हिन्दू धरम में गायत्री मंत्र को सबसे बड़ा मंत्र माना जाता है | गायत्री मंत्र का वर्णन ऋग्वेद में मिलता है | सभी मन्त्रों द्वारा हम किसी न किसी देव की आराधना करते है किन्तु गायत्री मंत्र मंत्र एकमात्र ऐसा मंत्र है जिसमें हम उस परमपिता परमेश्वर से प्रार्थना करते है कि वे हमें सभी दुखों , दरिद्रता और अँधेरे से दूर कर प्रकाश की ओर ले जाये | गायत्री मंत्र के मूल अर्थ को समझने से और इस मंत्र के नियमित उच्चारण से मनुष्य ईश्वर को प्राप्त होता है | सूर्य देव एकमात्र ऐसे देव है जो दिखाई देते है और कुछ धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गायत्री मंत्र सूर्य देव के महत्व पर प्रकाश डालता है | Gayatri Mantra Ke Labh गायत्री मंत्र के नियमित जप से मनुष्य सभी सुखों की प्राप्ति करता है और अंत में मोक्ष को प्राप्त होता है |
महान ऋषि विश्वामित्र की वर्षो कठिन तपस्या के बाद मानव कल्याण हेतु गायत्री मंत्र की उत्त्पत्ति हुई | माँ गायत्री को सभी वेदों की जननी भी कहा जाता है | माँ गायत्री को देवी लक्ष्मी , दुर्गा और पार्वती का ही स्वरुप माना गया है | पुराणों अनुसार गायत्री को उस परमब्रह्म शिव तत्व के समान संज्ञा दी जाती है |
Gayatri Mantra Ke Labh
गायत्री मंत्र/ Gayatri Mantra अर्थ सहित : –
ॐ भूर्भुवः स्व तत्सवितुर्वरेण्यं
भर्गो देवस्य धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात॥
अर्थ : – हम उस प्राणस्वरूप , सभी दुखों को हरने वाले , सुख प्रदान करने वाले , सबसे श्रेष्ठ , तेजस्वी परमपिता परमेश्वर को अपने अंतःकरण से स्वीकार करते है | हम उस परमपिता परमेश्वर से प्रार्थना करते है कि वे हमारी बुद्धि को सन्मार्ग की ओर चलने के लिए प्रेरित करे |
गायत्री मंत्र प्रत्येक शब्द सहित अर्थ : –
ॐ – अन्नत
भूर – प्राण प्रदान करने वाला
भुवः – दुखों का नाश करने वाला
स्वः – सुख प्रदान करने वाला
तत – वह
सवितुर – सूर्य की भांति उज्जवल
वरेण्यम – सबसे उपयुक्त
भर्गो – उद्धार करने वाला
देवस्य – प्रभु
धीमहि – ध्यान योग्य
धियो – बुद्धि
यो – जो
नः – हमारी
प्रचो -दयात् – हमें शक्ति प्रदान करें |
Gayatri Mantra Hindi/ गायत्री मंत्र जप की विधि :-
सामान्य रूप से गायत्री मंत्र का जप सुबह से लेकर संध्या के समय तक कभी भी किया जा सकता है | शास्त्रों में गायत्री मंत्र के जप के विषय में एक दिन 3 बार जप करने का विधान है | जिसमें सुबह सूर्योदय से ठीक पहले ,दोपहर के समय और सूर्यास्त से ठीक पहले का समय सबसे उपयुक्त है |
यदि आप दिन में तीन बार गायत्री मंत्र जप के लिए समय नहीं निकाल पाते है तो सिर्फ सुबह के समय नियमित रूप से जप कर सकते है | सुबह -सुबह नहाने के पश्चात् अपनी दैनिक पूजा -पाठ करने के ठीक बाद एक माला या अपने सामर्थ्य अनुसार जितनी भी माला का जप कर सकते है, मंत्र जप करें | इस प्रकार नियमित रूप से गायत्री मंत्र जप करने से शीघ्र ही परिणाम सामने आने लगते है | गायत्री मंत्र को महामंत्र कहा जाता है इसलिए किसी भी प्रकार की कठिनाई के समय गायत्री मन्त्र के जप सकारात्मक पारिणाम अवश्य देते है | मंत्र जप के लिए रुद्राक्ष की माला का उपयोग उत्तम होता है | नोट : मंत्र जप के समय माला को गोमुखी में रखना अनिवार्य होता है(Gayatri Mantra Ke Labh) |
गायत्री मंत्र के लाभ :-
Gayatri Mantra Ke Labh :-
गायत्री मंत्र के नियमित जप करने से जीवन में सकारात्मक उर्जा का संचार होता है | मन शांत रहता है | घर से सभी प्रकार की पीड़ा और बाधाएं दूर होने लगती है | समाज में मान -सम्मान मिलने लगता है | चहरे पर तेज आता है | क्रोध शांत रहता है | विवाह में आ रही सभी रूकावटे दूर होती है | शत्रुओं से छुटकारा मिलता है | संतान संबंधी सभी सुख मिलते है | बीमारी से छुटकारा मिलता है, कैसा भी रोग क्यों न हो गायत्री मंत्र के नियमित जप से रोगी को स्वास्थ्य लाभ अवश्य होता है |
विद्यार्थी द्वारा गायत्री मंत्र के जप करने से उनमें बुद्धि का विकास होता है, भूलने जैसे परेशानियां भी दूर होने लगती है और बुरी संगत से छुटकारा मिलता है | ⇒ ♣ सिद्ध कुंजिका स्त्रोत मंत्र को सिद्ध करने की सरल विधि ♣ ⇐
गायत्री मंत्र के जप करने वाला व्यक्ति जीवन में चमत्कार स्वयं ही महसूस करने लगता है | ऐसा कोई कष्ट नहीं जो इस मंत्र के जप से दूर न होता हो, इसलिए इसे महामंत्र की संज्ञा दी गयी है | Gayatri Mantra Ke Labh गायत्री महामंत्र की महिमा का गुणगान शब्दों में करना कठिन है | इसलिए आज से ही गायत्री मंत्र के जप अपनी नियमित पूजा -पाठ में शामिल करें और अपने जीवन का उद्धार करें |