वातचिंतामणि रस आयुर्वेद की एक प्रसिद्द औषधि है जिसका प्रयोग वात प्रकोप को शांत करने हेतु मुख्य रूप से किया जाता है | इस औषधि के प्रयोग से रोगी को अतिशीघ्र लाभ मिलता है | मुख्य रूप से वातचिंतामणि रस/Vatchintamani Ras ke Fayde का प्रयोग : लकवा, ह्रदय रोग, हिस्टीरिया व वात जन्य रोगों में किया जाता है |
वातचिंतामणि रस बनाने की विधि :
स्वर्ण भस्म 1 तोला , चांदी भस्म 2 तोला, अभ्रक भस्म 2 तोला, मोती भस्म या पिष्टी 3 तोला, प्रवाल भस्म या पिष्टी 3 तोला, लौह भस्म 5 तोला, रससिन्दूर 7 तोला ले | प्रथम रस सिन्दूर को महीन पीस ले, फिर अन्य सब दवाओं को मिलाकर ग्वारपाठे के रस में मर्दन कर 1 -1 रत्ती की गोलियां बना, सुखाकर रख ले |
मात्रा व अनुपात :
दिन दो से तीन बार शहद के साथ 1-1 गोली का सेवन करना चाहिए |
Vatchintamani Ras ke Fayde :
वातचिंतामणि रस के फायदे/लाभ :
- ह्रदय रोग में इसके सेवन से लाभ प्राप्त होता है |
- नींद न आना , मष्तिष्क की ज्ञानवाहिनी नाड़ियों के दोष से उत्पन्न होने वाली बीमारी दूर करने में लाभकारी औषधि |
- हिस्टीरिया रोग दूर करने में गुणकारी औषधि |
- पक्षाघात, अर्दित, धनुर्वात, अपतानक, दंडापतनाक, आदि कठिन वातरोगों में रसोनसिद्ध घृत में मिलाकर देने से विशेष लाभ होता है |
- जीर्ण वातरोगों में जब रोगी अत्यंत कमजोर हो जाता है और चलने-फिरने में भी आशक्तता अनुभव करता है, ऐसी स्थिति में इस महौषधि का सेवन करने से कायाकल्प जैसा उत्तम लाभ होता है |
- पित्तप्रधान वात विकार की यह उत्तम औषधि है |
- वातचिंतामणि रस से शरीर को बल मिलता है व शरीर में हर समय चुस्ती-फुर्ती रहती है |
- लकवा रोग में लाभदायक औषधि | Vatchintamani Ras ke Fayde |
- शरीर में आई रक्त की कमी दूर करने में भी इस औषधि का प्रयोग किया जाता है |
- इस रस के सेवन से मस्तिष्क को अद्भुत बल मिलता है | याददास्त अच्छी होती है | जो लोग मानसिक श्रम अधिक करते है उनके लिए यह एक अच्छा विकल्प है | इस रस का सेवन सारस्वतारिष्ट के साथ किया जाना चाहिए |
- प्रसव के बाद आई कमजोरी को दूर करने में भी इस औषधि का प्रयोग किया गया है |
वातचिंतामणि रस में आयुर्वेद के दुर्लभ घटक समाहित होने के कारण यह एक शीघ्र लाभ प्रदान करने वाली प्रभावी औषधि है | वात रोग , ह्रदय रोग, शारीरिक कमजोरी, मानसिक कमजोरी रोगों में वातचिंतामणि रस/(Vatchintamani Ras ke Fayde) के सेवन से अवश्य लाभ मिलता है | यह एक दुर्लभ औषधि होने के कारण चिकित्सक की देख-रेख में ही इसका सेवन करना चाहिए | किसी कारण से यदि कोई दुष्प्रभाव इस औषधि के सेवन से महसूस करे तो तुरंत अपने चिकित्सक से संपर्क करे |