी है , इसी कारण यह त्यौहार पंजाब की सभ्यता का प्रतीक बन गया है |

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लोहड़ी त्यौहार की कहानी/Lohri Festival Hindi : –

बड़े -बुजुर्गों के मुताबिक लोहड़ी/Lohdi Festival का संबध कई एतिहासिक कहानियों से साथ जोड़ा जाता है , पर इस से जुडी प्रमुख लोककथा दुल्ला भट्टी की है जो मुगलों के समय एक बहादुर योद्धा था | दुल्ला भट्टी ने मुगलों के बढ़ते जुल्म के खिलाफ कदम उठाया था | कहा जाता है कि एक ब्राहमण की 2 लड़कियों सुन्दरी और मुंदरी के साथ इलाके का मुग़ल शासक जबरन शादी करना चाहता था, लेकिन उन दोनों की सगाई कहीं और हुई थी | उस मुग़ल शासक के डर से उनके भावी ससुराल वाले शादी के लिए तैयार नहीं थे | इस मुशीबत के घड़ी में दुल्ला भट्टी ने ब्राह्मण की मदद की और लड़के वालों को मनाकर एक जंगल में आग जलाकर सुन्दरी और मुंदरी का व्याह करवाया | दुल्ले ने खुद ही दोनों लड़कियों का कन्यादान किया | कहते है दुल्ले ने शगुन के रूप में उनको शक्कर दी थी | दुल्ला भट्टी की जुल्म के खिलाफ मानवता की सेवा को आज भी लोग याद करते है और उस रात को लोहड़ी के रूप में सत्य और साहस की जुल्म पर जीत के तौर पर मनाते है |

इस प्रकार मनाया जाता है लोहड़ी का त्यौहार : –

पंजाब में लोहड़ी(Lohri Festival Hindi) का सम्बन्ध नये जन्मे बच्चों के साथ भी है | पुराने समय से ही यह रीत चली आ रही है कि जिस घर में लड़का जन्म लेता है, उस घर में लोहड़ी मनाई जाती है | लोहड़ी/Lohdi Festival के कुछ दिन पहले आसपास के लोगों को गुड़ बाटा जाता है | लोहड़ी की रात सभी रिश्तेदार और पडोसी लड़के के घर आते है और लकड़ियाँ , उपलें आदि से अग्नि जलाई जाती है | सभी को गुड़, मूंगफली, रेवड़ी, धानी आदि बांटे जाते है | आजकल कुछ लोग कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिए लड़कियों के जन्म पर भी लोहड़ी मनाने लगे है, ताकि रूढ़ीवादी लोगों में लड़का-लड़की के अंतर को खत्म किया जा सके | कई इलाकों में विवाहित जोड़ी की पहली लोहड़ी मनाई जाती है, जिसमें लोहड़ी/Lohdi Festival की पवित्र आग में तिल डालने के बाद जोड़ी बड़े -बुजुर्गों का आशीर्वाद लेती है |

लोहड़ी का प्रसाद : –

भारत के पंजाब क्षेत्र में लोहड़ी के 20 से 25 दिन पहले ही लड़के -लडकियाँ लोहड़ी/Lohdi Festival के लोकगीत गाकर लकड़ी और उपलें इक्कट्ठे करते है | संचित सामग्री से चौराहे या गली-मोहल्ले के किसी खुले स्थान पर आग जलाई जाती है | परिवार और आस-पड़ोस के लोग अग्नि के चारों ओर आसन जमा लेते है | परिवार अग्नि की परिक्रमा करता है | मूंगफली , रेवड़ी , और फूल्ले अग्नि को भेंट किये जाते है और इन्ही चीजों को प्रसाद के रूप में सभी लोगों में बांटा जाता है | घर लौटते समय लोहड़ी में से दो -चार दहकते कोयले, प्रसाद के रूप में घर पर लाने की प्रथा भी है |

क्या है लोहड़ी व्याहना ? :-

शहरों में शरारती लड़के दुसरे गली- मोहल्लों में जाकर लोहड़ी से जलती हुई लड़की उठाकर अपने गली -मोहल्लें की लोहड़ी में डाल देते है | इसे लोहड़ी व्याहना कहा जाता है | यह रिवाज लोहड़ी के साथ काफी पुराने समय से जुड़ा हुआ है | बड़े -बुजुर्गों का कहना है कि लोहड़ी के त्यौहार पर लोहड़ी/Lohdi Festival व्याहना बेहद जरुरी होता है और इसे रस्म की तरह पूरा करना होता है | कुछ देहाती मान्यताओं, समय व क्षेत्रीयता का प्रभाव सभी त्योहारों को मनाने में थोडा अंतर कर सकता है किन्तु यह भी एक सत्य है कि त्यौहार चाहे कोई भी हो वह लोगों में परस्पर प्रेम और मानवता का सन्देश लेकर आता है |

अन्य  जानकारियाँ : – 

Lohdi Festival /लोहड़ी त्यौहार की शुभकामनायें : –

लोहड़ी/Lohdi Festival आने से कुछ दिन पहले ही अपने सगे-सम्बन्धियों और मित्रगणों में लोहड़ी की शुभकामनाओं का आदान-प्रदान होने लगता है |आप भी नीचे दिए गये लोहड़ी पर्व के लिए शुभकामना संदेशों द्वारा अपने परिवार और मित्रगणों को शुभकामना भेज सकते है : –

दिल की ख़ुशी और अपनों का प्यार
मुबारक हो आप्नको लोहड़ी का त्यौहार ||
♣♣♣
मूंगफली दी खुशबू ते गुड़ दी मिठास 
मक्की दी रोटी ते सरसों डा साग 
दिल दी ख़ुशी ते अपनों दा प्यार 
मुबारक होवे तुहांनु लोहड़ी दा त्यौहार ||
 ♣♣♣
चाँद को चांदनी मुबारक,
दोस्त को दोस्ती मुबारक,
मुझको आप मुबारक,
और मेरी तरफ़ से आपको लोहड़ी मुबारक ||
  ♣♣♣
फेर आ गई भंगडे दी वारी,
लोहड़ी मनाऊ दी करो तियारी,
अग्ग दे कोल सारे आओ,
सुनदरिये-मुनदरिये जोर नाल गाओ,
लोहड़ी दी आप ते आपदे पूरे परिवार नु बधाई ||
  ♣♣♣
लोहड़ी (Lohri Festival Hindi) के दिन सभी घरों में मक्के की रोटी , बाजरे की रोटी और सरसों का साग मनाया जाता है | लोहड़ी के त्यौहार पर हर दुकान -रेहड़ी पर मूंगफली , रेवड़ी और गुड़ की पट्टी ही दिखाई देती है | सभी तरफ बाज़ारों में रौनक दोगुनी हो जाती है | इतना ही नहीं आजकल तो कई जगहों पर लोहड़ी/Lohdi Festival के दिन डीजे भी लगाये जाते है और बड़ी धूम-धाम से जश्न मनाया जाता है |