राहु और केतु :-
राहु और केतु का वास्तविक रूप में सौरमंडल के ग्रहों में अस्तित्व न होते हुए भी ज्योतिष की द्रष्टि में बहुत महत्व है | राहु और केतु को छाया गृह कहा जाता है | इनका वास्तविक अस्तित्व न होते हुए भी ये गृह मानव जीवन को कभी भी अस्त-व्यस्त कर सकते है | शनि गृह को शनि देव के रूप में माना गया है जिसका प्रभाव सिर्फ और सिर्फ जातक के कर्मों से जुड़ा है | शनि गृह की दशा जातक को केवल उसके कर्मों के अनुसार ही दण्डित करती है | किन्तु राहू और केतु/(Rahu Ketu Dasha Nivaran Ke Upay) को पापी गृह माना गया है व कुंडली में इनकी छाया सिर्फ और सिर्फ विनाश का ही कारण बनती है |
राहु केतु की कहानी : –
समुद्र मंथन के समय जब देवताओं को राक्षसों की भी सहायता लेनी पड़ी, तब दोनों पक्षों के बीच ठहराव हुआ कि समुद्र मंथन से निकलने वाली हर वस्तु को देवताओं और राक्षसों में बराबर बांटा जायेगा | समुद्र मंथन के समय अमृत निकलने पर जब इसके बराबर बटवारे की बात हुई तो भगवान श्री विष्णु ने सोचा यदि राक्षसों ने अमृत का पान कर लिया तो ये अमर हो जायेंगे और अपनी शक्ति से इस सृष्टि का विनाश कर देंगे | ऐसा सोचते हुए भगवान श्री विष्णु ने बड़ी ही चतुराई से मोहिनी का रूप धारण कर देवताओं को अमृत का पान कराया और राक्षसों को साधारण जल का |(Rahu Ketu Dasha Nivaran Ke Upay)
स्वरभानु राक्षस को इस बात का अहसास हो गया कि राक्षसों के साथ भेद-भाव किया जा रहा है व अमृत केवल देवताओं को ही पिलाया जा रहा है | स्वरभानु ने बड़ी ही चतुराई से देव का वेश धारण कर लिया और देवताओं की पंक्ति में आकर बैठ गया | सूर्य देव और चन्द्र देव को इसका आभास हो गया उन्होंने उसे पकड़ लिया | अब भगवान श्री विष्णु ने देर न करते हुए स्वरभानु का सिर अपने सुदर्शन चक्र का उसके धड़ से अलग कर दिया | किन्तु तब तक स्वरभानु अमृत की कुछ बूंदे पी चुका था | इसलिए वह अमर तो हो गया किन्तु उसके सिर और धड़ हमेशा-हमेशा के लिए अलग होकर ही रह गये |
स्वरभानु के सिर के हिस्से को राहु और धड़ के हिस्से को ही केतु के नाम से जाना जाता है | राहू को सांप का मुहं व केतु को सांप की पूछ भी कहा गया है | सूर्य देव व चन्द्र देव से शत्रुता रखते हुए ही राहू, केतु समय-समय पर उन्हें ही ग्रहण लगाते है | ग्रहण के दिन राहु-केतु सूर्य व चंद्रमा को ग्रसित कर देते है अर्थात निगल लेते है |
राहु केतु के जातक पर प्रभाव :-
किसी भी ज्योतिषकार की सलाह से आप आसानी से राहु केतु की दशाओं व महादशाओं के विषय में जान सकते है | इसके अतिरिक्त जीवन में आने वाली भिन्न-भिन्न समस्याएँ भी कुंडली में राहु-केतु की छाया होने के संकेत देती है | राहु केतु को बुद्धि का कारक माना गया है | राहू-केतु की दशा से जातक मानसिक रूप से विकृत होकर अपना अहित स्वयं करने लगता है | राहु-केतु जातक की कुंडली में जिस भी गृह के साथ बैठ जाते है उसका फल भी उसी के अनुरूप ही मिलने लगता है | आइये जानते है किसी जातक की कुंडली में राहु-केतु की दशाएँ/(Rahu Ketu Dasha Nivaran Ke Upay) जातक को किस प्रकार से प्रभावित करती है |
कुंडली में राहु केतु की दशा :-
किसी भी जातक की कुंडली में राहु केतु की दशा व अंतर्दशा का प्रभाव इन दोनों ग्रहों की स्थिति, भाव और अन्य ग्रहों की स्थिति पर निर्भर करता है | जब कुंडली में राहु नीच का हो तो जातक को छाती में पीड़ा, शत्रु से भय व दुर्घटना में चोट लगने की सम्भावना अधिक होती है | ऐसे जातक से उसके सगे-सबंधी और मित्रगण भी दूर होने लगते है | परिवार के सदस्यों को बीमारी व उनकी अचानक मृत्यु का भय भी हमेशा बना रहता है | इसके अतिरिक्त राहु केतु के हानिकारक प्रभाव अन्य ग्रहों की स्थिति के अनुसार अलग-अलग हो सकते है | इसलिए जरुरी है कि किसी अच्छे ज्योतिषाचार्य से इस विषय पर जानकारी प्राप्त कर इसका समाधान किया जाये |
राहु केतु के शुभ प्रभाव :-
यह जरुरी नहीं कि राहु केतु के अशुभ प्रभाव ही देखने को मिलते है | राहु के शुभ प्रभाव जातक को समाज में मान-सम्मान और यश की प्राप्ति करवाते है | ऐसे व्यक्ति असीमित बुद्धि के स्वामी होते है | इसके साथ ही केतु की शुभ द्रष्टि शिक्षा और व्यवसाय में उन्नति के मार्ग खोलती है | उसे साहसी बनाती है व धर्म के प्रति निष्ठावान बनाती है |
Rahu Ketu Dasha Nivaran Ke Upay
राहु केतु के प्रभाव को कम करने के उपाय :-
- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार काले कुत्ते को रोटी खिलाने से राहु केतु दोनों प्रसन्न होते है | इसके साथ ही शनि दशा में भी यह उपाय कारगर सिद्ध होता है |
- घर में चांदी का बना हुआ हाथी पूजा स्थल पर रखने से राहु केतु के प्रभाव को कम किया जा सकता है |
- भगवान भैरव के मंदिर में रविवार दे दिन शराब चढ़ाये व तेल का दीपक जलाये |
- कुंडली में राहु केतु की दशा होने पर शराब का सेवन आपकी समस्याओं को और भी बढ़ा सकता है | इसलिए शराब का सेवन बिल्कुल बंद कर दे |
- कौवे को रोटी खिलाने से भी राहु केतु के दुष्प्रभाव कम होते है |
- बीमार व्यक्ति की सेवा करने से व अपने माता-पिता वृद्ध व्यक्ति और अपने गुरु का आदर करने से राहु-केतु प्रसन्न होते है |
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यद्यपि राहु केतु को छाया गृह माना गया है किन्तु इनके प्रभाव मानव जीवन में स्पष्ट रूप से देखने को मिलते है | जीवन में हर तरफ से समस्याओं से पीड़ित होकर अंत में यह पता लगाना कि आप राहु केतु की दशा/(Rahu Ketu Dasha Nivaran Ke Upay) से पीड़ित है से अच्छा है कि आप शुरू में ही इनकी दशा का पता लगाकर समय रहते इनका निवारण करें और अपने जीवन को सुख सम्रद्धि से परिपूर्ण बनाये |