Category Archives: आयुर्वेद उपचार

गोदन्ती भस्म के लाभ | आयुर्वेद उपचार में गोदन्ती भस्म के प्रयोग

गोदंती भस्म एक सुरक्षित दर्दनिवारक औषधि है | गोदंती भस्म को गोदंती हरताल , घाषान , कर्पूर शिला व अंग्रेजी में Gypsum(जिप्सम) भी कहते है | गोदंती एक प्रकार का खनिज है | इसका यह नाम गोदंती = गो + दंती , यहाँ गो का आशय गाय से है व दंती का दांत से | यह दिखने में… Read More »

पारद भस्म के फायदे | Benefits of Parad Bhasma

पारद भस्म आयुर्वेद का एक दुर्लभ संयोग है | जिसका प्रयोग अनेक व्याधियों को दूर करने में किया जाता है | विशेष रूप से पारद भस्म/Parad Bhasma Benefits का प्रयोग शारीरिक निर्बलता दूर करने में , काम शक्ति बढाने में, स्मरण शक्ति बढ़ाने में और पाचक अग्नि की दुर्बलता को दूर करने में किया जाता है | पारद… Read More »

अग्निकुमार रस के गुण व उपयोग विधि

अग्निकुमार रस आयुर्वेद की एक उत्तम औषधि है जैसा कि इसके नाम से ही प्रदर्शित होता है यह रस पेट की अग्नि को बढ़ाता है | अग्निकुमार रस पाचक अग्नि के मंद होने से उत्पन्न अजीर्ण , मन्दाग्नि , संग्रहणी , कब्ज आदि , रोगों में इस रस के सेवन से लाभ मिलता है | आँतों में मॉल… Read More »

मुक्ताशुक्ति पिष्टी व भस्म के लाभ व उपयोग

मुक्ताशुक्ति एक आयुर्वेदिक औषधि है जो मोती सीप के खोल द्वारा निर्मित की जाती है | बाजार में मुक्ताशुक्ति – भस्म और पिष्टी के रूप में मिलती है | वैसे तो मुक्ताशुक्ति भस्म और पिष्टी दोनों के गुण समान से प्रतीत होते है लेकिन उपयोग के आधार पर दोनों अलग-अलग प्रकृति रखते है | मुक्तिशुक्ति भस्म जहाँ स्वभाव… Read More »

स्वर्णमाक्षिक भस्म के लाभ व उपयोग

सोनामक्खी एक उपधातु है | इसमें बहुत अल्पांश में स्वर्ण होने तथा इसके गुणों में सोने के गुण कुछ अल्पता में होने और इसमें स्वर्ण जैसी कुछ चमक होने से इसको स्वर्ण माक्षिक कहते है | शास्त्रों के अनुसार स्वर्ण माक्षिक/Swarnmakshik Bhasma का उपधातु निश्चित होता है क्योंकि इसमें कुछ स्वर्ण के गुण और सहयोग होते है |… Read More »