अर्शकुठार रस आयुर्वेद की एक बहुत ही लाभकारी औषधि है | मुख्य रूप से यह औषधि बवासीर रोग में उपयोग की जाती है | इसके सेवन से रोगी को कब्ज नहीं रहती व पेट अच्छे से साफ़ होता है | मुख्य रूप से बवासीर दो प्रकार की होती है खुनी और बादी | खुनी बवासीर में मस्सो से खून निकलता रहता है और बादी में खून नहीं निकलता, लेकिन इसमें मस्सों में वायु भर जाने से मस्से फूल जाते है और उनमें से सूई चुभोने जैसी पीड़ा का अनुभव होने लगता है | बवासीर के रोगी को अधिक पीड़ा तब अनुभव होती है जब उसे कब्ज की शिकायत होती है | अर्शकुठार रस/Arsh Kuthar Ras के प्रयोग से रोगी को कभी कब्ज नहीं होती और बवासीर रोग में आराम मिलता है |
मात्रा और अनुपात : –
एक से दो गोली का सेवन सुबह और शाम को जल अथवा गुलकंद के साथ सेवन करें |
Arsh Kuthar Ras
अर्शकुठार रस – मुख्य घटक :
निम्न औषधियों को एक निश्चित अनुपात में मिलाने पर यह अर्शकुठार रस तैयार होता है इसमें : शुद्ध पारा , शुद्ध गंधक , लौह भस्म , और ताम्र भस्म , दंतीमूल , सौंठ , काली मिर्च , पीपल , सूरणकंद , वंशलोचन , शुद्ध टंकण , यवक्षार , सेंधा नमक , स्नूही का दूध , गौं मूत्र , सेहुंड दूध – इन सभी औषधियों को एक निश्चित अनुपात में मिलाने के पश्चात् अग्नि पर चढ़ाकर मंद-मंद आँच से पाक करें | जब पकते-पकते यह गाढ़ा हो जाये तो कज्जली और उपरोक्त द्रव्यों का चूर्ण मिलाकर मर्दन करें, गोली बनाने योग्य होने पर 2 – 2 रत्ती की गोली बना सुखाकर रख ले |
बादी बवासीर में अर्शकुठार रस का प्रयोग : –
गर्म जल के साथ या गुलकंद के साथ देने से लाभ मिलता है | इससे दस्त साफ होता और वायु का प्रकोष भी कम हो जाता है जिससे मस्से में दर्द नहीं होता है |
अन्य जानकारियां : –
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ध्यान देने योग्य :-
अर्श कुठार रस/Arsh Kuthar Ras का सेवन लम्बे समय तक नहीं करना चाहिए | इस औषधि का सेवन चिकित्सक की देख-रेख में ही करना चाहिए व सीमित अवधि के लिए ही इसका प्रयोग लाभकारी माना गया है |