कोटा में चंबल के पूर्वी किनारे पर यह मंदिर स्थित है | यह प्राचीन मंदिर सन 1043 वर्ष पूर्व का है | इस मंदिर का जीर्णोउद्धार 1963 को रामनवमी के शुभ दिवस पर श्री गोपीनाथ जी भार्गव के माध्यम से किया गया | मंदिर के अन्दर मैदान में सत्संग हाल बना है | 12 फुट ऊँचे चबूतरे पर 120 फुट लम्बा, 60 फुट चौड़ा भवन का निर्माण हुआ है जिसे मार्बल पत्थरों से सज्जित किया गया है | उत्तर दिशा में हनुमान जी(Godavari Dham Hanuman Mandir) का मंदिर स्थापित है |
गर्भगृह 15 फुट लम्बा, 15 फुट चौड़ा बना है | जिसमें सफ़ेद मार्बल लगे है | यही काली शिला पर श्री हनुमान जी वीर आसन में स्थापित है | यह प्रतिमा 6 फुट ऊँची है | प्रतिमा का मुख मानव स्वरुप एवं ब्रह्मचारी के रूप में है | सिर पर जता बांधी हुई है | गले में रुद्राक्ष की माला है | जिसके अन्दर लटके हुए लोकेट में श्री राम जी चरण पादुकाएँ प्रदर्शित है | मस्तक पर चांदी का मुकुट है | ऊपर चांदी का छत्र है चांदी की बड़ी गदा एवं खडाऊ है | हनुमान जी का मुख दक्षिण दिशा में है |
Godavari Dham Hanuman Mandir
मुख्य मंदिर के अतिरिक्त सिद्ध विनायक गणेश जी, बटुक भैरव, तुलसी जी की प्रतिमा है | जिसमें विगत 4 वर्षों से अखंड रामायण चल रही है | हनुमान जी प्रतिमा के सामने राम जी , सीता और लक्ष्मण की प्रतिमाएं विराजमान है | मंदिर प्रांगण में ही एक गौशाला, व्यायामशाला, संतनिवास, बाहरी यात्री के हाल एवं भोजनशाला है | यहाँ की मुख्य विशेषता यह है कि प्रेतबाधा से ग्रस्त व्यक्ति हनुमान जी के सम्मुख आते ही छुटकारा पा जाता है |
यह एक जाग्रत धर्मस्थल(Godavari Dham Hanuman Mandir) है जहाँ हनुमान जी के रूद्र रूप की अनूठी पूजा-अर्चना होती है | हनुमान के रूद्रअभिषेक परम्परा को एक अद्वितीय अनुष्ठान माना जाता है | आज जहाँ ऊँची पीठ पर हनुमान प्रतिमा स्थापित है, वह स्थान 28 वर्ष पूर्व तक चंबल नदी के पानी के निकास मार्ग में था | उस समय यह प्रतिमा और इसके साथ गणेश जी की प्रतिमा करीब 50 मीटर दक्षिण पश्चिम चंबल की ओर एक छतरी में स्थापित थी |
कालांतर में इसकी छतरी और चार खम्बे जीर्ण-शीर्ण होकर ध्वस्त हो गये लेकिन प्राचीन मंडप पर दोनों प्रतिमाएं विराजमान रही | बाबा गोपीनाथ भार्गव ने हनुमान प्रतिमा को इस ऊँचे स्थान पर राम नवमी के दिन सन 1963 को पुनः प्रतिष्ठित किया | साथ ही गणेश प्रतिमा को करीब के राजमहल अमर निवास के उत्तरी दिवार से लगी एक दिवारी में प्रतिष्ठित किया | दोनों प्रतिमाएं समकालीन शिल्प साम्य एवं समान उंचाई की है | गणेश प्रतिमा की भी नित्य प्रति पूजा की जाती है | इस प्राचीन मंदिर की स्थापना संवत 1005 अर्थात आज से 1043 वर्ष पूर्व हुई | इसके प्राचीन शिलालेख में इसका उल्लेख है और संस्थापक स्वामी रामदास जी है | वर्तमान में शिलालेख खंडित हो गया है | यह नागा साधुओं का प्राचीन मठ है | शताब्दियों तक यहाँ नागा साधुओं ने धूनी रमाई है |
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मंदिर प्रातः 5 बजे खुलता है | तथा रात्रि 10 बजे बंद होता है परन्तु मंगलवार और शनिवार को पूरे दिन खुला रहता है | शयन आरती के बाद कपाट बंद होते है | हनुमान जी का भोग बेसन के लड्डू, चूरमा-वाटी, दाल-चावल है | सुबह और शाम वाद्य यंत्रों द्वारा आरती की जाती है | यहाँ पुजारी 10 एवं कर्मचारी लगभग 20 है | पास ही बहुत सी फल, फूल व प्रसाद आदि की बहुत सी दुकानें है | इस मंदिर का क्षेत्रफल लगभग ढाई एकड़ है | यहाँ मुख्य त्यौहार नवरात्रि है | इन 9 दिनों में लगभग 3 लाख भक्त सम्मिलित होते है | हनुमान जयन्ती पर लगभग 8 लाख भक्त दर्शन के लिए आते है | मंगलवार और शनिवार के दिन को छोड़कर बाकी के दिनों में भी यहाँ लगभग 2 हजार लोग प्रतिदिन मंदिर(Godavari Dham Hanuman Mandir) के दर्शन करने आते है |