भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग हिन्दू धर्म में धार्मिक द्रष्टि से अग्रिम स्थान रखता है | भारत में उत्तरप्रदेश राज्य के वाराणसी में स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर भारत के प्रसिद्द हिन्दू मंदिरों में से एक है | यह मंदिर भारत की सबसे पवित्र नदी गंगा के पश्चिमी तट पर बना हुआ है | इस मंदिर में भगवान शिव विश्वनाथ के रूप में विराजमान है | विश्वनाथ जिसका अर्थ है ” पूरे ब्रम्हांड का शासक ” | काशी विश्वनाथ मंदिर/Kashi Vishwanath Mandir की विशेषता है कि यहाँ भगवान शिव के दर्शन करने से व गंगा नदी में श्रद्धा पूर्वक स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है |
काशी विश्वनाथ मंदिर के 10 रोचक तथ्य/Kashi Vishwanath Mandir :-
1. काशी विश्वनाथ पौराणिक कहानी :-
काशी विश्वनाथ में हर घर में भगवान भोलेनाथ के प्रति अटूट भक्ति देखने को मिलता है | काशी में एक जयघोष हर व्यक्ति की जुबान पर होता है – हर हर महादेव घर घर महादेव | इसलिए काशी को भोलेनाथ की प्रिय नगरी कहा गया है | पौराणिक मान्यता के अनुसार एक बार भगवान शिव को एक से दो होने की इच्छा जाग्रत हुई और उन्होंने स्वयं को दो रूपों में विभक्त कर लिया एक शिव और दूसरा शक्ति | किन्तु वे इस रूप में अपने माता -पिता न होने के कारण उदास रहने लगे तभी आकाशवाणी हुई और उन्हें तपस्या करने की आज्ञा दी | उस आज्ञा का पालन करते हुए भोलेनाथ ने अपने हाथों से 5 कोस लम्बे भू-भाग पर काशी का निर्माण किया और यहाँ पर विश्वनाथ के रूप में विराजमान हुए |
2. यहाँ होती है मोक्ष की प्राप्ति :-
काशी विश्वनाथ मंदिर/Kashi Vishwanath Mandir भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में सबसे अधिक महत्व रखता है | काशी विश्वनाथ के दर्शन मात्र से मोक्ष की प्राप्ति होती है | इस स्थान पर गंगा नदी में स्नान करने से सभी पापों का शमन होता है | सम्पूर्ण काशी में प्राण त्याग करने वाला व्यक्ति भी मोक्ष को प्राप्त होता है | यहाँ प्राण त्यागने वाले व्यक्ति के कान में स्वयं भगवान शिव तारक मंत्र का उपदेश देते है जिससे वह आवगमन से छूट जाता है | मत्स्यपुराण के अनुसार बिना जप, तप और ध्यान के यदि कोई व्यक्ति मोक्ष की प्राप्ति चाहता है तो उसे काशी विश्वनाथ के दर्शन अवश्य करने चाहिए |
3. सूर्य की पहली किरण काशी में पड़ती है : –
ऐसी मान्यता है कि सूर्य जैसे ही उदय होता है उसकी पहली किरण इसी स्थान पर पड़ती है | कुछ समय के लिए भगवान शिव स्वयं कैलाश पर्वत को छोड़कर यहाँ आते है | काशी में रहने वाले लोगों की मान्यता है कि भगवान शिव स्वयं उनकी रक्षा करते है | काशी को भगवान शिव की प्रिय नगरी भी कहा गया है | कुछ धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत इसी स्थान से हुई थी |
4. मंदिर के दर्शन का समय :-
काशी विश्वनाथ मंदिर पूरे 12 महीनें भक्तों के दर्शन हेतु खुला रहता है | पूरे विश्वभर से श्रद्धालु मंदिर के दर्शन करने आते है | यहाँ प्रतिदिन 5 आरतियाँ होती है | आरती में शामिल होकर भक्त अपने आप को धन्य पाते है | काशी विश्वनाथ मंदिर में होने वाली 5 आरतियाँ इस प्रकार है :-
- मंगला आरती – 03:00 से 04:00 (सुबह के समय )
- भोग आरती 11: 15 से 12: 20
- संध्या आरती 07:00 से 08:15
- श्रृंगार आरती 09:00 से 10:00 रात्रि
- शयन आरती 10:30 से 11:00 रात्रि
5. महाशिवरात्रि की धूम-धाम :-
महा शिवरात्रि के दिन भगवान शिव और पार्वती जी का विवाह हुआ था | उनका विवाह रंगभरी एकादशी को हुआ था | काशी के स्थानीय लोग इस त्यौहार को बड़े ही धूम-धाम से मनाते है | इस दिन स्थानीय लोग भगवान शिव और देवी पार्वती की प्रतिमा को पालकी में बिठाकर काशी विश्वनाथ के भूतपूर्व महंत के घर से पूरे शहर की परिक्रमा करते है | परिक्रमा करते समय भोलेनाथ के प्रिय वाद्य यंत्र जैसे ढोल-डमरू आदि भी बजाये जाते है और साथ ही एक दुसरे को गुलाल भी लगाते है | महाशिवरात्रि के दिन काशी विश्वनाथ के दर्शन करने वाले भक्त स्वयं को सौभाग्यशाली मानते है |
