हिन्दू धरम में देवता का स्वरुप चाहे कोई भी हो आराधक के मन में जो एक बार छवि बैठ जाती है फिर जीवन भर वह उस छवि को बदल नहीं पाता | जैसे : भक्त सूरदास जी कृष्ण भगवान के बाल रूप के ही उपासक रहे थे | उसी रूप की वे उपासना करते रहे | कोई -कोई भक्त तो उनकी गीता को ही अमर वाणी समझ कर कृष्ण रूप जान कर उपासना करते है | हमारे अवतारों के कई रूप बनाये है | इसके बारे में कुछ विद्वानों का यह मत है कि इससे उपासकों(Bhairav Aradhna) को काफी सुविधा प्राप्त होती है |
यही कारण है की भैरव जी के बारह स्वरुप पूज्य है | इनके दर्जनों स्वरुप धर्म ग्रंथों में मिलते है | भक्तजन इनमें से किसी एक रूप की उपासना भैरव उपासक यदि सच्चे मन से कर लेते है | तो उन पर भैरव का प्रभाव पूरा -पूरा रहता है | अपने भक्तों के सारे संकट हरण करने के लिए वे स्वयं आते है |
भैरव जी के बारह स्वरुप :-
1. बाल भैरव
2. बटुक भैरव
3. स्वर्णाकर्षण भैरव
भैरव जी के ये तीनों रूप सबसे सुंदर और मृदुल माने गए है | जिनमें स्वर्णाकर्षण भैरव को धन-धान्य के स्वामी और सृष्टि के पालन पोषण कर्ता के रूप पूजा जाता है | भैरव जी के ये तीनों स्वरुप पूर्णतः सात्विक माने गये है तथा भगवान विष्णु , राम , कृष्ण आदि के समान जी इन रूपों की पूजा की जाती है |
4. महाकाल भैरव : –
भैरव जी के उपरोक्त तीनों स्वरुप के बिल्कुल विपरीत है – महाकाल भैरव | महाकाल भैरव को मृत्यु का देवता माना जाता है | यही काल रूप है | इस रूप को लेकर ही तंत्र साधना की जाती है | तांत्रिक सिद्धियाँ पाने के लिए भैरव जी को महाकाल भैरव के रूप में पूजा जाता है | इसलिए गृहस्थ जीवन में महाकाल भैरव की उपासना न करके बाल भैरव , बटुक भैरव और स्वर्णाकर्षण भैरव इन रूपों में पूजा की जानी चाहिए |
इनके अतिरिक्त भैरव जी के अन्य 8 रूप इस प्रकार से है :-
5. असिताग भैरव
6. रु रु भैरव
7. चंड भैरव
8. क्रोधोन्मत भैरव
9. भयंकर भैरव
10. कपाली भैरव
11. भीषण भैरव
12. संहार भैरव
भैरव जी के ये सभी रूप सोम्य नहीं है बल्कि प्रचंड रूप है | भैरव जी को भगवान शिव का पाँचवा और रौद्र अवतार माना गया है | भैरव जी के सभी 12 रूपों में 9 रूपों को प्रचंड माना गया है | जिनकी उपासना तांत्रिक सिद्धियाँ पाने के लिए की जाती है |
⇒ बटुक भैरव मंत्र साधना | भैरव मंत्र सिद्धि ⇐
धन-धान्य की प्राप्ति के लिए , घर में सुख -शांति के लिए भैरव जी के स्वर्णाकर्षण रूप की उपासना करना फलदायी माना गया है | इसके अतिरिक्त बाल भैरव और बटुक भैरव की उपासना(Bhairav Aradhna) भी ग्रहस्थ जीवन में रहकर की जा सकती है | इसलिए जो भैरव उपासक भैरव जी की उपासना करना चाहते है उसे भैरव जी के इन सौम्य रूप ( बाल भैरव , बटुक भैरव , स्वर्णाकर्षण भैरव ) की आराधना(Bhairav Aradhna) करनी चाहिए | ⇒ ♣ भारत के ऐसे प्रसिद्ध और चमत्कारिक 10 हिन्दू मंदिर, जहाँ होती है सभी मनोकामनाएं पूरी ♣ ⇐
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अल्टीमेट ज्ञान