सम्पूर्ण शनिदेव चालीसा | श्री शनि चालीसा पाठ के लाभ

By | February 28, 2020

शनि देव को हिन्दू धर्म में न्याय के देव कहा गया है | मनुष्य के पाप और पुण्य कर्मो का फल देने का कार्य शनि देव द्वारा ही संचालित है | इसलिय जीवन में सुख प्राप्त करने के लिए शनि देव की आराधना आपके लिए चमत्कारी सिद्ध हो सकती है | शनि देव की साढ़े साती – ढईयां और महादशा में शनिदेव की आराधना से आपकी पीड़ा और कष्ट कम होते है | यदि आपकी कुंडली में शनिदोष है तो शनिदेव के सरल उपाय, उनकी पूजा-आराधना ही आपका सहारा हो सकती है उनके क्रोध से बचने में | नियमित रूप से शनिदेव चालीसा/Shani Chalisa ke Labh द्वारा उनका स्मरण करना भी आपके लिए चमत्कारी सिद्ध हो सकता है |

यदि आपका जीवन कष्टों से भर गया है कहीं से भी कोई उपाय आपको दिखाई नहीं दे रहा तो ऐसे में आप शनिदेव चलीसा का पाठ नियमित रूप से करना शरू कर दे | सुबह व शाम के समय आप शनिदेव चालीसा पाठ कर सकते है | पूजा स्थल पर तेल का दीपक लगाये और शनि यंत्र को सामने रखे | अब आप गणेश जी स्तुति के पश्चात् शनि चालीसा का पाठ कर सकते है |

जो भक्त नियमित रूप से शनिदेव चालीसा का पाठ न कर पाए व कम से कम शनिवार के दिन अवश्य इसे करें | इसके साथ ही शनिवार को सरसों के तेल की चुपड़ी रोटी काले कुत्ते को अवश्य खिलाया करें |

