|| कुंडली दोष ||
ज्योतिष विज्ञान एक ऐसा अनोखा विज्ञान है जो सौरमंडल के ग्रहों और चंद्रमा के मनुष्य जीवन पर पड़ने वाले प्रभावों का पूर्वानुमान लगा लेता है | ज्योतिष विज्ञान के अनुसार किसी भी जातक के जन्म के समय होने वाले ग्रहों की स्थिति उसके जीवन को सैदव प्रभावित करती है | ज्योतिष विज्ञान के अनुसार जिस प्रकार सौरमंडल के ग्रहों ,चन्द्रमा की स्थिति में होने वाली हलचल सीधे -सीधे पृथ्वी को प्रभावित करती है उसी प्रकार इनका प्रभाव मनुष्य जीवन पर भी पड़ता है |
जब भी किसी जातक का जन्म होता है तो उसके जन्म के समय , जन्म की तिथि , जन्म के स्थान के आधार पर ज्योतिष विशेषज्ञ जातक की कुंडली तैयार करते है | इस कुंडली में वो सभी जानकारियां निहित होती है जिनके आधार पर जातक का भविष्य कैसा होगा, इसके बारे में पुर्वानुमान लगाया जा सकता है |
जन्म कुंडली में बहुत से गुण और दोष होते है जिनके आधार पर जातक का स्वाभाव कैसा होगा , भविष्य में उसका शारीरिक विकास कैसा होगा , विवाह संबधी जानकारी , पुत्र संबंधी योग और आर्थिक व्यवस्था आदि सभी प्रकार की जानकारी का पूर्वानुमान लगाना संभव होता है |
आज हम आपको जन्म कुंडली में होने मुख्य दोषों के विषय में जानकारी देने वाले है ये दोष जातक को जीवन भर मृत्युतुल कष्ट देते है :
1. कालसर्प दोष
2. मांगलिक दोष
3. नक्षत्र दोष
कालसर्प दोष
कुंडली में कालसर्प दोष के होने का मुख्य कारण पूर्वजन्म में किये गये पाप या फिर पित्र दोष होते है | कुंडली में जन्म लग्न चक्र में जब सभी गृह राहू और केतु के बीच में आ जाते है तो पूर्ण रूप से घातक कालसर्प दोष बनता है |
इस प्रकार छाया गृह – राहू और केतु के कुंडली में विशेष स्थिति के कारण बनने वाले कालसर्प दोष से पीड़ित व्यक्ति जीवन भर कष्ट झेलता है | ऐसे व्यक्ति जीवन भर शारीरिक और मानसिक कठिनाइयाँ झेलते है | संतान संबंधी कष्ट होता है | पुत्र नही होता है | यदि संतान होती भी है तो वह बहुत ही कमजोर व बीमार होती है | आर्थिक रूप से भी जीवन भर स्थिति कमजोर ही बनी रहती है | इस प्रकार काल सर्प दोष से पीड़ित व्यक्ति का जीवन बहुत ही संघर्ष शील होता है और जीवन भर उतार -चढ़ाव देखने को मिलते है |
कालसर्प दोष निवारण हेतु उपाय :-
कालसर्प दोष के निवारण के लिए सावन मास में नागपंचमी के दिन भगवान् शिव के मंदिर जाकर रूद्र अभिषेक के साथ – साथ शिवलिंग पर चांदी के बने नाग -नागिन अर्पित कर विशेष पूजा का आयोजन करना चाहिये |
काल सर्प दोष के निवारण के लिए किसी नदी के किनारे बने शिव मंदिर में महामृतुन्जय मंत्र के जाप कर शिव पूजा करनी चाहिए | इसके साथ – साथ उज्जैन में बने महाकालेश्वर मंदिर व नासिक में बने त्रियम्बकेश्वर मंदिर विशेष रूप से कालसर्प दोष के निवारण हेतु प्रचलित है | इसलिए वहा जाकर दोष निवारण हेतु विशेष पूजा का आयोजन करना अधिक फलदायी है |
कुंडली में कालसर्प दोष की पुष्टि होने पर किसी भी प्रकार का विलम्ब न करते हुए जातक को किसी अच्छे पंडित जी से संपर्क कर इसके निवारण हेतु उपाय करने चाहिए |
मांगलिक दोष
