हिन्दू धर्म में जातक के भूत-भविष्य की गणना में ज्योतिष शास्त्र का बड़ा महत्व है | ज्योतिष शास्त्र में जातक की सभी पीडाओं का हल मिलता है | ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जातक को मिलने वाली सभी परेशानियों का संबंध ग्रहों से है | बड़ी ही दुर्लभता ले मिलने वाले रत्न मनुष्य के शारीरिक सौंदर्य को बढ़ाने के साथ-साथ अलग-अलग ज्योतिष प्रभाव भी रखते है | माणिक्य, मोती, हीरा, पन्ना और नीलम ये सभी महारत्न की श्रेणी में आते है | आज हम आपको मोती रत्न/(Moti Ratna Dharan Karne ki Vidhi or Labh) के विषय में जानकारी देने वाले है | मोती रत्न क्या है ? मोती रत्न का संबंध किस गृह से है ? मोती रत्न धारण करने से जातक को कौन-कौन से लाभ प्राप्त होते है :
मोती रत्न :-
मोती, समुद्र में सीपियों द्वारा बनाया जाने वाला अद्भुत रत्न है जो बड़ी ही दुर्लभता से मिलता है | बनावट से मोती बिल्कुल गोल व रंग में दूध के समान सफ़ेद होता है | कुछ मोती में हल्के निशान भी होते है तो कुछ बिना निशान के एकदम सफ़ेद, हल्के गुलाबी या हल्के पीले भी हो सकते है |
मोती रत्न किस गृह और राशी से संबंध रखता है :-
मोती रत्न का स्वामी गृह चंद्रमा है व कर्क राशी के लिए यह सबसे उपयुक्त माना गया है | कुंडली में चन्द्र गृह से सम्बंधित सभी दोषों में मोती को धारण करना लाभप्रद माना गया है | चंद्रमा का प्रभाव एक जातक के मस्तिष्क पर सबसे अधिक होता है इसलिए मन को शांत व शीतल बनाये रखने के लिए मोती धारण करना चाहिए |
Moti Ratna Dharan Karne ki Vidhi or Labh
मोती धारण करने से जातक को क्या-क्या लाभ प्राप्त होते है :-
एक जातक की कुंडली में चंद्रमा की स्थिति व उसके प्रभाव के अनुसार मोती के अलग-अलग लाभ मिलते है इसलिए जब कभी भी आप मोती को धारण करने का मन बनाये तो किसी अच्छे ज्योतिष से एक बार सलाह अवश्य ले ले, ताकि आपका सही प्रकार से मार्गदर्शन हो सके :-
- मन व शरीर को शांत व शीतल रखने के लिए मोती धारण किया जा सकता है | मोती रत्न, चन्द्रमा से प्रभावित है | चंद्रमा स्वभाव से शांत और शीतल है और ये सभी गुण मोती में मिलते है |
- नेत्र रोग, गर्भाशय रोग व ह्रदय रोग में मोती धारण करने से लाभ मिलता है | इनके अतिरिक्त मोती का प्रयोग आयुर्वेद में भी बहुत सी व्याधियों को दूर में प्रयोग किया जाता है |
- जातक की कुंडली में चन्द्र गृह के साथ राहु और केतु के योग बनने पर जातक को मोती अवश्य धारण करना चाहिए | इससे राहू और केतु के बुरे प्रभावों को कम किया जा सकता है |
- मन को स्थिर रखने के लिए भी मोती धारण किया जा सकता है |
मोती धारण करने की विधि :-
मोती धारण करने का शुभ दिन सोमवार है व इसे चांदी की अँगूठी में पहनना चाहिए | मोती धारण करने से पूर्व इसे पहले (दूध-दही-शहद-घी-तुलसी पत्ते) पंचामृत से स्नान कराना चाहिए | इसके पश्चात् इसे गंगाजल से स्नान कराये | अब पूजा स्थल पर दूप व दीप प्रज्वल्लित करें और मोती को सामने रखते हुए चन्द्र देव का ध्यान करें | अब इस मंत्र के यथा संभव जप करें : ॐ चं चन्द्राय नमः | अब अंत में दीपक के ऊपर से 11 बार मोती को घुमाते हुए चन्द्र देव का ध्यान करें | अब आप इसे अपनी सबसे छोटी ऊँगली(कनिष्ठा) में धारण करें |
अन्य जानकारी :-
- रत्न क्या होते है ? ज्योतिष शास्त्र में रत्न का महत्व
- असाध्य रोग होने पर क्या करें ? असाध्य रोग होने पर जीवन निर्वाह करने की कला सीखें
- जन्म कुंडली में ग्रहों को अनुकूल बनाने के उपाय ! ग्रहों को मददगार कैसे बनाये ?
मोती धारण करने के नियम :-
किसी भी रत्न का सकारात्मक प्रभाव तभी तक रहता है जब तक कि इसकी शुद्धता बनी रहती है | इसलिए ध्यान दे : किसी दाह संस्कार में जाने के बाद या परिवार में किसी सदस्य की मृत्यु या जन्म के बाद स्यावड़ -सूतक आदि के दिनों के बाद रत्न को शुद्ध अवश्य करना चाहिए | महिलायें अपने मासिक के बाद रत्न को शुद्ध अवश्य करें | रत्न को शुद्ध करने के लिए : इसे गाय के दूध व गंगाजल से स्नान कराये व दूप-दीप दिखाये(Moti Ratna Dharan Karne ki Vidhi or Labh) |