Shani Chalisa ke Labh 

Shani Chalisa ke Labh

शनिदेव चालीसा 

जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल करण कृपाल।

दीनन के दुख दूर करि, कीजै नाथ निहाल॥

जय जय श्री शनिदेव प्रभु, सुनहु विनय महाराज।

करहु कृपा हे रवि तनय, राखहु जन की लाज॥

जयति जयति शनिदेव दयाला।

करत सदा भक्तन प्रतिपाला॥

चारि भुजा, तनु श्याम विराजै।

माथे रतन मुकुट छबि छाजै॥

परम विशाल मनोहर भाला।

टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विकराला॥

कुण्डल श्रवण चमाचम चमके।

हिय माल मुक्तन मणि दमके॥

कर में गदा त्रिशूल कुठारा।

पल बिच करैं अरिहिं संहारा॥

पिंगल, कृष्णो, छाया नन्दन।

यम, कोणस्थ, रौद्र, दुखभंजन॥

सौरी, मन्द, शनी, दश नामा।

भानु पुत्र पूजहिं सब कामा॥

जा पर प्रभु प्रसन्न ह्वैं जाहीं।

रंकहुँ राव करैं क्षण माहीं॥

पर्वतहू तृण होई निहारत।

तृणहू को पर्वत करि डारत॥

राज मिलत बन रामहिं दीन्हयो।

कैकेइहुँ की मति हरि लीन्हयो॥

बनहूँ में मृग कपट दिखाई।

मातु जानकी गई चुराई॥

लखनहिं शक्ति विकल करिडारा।

मचिगा दल में हाहाकारा॥

रावण की गति-मति बौराई।

रामचन्द्र सों बैर बढ़ाई॥

दियो कीट करि कंचन लंका।

बजि बजरंग बीर की डंका॥

नृप विक्रम पर तुहि पगु धारा।

चित्र मयूर निगलि गै हारा॥

हार नौलखा लाग्यो चोरी।

हाथ पैर डरवायो तोरी॥

भारी दशा निकृष्ट दिखायो।

तेलिहिं घर कोल्हू चलवायो॥

विनय राग दीपक महं कीन्हयों।

तब प्रसन्न प्रभु ह्वै सुख दीन्हयों॥

हरिश्चन्द्र नृप नारि बिकानी।

आपहुं भरे डोम घर पानी॥

तैसे नल पर दशा सिरानी।

भूंजी-मीन कूद गई पानी॥

श्री शंकरहिं गह्यो जब जाई।

पारवती को सती कराई॥

तनिक विलोकत ही करि रीसा।

नभ उड़ि गयो गौरिसुत सीसा॥

पाण्डव पर भै दशा तुम्हारी।

बची द्रौपदी होति उघारी॥

कौरव के भी गति मति मारयो।

युद्ध महाभारत करि डारयो॥

रवि कहँ मुख महँ धरि तत्काला।

लेकर कूदि परयो पाताला॥

शेष देव-लखि विनती लाई।

रवि को मुख ते दियो छुड़ाई॥

वाहन प्रभु के सात सुजाना।

जग दिग्गज गर्दभ मृग स्वाना॥

जम्बुक सिंह आदि नख धारी।

सो फल ज्योतिष कहत पुकारी॥

गज वाहन लक्ष्मी गृह आवैं।

हय ते सुख सम्पति उपजावैं॥

गर्दभ हानि करै बहु काजा।

सिंह सिद्धकर राज समाजा॥

जम्बुक बुद्धि नष्ट कर डारै।

मृग दे कष्ट प्राण संहारै॥

जब आवहिं प्रभु स्वान सवारी।

चोरी आदि होय डर भारी॥

तैसहि चारि चरण यह नामा।

स्वर्ण लौह चाँदी अरु तामा॥

लौह चरण पर जब प्रभु आवैं।

धन जन सम्पत्ति नष्ट करावैं॥

समता ताम्र रजत शुभकारी।

स्वर्ण सर्व सर्व सुख मंगल भारी॥

जो यह शनि चरित्र नित गावै।

कबहुं न दशा निकृष्ट सतावै॥

अद्भुत नाथ दिखावैं लीला।

करैं शत्रु के नशि बलि ढीला॥

जो पण्डित सुयोग्य बुलवाई।

विधिवत शनि ग्रह शांति कराई॥

पीपल जल शनि दिवस चढ़ावत।

दीप दान दै बहु सुख पावत॥

कहत राम सुन्दर प्रभु दासा।

शनि सुमिरत सुख होत प्रकाशा॥

दोहा

पाठ शनिश्चर देव को, की हों ‘भक्त’ तैयार।

करत पाठ चालीस दिन, हो भवसागर पार॥

Shani Chalisa ke Labh

श्री शनिदेव चालीसा पाठ के लाभ :

  • जीवन से कष्टों को दूर करने के लिए शनिदेव चालीसा पाठ द्वारा शनिदेव की आराधना की जाती है |
  • जिस जातक को अपनी कुंडली के विषय में जानकारी न हो और जीवन में कष्ट ही कष्ट हो तो ऐसे में बिना कुछ सोचे व किसी अन्य से परामर्श लिए, शनिदेव चालीसा का पाठ करना चाहिए | ऐसे में शनिदेव की आराधना ही आपको आपके कष्टों से मुक्ति दिला सकती है |
  • आकस्मिक दुर्घटना से बचने के लिए शनिदेव चालीसा का पाठ लाभकारी है(Shani Chalisa ke Labh) |
  • जातक द्वारा किये गये पापों के प्रायश्चित के लिए भी शनिदेव चालीसा पाठ द्वारा शनिदेव की आराधना की जानी चाहिए |
  • जीवन में समस्त सुख : वैवाहिक जीवन – सुपुत्र सुख – व्यवसाय और नौकरी में तरक्की भी शनि देव आराधना द्वारा संभव है |

शनिदेव चालीसा पाठ/Shani Chalisa ke Labh द्वारा शनिदेव आराधना आपके पाप हरने वाली है इसके साथ ही यह भी ध्यान रखना चाहिए कि शनिदेव मनुष्य के कर्म के अनुसार ही उसे फल देते है | इसलिए जीवन में सदा अच्छे कर्म करते जाये, शनिदेव की सुद्रष्टि आप पर स्वतः ही बनी रहेगी |