आज के समय में हर व्यक्ति धन प्राप्ति की चाह में इस तरह से अंधा बन गया है कि उसके पास यह चिंतन करने का ही समय नहीं है कि वह जिस मार्ग द्वारा वह धन अर्जित कर रहा है, क्या नैतिक द्रष्टि से वह उचित है ? धन की देवी को लक्ष्मी कहा गया है | माँ लक्ष्मी स्वभाव से बड़ी चंचल है | वह एक स्थान या एक घर में अधिक समय तक नहीं रूकती | जो व्यक्ति अनैतिक तरीकों से धन अर्जित करते है उनके पास लक्ष्मी कुछ समय के लिए तो रूकती है किन्तु कुछ समय बाद वहाँ से चली भी जाती है और अपने साथ-साथ उस घर से खुशियाँ भी ले जाती है |
कानून का उल्लंघन करते हुए धन अर्जित करना, दूसरों का धन हड़प(छीन) लेना, चोरी या लूट का पैसा, जुए द्वारा पैसा कमाना, ऐसे बहुत से गलत तरीके है धन प्राप्त करने के, जो एक बार तो आपको कुछ समय के लिए ख़ुशी दे सकते है किन्तु बाद में विकट परिस्थितियों को ही जन्म देते है | ऐसे व्यक्ति के परिवार से हर खुशियाँ गायब होने लगती है | ऐसे व्यक्ति को लाख चिंतन करने बाद भी परिवार पर आने वाले दुखों का मूल कारण तक समझ नहीं आता |
यह सत्य है कि धन के बिना हमारा काम नहीं चल सकता, थोड़ा बहुत धन हमें चाहिए और इस थोड़े धन को नेक तरीके से अर्जित करने का सामर्थ्य लगभग सभी लोगों में होता है | किन्तु लोगों की समस्या यह है कि उन्हें सिर्फ इतना धन नहीं चाहिए कि जिससे उनका खर्च आसानी से चल सके | उन्हें तो धनवान बनना है, धन कमाने की दौड़ में सबसे आगे निकलना है | अपनी आने वाली पीड़ियों को इतना धन देकर जाना है कि वे जन्म लेते ही धनाड्य कहलाये | बस यही सोच गलत तरीकों से धन कमाने के कारणों को जन्म देती है |
धन द्वारा बहुत सी खुशियाँ तो खरीदी जा सकती है किन्तु सारी नहीं, अभी भी बहुत कुछ शेष है जो खरीदना बाकी है, क्या धन के द्वारा यह सब खरीद पाना संभव है ? सारी खुशियाँ प्राप्त कर पाना, धन के द्वारा संभव नहीं है | यह सब आपके संस्कारों पर निर्भर करता है और संस्कार बनते है आपके पूर्वजन्म के अच्छे कर्मों से | इसलिए अच्छे कर्मों के द्वारा संस्कार कमाए, गलत तरीकों से धन नहीं |