6. सोने का मंदिर :-
काशी विश्वनाथ को गोल्डन टेम्पल (सोने का मंदिर ) के नाम से भी जाना जाता है | लाहौर के राजा रंजीतसिंह द्वारा मंदिर के शिखर के निर्माण हेतु 1000 किलो सोना दान दिया था | मंदिर में तीन गुंबद है जो पूर्णत: सोने के बने हुए है | ऐसी मान्यता है कि इन सोने के गुम्बदों के दर्शन मात्र से हर मुराद पूरी हो जाती है |
7. काशी मंदिर की बनावट :-
काशी विश्वनाथ मंदिर/Kashi Vishwanath Mandir में मुख्य शिवलिंग के अतिरिक्त अन्य छोटे-छोटे मंदिर भी है जिनमें काल भैरव , अविमुक्तेश्वर, विष्णु ,विनायक , सनिश्वर ओर विरूपाक्ष के मंदिर है | मंदिर में मुख्य शिवलिंग 60 cm लम्बा है जिसकी कुल परिधि 90 cm है | यह सम्पूर्ण हिस्सा चांदी द्वारा ढका हुआ है | मंदिर परिसर में एक छोटा सा कुआँ भी है जिसे ज्ञानव्यापी के नाम से जाना जाता है | ऐसा माना जाता है कि किसी भी प्रकार के आक्रमण से बचने के लिए इस कुँए का निर्माण किया गया था | एक बार मंदिर के मुख्य पुजारी आक्रमण के समय भगवान शिव की आज्ञा से इस कुँए में कूद गये थे |
8. मंदिर में रानी अहिल्याबाई होल्कर का योगदान :-
इंदौर की रानी अहिल्याबाई भगवान शिव की भक्त थी | एक बार भगवान शिव उनके स्वप्न में आये और मंदिर को बनाने को कहा | काशी विश्वनाथ मंदिर की संरचना रानी अहिल्याबाई की ही देन है उन्होंने ने ही इस मंदिर का पुनः निर्माण करवाया |
9. मंदिर को बार-बार तोड़ा गया :-
पहली बार विश्वनाथ मंदिर/Kashi Vishwanath Mandir को 1194 CE में कुतुबुद्दीन ऐबक ने ध्वस्त किया था | जिसका पुनः निर्माण गुजरात के एक व्यापारी द्वारा सुल्तान इल्तुमिश के शासन काल में (1211 से 1266 CE के मध्य) किया गया | लेकिन दोबारा से इसे हुसैन शाह शर्की व सिकंदर लोधी के शासन काल में फिर से ध्वस्त कर दिया गया | बाद में अकबर के शासन काल में राजा मान सिंह ने फिर से इस मंदिर का निर्माण कार्य शुरू किया | 1669 CE में फिर से ओरंगजेब द्वारा मंदिर को ध्वस्त करने का प्रयास किया गया व इस स्थान पर मस्जिद बनाने का निर्माण कार्य शुरू किया और अपने प्रयासों में वह सफल भी हुआ | किन्तु मंदिर के अवशेष जगह-जगह मस्जिद में दिखाई दे रहे थे |
इसके बाद समय -समय पर हिन्दू राजाओं ने मस्जिद को हटाने के प्रयास भी किये किन्तु सफल न हो सके | अंत में 1780 में रानी अहिल्याबाई ने इस जगह को खरीद लिया व इस मस्जिद को तोड़कर पुनः विश्वनाथ मंदिर का निर्माण करवाया |
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10. मंदिर के समीप अन्य मंदिर :-
वैसे तो काशी को देवों की नगरी कहा गया है और यहाँ अनगिनत मंदिर है किन्तु काशी विश्वनाथ/Kashi Vishwanath Mandir के साथ-साथ कुछ अन्य मंदिर भी धार्मिक द्रष्टि से विशेष महत्व रखते है व तीर्थ यात्रियों को इनके दर्शन अवश्य करने चाहिए :-
- अन्नपूर्णा मंदिर, वाराणसी : काशी विश्वनाथ मंदिर से कुछ ही दूरी पर माता अन्नपूर्णा का मंदिर है | माँ अन्नपूर्णा को तीनों लोकों की माता कहा जाता है | इन्होनें स्वयं अपने हाथों से भगवान शिव को खाना खिलाया था |
- साक्षी गणेश मंदिर, बनारस : पंचकरोशी यात्रा को करने वाले तीर्थ यात्री अपनी यात्रा पूरी करने के पश्चात् साक्षी गणेश जी के दर्शन करने जरुर आते है | इनके दर्शन किये बिना उनकी यात्रा सम्पूर्ण नहीं मानी जाती |
- विशालाक्षी मंदिर, बनारस : विशालाक्षी मंदिर काशी मंदिर से कुछ ही दूरी पर स्थित है | यह मंदिर माँ के 51 शक्तिपीठों में से एक है | इस स्थान पर माँ देवी सती की आँखे गिरी थी
- प्राचीन भैरव मंदिर : काशी विश्वनाथ मंदिर/Kashi Vishwanath Mandir से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर प्राचीन भैरव मंदिर स्थित है | काशी के काल भैरव की मान्यता इतनी अधिक है कि जो भक्त काशी विश्वनाथ के दर्शन के बाद काल भैरव के दर्शन नहीं करता उनको विश्वनाथ के दर्शन का सुफल प्राप्त नहीं होता |