जन्म कुंडली में मंगल गृह यदि 1 , 4 , 7, 8 और 12 के स्थान पर स्थित है तो समझ लीजिये वह व्यक्ति मंगल दोष से पीड़ित है यानि मांगलिक है मंगल गृह का प्रभाव जातक के व्यवसाय व वैवाहिक जीवन विशेष रूप से पड़ता है | मांगलिक होने पर व्यक्ति के विवाह में अड़चन आने लगती है | मंगल को उग्र गृह माना जाता है | इसलिए इस दोष वाले जातक का स्वाभाव गरम माना जाता है |
ज्योतिष विशेषज्ञों अनुसार यदि लड़का मांगलिक है तो उसका विवाह किसी मांगलिक लड़की से ही होना चाहिये | ऐसा होने से मांगलिक दोष स्वतः ही दूर हो जाता है | किन्तु यदि मांगलिक दोष वाले लड़के या लड़की का विवाह ऐसे लड़के या लड़की से किया जाता है जो इस दोष से पीड़ित नही है तो ऐसे में दाम्पत्य जीवन में बहुत कठिनाइयाँ आने की सम्भावना होती है | विशेषज्ञों अनुसार पति या पत्नी में से किसी की भी आकस्मिक मृत्यु भी हो सकती है |
मांगलिक दोष का पता लगाने हेतु ही विवाह के समय लड़के और लड़की की कुंडली मिलाई जाती है | और यही एक कारण भी है मांगलिक लड़के /लड़की के विवाह में विलम्ब होने का |
कुंडली में मांगलिक दोष होने पर निवारण :-
मांगलिक दोष से पीड़ित लड़के/लड़की का विवाह यदि मांगलिक दोष से ही पीड़ित लड़के/लकड़ी से किया जाये तो यह दोष स्वतः ही समाप्त हो जाता है |
मंगल दोष से पीड़ित व्यक्ति का विवाह यदि किसी केले , बरगद या पीपल के पेड़ से कर बाद में उस पेड़ को काट किये जाये तो मंगल दोष दूर जो जाता है |
मंगल दोष से पीड़ित व्यक्ति को हनुमान जी की पूजा करनी चाहिये और मंगलवार को व्रत रखना चाहिए |
मगल दोष के प्रभाव को कम करने के लिए मूंगा रत्न धारण करना चाहिए |
मंगलवार को शिवलिंग पर कुमकुम , चावल और मीठा अर्पित कर लाल मसूर की दाल अर्पित करें |
मंगल दोष से पीड़ित व्यक्ति को अपने स्वाभाव को शांत रखना चाहिए गुस्से से बचना चाहिए और खाने -पीने की वस्तुओं में गरम स्वाभाव की वस्तुओं का सेवन नही करना चाहिए |
आप दान -पुण्य और परोपकार निसंकोच करते रहे | क्योकि दान – पुण्य करने से बढ़कर कुछ नही है इससे कुंडली में कोई भी दोष हो धीरे -धीरे अपना प्रभाव स्वतः ही छोड़ने लगता है |
आप किसी अच्छे पंडित से सलाह लेकर भी पूर्ण रूप से और विधि अनुसार मंगल दोष के उपाय करवा सकते है |
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नक्षत्र दोष
ज्योतिष विज्ञान के अनुसार 27 नक्षत्रों का उल्लेख किया गया है | जिसमे से कुछ नक्षत्र बहुत ही शुभ और कुछ को अशुभ माना गया है | ये नक्षत्र हमारी कुंडली में जन्म से लेकर मृत्यु तक बने रहते है | कुंडली में नक्षत्र दोष होने पर यह जीवन भर मृत्युतुल कष्ट देते है | और साथ ही साथ परिवार के अन्य सदस्यों जैसे भाई -बहन, माता -पिता पर भी इसका बुरा प्रभाव आता है |
आज हम आपको ऐसे 7 अशुभ नक्षत्र बता रहे है जिनके कुंडली में होने पर ये मृत्युतुल कष्ट देते है | 1. आर्द्रा 2. इस्लेखा 3. ज्येष्ठा 4. स्वाति 5. पूर्वा फाल्गुनी 6. पूर्वा साढ़ा 7. पूर्वा भाद्रपदा |
यदि आपकी कुंडली में इनमे से कोई भी नक्षत्र दोष है तो आप तुरंत ही किसी अच्छे जानकर पंडित जी से इनकी शांति हेतु समाधान कराएँ |
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|| ॐ श्री हनुमते नमः ||
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Sachinsoni 15.6.1993