सूर्य नमस्कार मंत्र ! सूर्य नमस्कार के समय इन मन्त्रों का उच्चारण जरुर करें

By | January 7, 2019

सूर्य नमस्कार एकमात्र ऐसा योगासन है जिसके करने से सभी योगासन के समान फल की प्राप्ति होती है | जिस जातक ने सूर्य नमस्कार विधिवत कर लिया, समझो सभी योगासन को उसने एकसाथ कर लिया | इसलिए सभी योगासनों में सूर्य नमस्कार को सर्वश्रेष्ट माना गया है | सूर्य नमस्कार के नियमित अभ्यास से जातक का शरीर निरोग और स्वस्थ बंनने के साथ-साथ तेजस्वी भी बनता है | अन्य योगासन की भांति सूर्य नमस्कार भी सूर्योदय या सूर्योदय से पहले करना लाभप्रद माना गया है | सूर्य नमस्कार को तेरह बार करना चाहिए | प्रत्येक बार सूर्य देव के अलग-अलग मंत्र(Surya Namaskar Mantra) द्वारा सूर्य देव को नमस्कार करना चाहिए |

सूर्य नमस्कार मंत्र /Surya Namaskar Mantra  : –

सूर्य नमस्कार के समय सूर्य देव के मन्त्रों के जप करने से भौतिक रूप से तो आप शारीरिक लाभ प्राप्त करते ही है साथ में अध्यात्म की द्रष्टि से भी सूर्य देव से विशेष आर्शीवाद प्राप्त करते है | सूर्य नमस्कार के समय सूर्य देव के इन मन्त्रों के उच्चारण से सूर्य देव प्रसन्न होकर आपको आशीर्वाद देते है | जन्म कुंडली में सूर्य जनित दोषों से आप छुटकारा पाते है | तो आइये जानते है सूर्य नमस्कार के समय उच्चारण किये जाने वाले मन्त्रों के विषय में : –

Surya Namaskar Mantra :-

surya namaskar mantra

सूर्य नमस्कार के तेरह मंत्र : –

  1. ॐ मित्राय नमः
  2. ॐ रवये नमः
  3. ॐ सूर्याय नमः
  4. ॐ भानवे नमः
  5. ॐ खगाय नमः
  6. ॐ पूष्णे नमः
  7. ॐ हिरण्यगर्भाय नमः
  8. ॐ मरीचये नमः
  9. ॐ आदित्याय नमः
  10. ॐ सवित्रे नमः
  11. ॐ अर्काय नमः
  12. ॐ भास्कराय नमः
  13. ॐ श्री सबित्रू सुर्यनारायणाय नमः

सूर्य नमस्कार के विषय में शास्त्रों में एक श्लोक प्रचलित है : –

आदित्यस्य नमस्कारान् ये कुर्वन्ति दिने दिने।
आयुः प्रज्ञा बलं वीर्यं तेजस्तेषां च जायते ॥

जो जातक सूर्य नमस्कार प्रतिदिन करते है उनकी आयु , प्रज्ञा, बल, वीर्य और तेज बढ़ता है | इसके साथ ही सूर्य नमस्कार प्रतिदिन करने से त्वचा जनित रोग दूर होते है | कब्ज और उदर रोगों में भी सूर्य नमस्कार से आश्चर्यजनक रूप से लाभ मिलता है | पाचन तंत्र के सभी विकार दूर होने लगते है | धार्मिक द्रष्टि से सूर्य नमस्कार मंत्रों(Surya Namaskar Mantra) के साथ सूर्य नमस्कार करने से सूर्य देव प्रसन्न होकर आप पर अपनी कृपा द्रष्टि बनाये रखते है |